सर गंगाराम अस्पताल ने 1 जून से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी शुरू कर दी है. इसकी एक डोज की कीमत 59,750 रुपये होगी. अस्पताल के चेयरमैन डॉ डीएस राणा ने इसकी जानकारी दी. प्रमुख दवा कंपनी रोश इंडिया और भारतीय दवा कंपनी सिप्ला ने पिछले हफ्ते भारत में रोश के इस एंटीबॉडी कॉकटेल को पेश करने की घोषणा की थी.
बता दें, एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट को 3 मई 2021 को भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन के तहत मंजूरी मिली है. ये 2 दवाओं का मिश्रण है.
एंटीबॉडी कॉकटेल सुर्खियों में तब आया जब रोश(Roche) द्वारा रेजेनरॉन(Regeneron) के साथ साझेदारी में विकसित किया गया कॉकटेल ट्रीटमेंट पिछले साल पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को कोविड-19 संक्रमण होने पर "सहानुभूति आधार"("compassionate grounds") पर दिया गया.
वहीं, अमेरिकी कंपनी एली लिली एंड कंपनी (Eli Lilly and Company) ने भी आज ही घोषणा की है कि भारत में DCGI ने कोविड-19 के इलाज के लिए कंपनी के मोलोक्लोनल एंटीबॉडी दवाओं (Antibody Drugs) को आपाताकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है.
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी बामलानिविमैब 700 मिलीग्राम और एटेसेविमैब 1400 मिलीग्राम (bamlanivimab 700mg and etesevimab 1400mg) को भारत में मॉडरेट मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की मंजूरी मिली है.
सिप्ला ने मई के दूसरे सप्ताह में ही कहा था कि भारत में हमने एली लिली के साथ समझौता किया है, यही कंपनी भारत में दवा के वितरण का जिम्मा भी संभालेगी.
ये भी रोश एंटीबॉडी कॉकटेल की तरह ही काम करेगी.
हम इस एंटीबॉडी कॉकटेल के बारे में क्या जानते हैं?
एंटीबॉडी कॉकटेल एक ऐसा उपचार है जिसमें 2 न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी दवाएं शामिल होती हैं. रोश एंटीबॉडी कॉकटेल में कासिरिविमैब और इमदेविमैब (casirivimab and imdevimab) शामिल हैं.
फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजी डॉक्टर भरत गोपाल के मुताबिक, "ये दोनों एंटीबॉडी उसी तरह काम करते हैं, जैसे COVID-19 वायरस संक्रमण के बाद स्वाभाविक रूप से इम्यून सिस्टम द्वारा पैदा हुईं एंटीबॉडीज करती हैं."
“ये एंटीबॉडी कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन से जुड़ते हैं और इसे मानव कोशिकाओं से जुड़ने से रोकते हैं और इसलिए ये मरीज के लक्षणों और बीमारी को बढ़ने से रोकते हैं.”डॉ भारत गोपाल, सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली
रोश के मुताबिक, कासिरिविमैब और इमदेविमैब का कॉकटेल व्यापक प्रसार वाले वेरिएंट के खिलाफ भी प्रभाव दिखाता है.
कंपनी का कहना है, "इसमें नए उभरते वेरिएंट के खिलाफ अपनी न्यूट्रलाइजेशन पोटेंसी घटाने का जोखिम भी कम है."
ये किसके लिए है?
रोश के मुताबिक, ये एंटीबॉडी कॉकटेल "हाई रिस्क वाले हल्के से मध्यम COVID मरीजों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा."
‘हाई रिस्क’ से उनका मतलब उन लोगों से है जो इम्युनोकॉम्प्रोमाइज्ड हैं या गंभीर को-मोर्बिड जैसे क्रोनिक किडनी डिजीज, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और थैलेसीमिया से पीड़ित हैं.
वे आगे निर्दिष्ट करते हैं कि ये वयस्कों और बच्चों (12 साल से ज्यादा, कम से कम 40 किलोग्राम वजन) के लिए है, जिनके COVID से संक्रमित होने की पुष्टि की गई है.
गोपाल कहते हैं, "इसके फेज 3 ट्रायल डेटा से पता चला है कि उपचार वास्तव में अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को 70-71% तक कम कर देता है."
अमेरिका में इसे मंजूरी मिली है और यूरोप में ये अस्पताल में भर्ती न होने वाले मरीजों के लिए अधिकृत है.
क्या इसका कोई दूसरा पहलू भी है?
“महामारी के दौरान विकसित की गई किसी भी नई चिकित्सा की तरह ये भी फास्ट-ट्रैकिंग और इमरजेंसी अप्रूवल के साथ आई है- ये सभी डॉक्टरों को कुछ आशंकाएं देती हैं.”डॉ भारत गोपाल, सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली
वो ये कहते हुए इसे समझाते हैं, "कृपया समझें कि ये हल्के से मध्यम COVID-19 मरीजों के इलाज की एक दवा है, जिनमें गंभीर COVID-19 और / या अस्पताल में भर्ती होने का हाई रिस्क हो."
“ये उन लोगों के लिए नहीं है जो COVID-19 के कारण अस्पताल में भर्ती हैं, या जिन्हें COVID-19 के कारण ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत है, या जिन्हें COVID-19 में को-मोर्बिडिटी की वजह से दी जा रही क्रोनिक ऑक्सीजन थेरेपी में बेसलाइन ऑक्सीजन फ्लो रेट बढ़ाने की जरूरत है.”डॉ भारत गोपाल, सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजी, फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली
"इसलिए, मरीज का चयन और प्रारंभिक शुरुआत इस थेरेपी के सफल इस्तेमाल की कुंजी होगी." वे कहते हैं.
डॉ गोपाल को ये भी डर है कि "बिना सोचे समझे इस्तेमाल से उन लोगों को कमी हो सकती है, जो असल में इससे लाभान्वित हो सकते हैं."
एक और कमी ट्रीटमेंट की भारी कीमत है. जैसा कि बताया गया है, एंटीबॉडी कॉकटेल की सिंगल डोज की कीमत 59,750 रुपये है, और दो-डोज मल्टीपैक (2 व्यक्तियों के लिए) 1,19,500 रुपये के एमआरपी पर बिकता है- एक कीमत जो स्पष्ट रूप से देश की आबादी के एक बड़े हिस्से की पहुंच से परे है.
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
डॉ गोपाल के मुताबिक, अस्पताल में कम भर्ती होने का मतलब स्वास्थ्य सुविधाओं पर कम दबाव होगा जैसा की केस बढ़ने पर भारत को झेलना पड़ा.
दोनों कंपनियों के संयुक्त बयान के मुताबिक ये ट्रीटमेंट, "संभावित रूप से 200,000 मरीजों को लाभान्वित कर सकता है क्योंकि भारत में उपलब्ध 100,000 पैक प्रत्येक 2 मरीजों के लिए इस्तेमाल हो सकेगा."
ट्रीटमेंट का दूसरा बैच जून के मध्य तक बाजार में उपलब्ध होने की संभावना है.
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