फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के मुताबिक देश में बिकने वाला करीब 10% दूध पीने लायक नहीं है. सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने देशभर में दूध में मिलावट पर एक सर्वे किया.
सर्वे में पता चला कि 39% दूध के सैंपल में गुणवत्ता के मानकों का पालन नहीं किया गया था. वहीं 9.9% नमूने सेवन के लिहाज से असुरक्षित पाए गए.
स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने एक सवाल के जवाब में जानकारी दी कि नेशनल मिल्क सेफ्टी एंड क्वालिटी सर्वे 2018 इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि भारत में बड़े स्तर पर दूध सुरक्षित है. उन्होंने बताया कि FSSAI ने मई 2018 में सर्वे की शुरूआत की थी. इसकी अंतरिम रिपोर्ट 13 नवंबर को जारी की गई.
इस सर्वे के मुताबिक भारत में बिकने वाला करीब 10 फीसदी दूध हमारी सेहत के लिए हानिकारक है.
इस 10 प्रतिशत में 40% मात्रा पैकेज्ड मिल्क की है, जो हमारे हर दिन के खाने में इस्तेमाल होता है.
खतरनाक है मिलावटी दूध पीना
डॉक्टर्स का कहना है कि करीब दो साल तक लगातार मिलावटी दूध पीते रहने पर लोग इंटेस्टाइन, लिवर या किडनी डैमेज जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं.
यह 10% कॉन्टैमिनेटेड मिल्क यानी दूषित दूध वह है, जिसे मात्रा में ज्यादा दिखाने के लिए इसमें यूरिया, वेजिटेबल ऑयल, ग्लूकोज या अमोनियम सल्फेट जैसे केमिकल मिला दिए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बहुत ही नुकसानदायक हैं.
मिलावटी दूध से किडनी डैमेज और कैंसर का खतरा
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर जीएस लांबा कहते हैं:
“मिलावटी या कॉन्टैमिनेटेड दूध से होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि कॉन्टैमिनेशन कैसा है. अगर दूध में बैक्टीरियल कॉन्टैमिनेशन है, तो आपको फूड प्वाइजनिंग, पेट दर्द, डायरिया, इंटेस्टाइन इंफेक्शन, टाइफाइड, उल्टी, लूज मोशन जैसे इंफेक्शन होने का डर होता है.”
उन्होंने कहा, "कई बार मिनरल्स की मिलावट होने पर हाथों में झनझनाहट या जोड़ों में दर्द भी शुरू हो जाता है. वहीं अगर दूध में कीटनाशक या केमिकल्स की मिलावट है या पैकेजिंग में गड़बड़ है, तो इसका आपके पूरे शरीर पर लंबे समय के लिए बहुत खराब असर पड़ता है. इस तरह के मिलावटी दूध को काफी समय से यानी करीब दो साल से लगातार पीते रहने पर आप इंटेस्टाइन, लिवर या किडनी डैमेज जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं."
पुष्पावती सिंघानिया हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स डॉक्टर अंजलि जैन बताती हैं:
इस तरह के कॉन्टैमिनेटेड दूध में कुछ ऐसे केमिकल की मिलावट भी होती है, जिनसे कार्सियोजेनिक समस्याएं भी हो सकती हैं. अगर आप करीब 10 साल तक मिलावटी मिल्क प्रोडक्ट ले रहे हैं, तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतर हो सकता है.
मिलावट है, पर आप क्या कर सकते हैं?
हालांकि दूध में किसी भी तरह की मिलावट के लिए उम्र कैद की सजा तय की गई है, फिर भी इस तरह की स्टडी रिजल्ट्स का आना उन सबके लिए चिंता का विषय है, जो अपनी रोजाना की लाइफ में पैकेज्ड दूध का इस्तेमाल करते हैं. पैकेज्ड दूध की क्वालिटी पर हमारा कोई नियंत्रण तो नहीं होता, पर कुछ छोटी-छोटी बातों को अपनाकर हम उसके दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं.
टेट्रा पैक प्लास्टिक पैक से बेहतर
धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉक्टर गौरव के अनुसार, "पॉस्चराइज्ड दूध होता ही इसलिए है, ताकि आपकी सेहत को उससे कोई नुकसान न पहुंचे. लेकिन अगर वो भी कॉन्टैमिनेटेड हो, तो आप इसमें बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकते."
हां, टेट्रा पैक को प्रमुखता देकर आप कुछ हद तक इससे बच सकते हैं. चूंकि टेट्रा पैक के अंदर प्लास्टिक एक्सपोजर्स कम होते हैं, तो वह प्लास्टिक पैक से कम दूषित होता है.डॉ गौरव, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल
उबाल कर ही यूज करें दूध
डॉक्टर जी. एस. लांबा का भी मानना है कि दूध को सही तरह से उबालकर आप इसमें सिंपल इंफेक्शन वाले बैक्टीरिया को हटा सकते हैं. इसके अलावा इसे हमेशा रेफ्रीजेरेट करके रखें और भूलकर भी खुला न छोड़ें.
(इनपुट- भाषा और आईएएनएस)
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