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Adenovirus का बंगाल में बढ़ा खतरा, क्या हैं बीमारी के लक्षण और कैसे करें बचाव?

पश्चिम बंगाल में बढ़ रहा है Adenovirus का खौफ! क्या आपको डरना चाहिए?

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Adenovirus Spike: बीते कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल में बच्चों और बड़ों में फ्लू जैसे लक्षणों में बढ़ोतरी देखी गई है. इस बीमारी की पहचान एडेनोवायरस (Adenovirus) के रूप में की गई है. कोलकाता में स्वास्थ्य अधिकारियों ने नागरिकों को सतर्क रहने और विशेष रूप से बच्चों में एडेनोवायरस के लक्षणों को नजरअंदाज न करने के लिए कहा है. मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने 19 फरवरी को एडेनोवायरस के प्रबंधन के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी.

क्या है एडेनोवायरस? क्या हैं एडेनोवायरस के लक्षण? ये बीमारी किसे हो सकती है? इसका इलाज क्या है? इससे कैसे बचा जा सकता है? कब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए? फिट हिंदी आपके इन सारे सवालों के जवाब लेकर आया है.

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क्या है एडेनोवायरस?

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, एडेनोवायरस ऐसे वायरस हैं, जो आमतौर पर सांस की बीमारी, हल्की सर्दी या फ्लू जैसी बीमारी का कारण बनते हैं. एडेनोवायरस के कारण होने वाली सांस संबंधी बीमारियों में नॉन-कोविड कोरोनावायरस, इन्फ्लुएंजा, पैरा इन्फ्लुएंजा, राइनोवायरस और न्यूमोकोकी शामिल हैं.

एडेनोवायरस के लक्षण क्या हैं?

एडेनोवायरस के आम लक्षणों में शामिल हैं:

  • 3 दिनों से अधिक समय तक लगातार बुखार रहना

  • खांसी और खराब गला

  • बहती नाक

  • दस्त और उल्टी

  • शरीर में दर्द

  • तेजी से सांस लेना

  • सांस लेने में परेशानी

एडेनोवायरस से कौन संक्रमित हो सकती है?

एडेनोवायरस सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. लेकिन शहर के स्वास्थ्य विभाग ने विशेष रूप से इसी तरह की बीमारी के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है.

इसके अलावा, छोटे बच्चे कमजोर होते हैं, विशेष रूप से को-मॉरबिडिटी वाले, समय से पहले जन्म लेने वाले, जन्म के समय कम वजन वाले, जन्मजात हृदय रोग, पुरानी सांस की बीमारी, न्यूरोलॉजिकल डिसेबिलिटी, गुर्दे की बीमारी, कुपोषण और कमजोर इम्युनिटी वाले.

इसका इलाज कैसे किया जाता है?

एडेनोवायरल फ्लू का कोई एक इलाज नहीं है. हल्के मामलों के लिए घर पर मैनेज करने की सलाह दी जाती है. कुछ तरीके ये हैं:

  • बुखार को कम करने के लिए सिंपटोमैटिक (symptomatic) देखभाल - पेरासिटामोल मदद कर सकती है, लेकिन इसे दिन में 5 बार से अधिक नहीं लेना चाहिए

  • हाइड्रेशन बनाए रखें

  • दस्त के लिए ORS लें

  • शरीर के तापमान पर नजर रखें, ​​तेजी से सांस लेना, जनरल एक्टिविटी, ओरल इंटके (oral intake) और यूरिन आउटपुट (urine output)

  • खतरे के लक्षण दिखने पर हेल्थकेयर फैसिलिटी को रिपोर्ट करें

गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है.

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कब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए?

शहर के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार, रोगी को तब अस्पताल में भर्ती इन स्थितियों में करना चाहिए:

  • 3-5 दिनों से अधिक समय तक लगातार बुखार हो

  • सांस तेज चल रही हो

  • सांस लेने में तकलीफ हो

  • ऑक्सीजन सैचुरेशन 92% से कम हो

  • भूख बहुत कम लगना

  • दिन में 5 बार से कम पेशाब आना

दूसरे एक्सट्रापल्मोनरी मैनिफेस्टेशंस जिन्हें तत्काल मेडिकल हेल्प की जरूरत हो सकती है, वे हैं ऑल्टर्ड सेंसरियम (altered sensorium), ऐंठन, सदमा, मायोकार्डिअल डिसफंक्शन (myocardial dysfunction) और एक्यूट किडनी इंजरी.

इससे कैसे बचा जा सकता है?

एडेनोवायरस को रोकने में मदद करने के लिए शहर के स्वास्थ्य विभाग ने इन उपायों की सलाह दी है:

  • वयस्क सदस्य जो बुखार और सांस संबंधी लक्षणों से पीड़ित हैं उन्हें अलग रखें, खास कर छोटे बच्चों से.

  • सांस संबंधी कोई लक्षण है, तो घर पर मास्क पहनें.

  • हाथों की स्वच्छता बनाए रखें. अपने हाथों को बार-बार धोएं और आवश्यकता पड़ने पर हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें.

  • संक्रमित चीजें जैसे टिश्यू, फेस मास्क को ठीक से डिस्पोज करें.

  • फ्लू जैसे लक्षण वाले बच्चों को स्कूल नहीं भेजें.

  • भीड़भाड़ वाली जगह से बचें.

  • सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें.

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