ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID-19 से मौत के मामलों में इस तरह होता है अंतिम संस्कार

हेल्थ केयर वर्कर्स और परिवार के सदस्यों को इन बातों का ख्याल रखना चाहिए.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

भारत में शनिवार तक कोरोनावायरस डिजीज-2019 (COVID-19) से मरने वालों की संख्या 19 हो गई, जबकि कन्फर्म केस 800 के पार पहुंच गए.

COVID-19 के कारण जिनकी मौत हो जाए, उनके शव को कैसे संभालना है या अंतिम संस्कार के लिए कैसे ले जाना है, हेल्थ केयर वर्कर्स और परिवार के सदस्यों को किन बातों का ख्याल रखना है, इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या शव से भी संक्रमण का खतरा हो सकता है?

नोवल कोरोनावायरस का ट्रांसमिशन मुख्य रूप से संक्रमित लोगों के ड्रॉपलेट से होता है. स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक सभी जरूरी सावधानियां बरतने वाले हेल्थकेयर वर्कर या परिवार के सदस्यों को डेड बॉडी से नोवल कोरोनोवायरस के इंफेक्शन का खतरा होने की आशंका न के बराबर है.

वहीं ऐसे मामलों में अगर ऑटोप्सी की जाती है, तो फेफड़ों से संक्रमण का खतरा हो सकता है.

जब संक्रमित रहे शख्स के शव की बात आती है, तो हमें कुछ सावधानियां बरतनी होती हैं. शव से संक्रमण का खतरा माना जाता है, जब तक कि खतरा न होने की बात साबित न हो जाए.
डॉ (ब्रिगेडियर) अनिल खेत्रपाल, डिप्टी चीफ- मेडिकल सर्विसेज एंड चेयरपर्सन, डिपार्टमेंट ऑफ ब्लड बैंक एंड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, आर्टेमिस हॉस्पिटल

डॉ खेत्रपाल बताते हैं, "मैं सशस्त्र बलों के साथ एक पैथोलॉजिस्ट था और वहां एक नीति के तौर पर, अगर किसी भी मरीज की मृत्यु हो जाती है तो ऑटोप्सी करनी होती है. मैंने वहां सैकड़ों ऐसी ऑटोप्सी की हैं, जिनमें संक्रामक रोगों के मामले भी शामिल रहे हैं."

COVID-19 से मौत के मामलों के लिए वो कहते हैं कि किसी भी तरह के संक्रमण के लिए नियम समान हैं.

COVID-19 से पेशेंट की मौत के बाद हेल्थकेयर वर्कर्स को क्या सावधानियां बरतनी हैं?

  1. हाथों की साफ-सफाई
  2. पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विप्मेंट का इस्तेमाल (वाटर-रेजिस्टेंट एप्रन, ग्लव्स, मास्क, आईवियर)
  3. सूई और दूसरी चीजों की सुरक्षित हैंडलिंग
  4. शव को जिस बैग में रखा गया; पेशेंट के लिए जो मेडिकल उपकरण इस्तेमाल किए गए, उन्हें डिसइन्फेट करना
  5. चादर और उस जगह को डिसइन्फेक्ट करना

डॉ खेत्रपाल कहते हैं, "इस दौरान हैंड हाइजीन का ख्याल रखना होता है, वाटर-रेजिस्टेंट एप्रन, ग्लव्स, आईवियर, गमबूट और N95 मास्क पहनना होता है."

डेडबॉडी और उसके आसपास वाली जगह को साफ करना और डिसइन्फेक्ट करना ही होता है. जिन उपकरणों का इस्तेमाल किया गया, उन्हें साफ करने की जरूरत होती है और कोई बायोमेडिकल वेस्ट है, तो उसे प्लास्टिक में लपेटकर डिस्पोज करना होता है.

एक जरूरी बात यह है कि रोगी के फेफड़ों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है क्योंकि वे अभी भी संक्रमित हो सकते हैं. COVID-19 एक संक्रामक श्वसन रोग है और डॉ खेत्रपाल बताते हैं,

COVID-19 में सबसे ज्यादा क्षति फेफड़ों को पहुंचती है. एक बार ऐसा होने के बाद, फेफड़े से सभी प्रकार के स्राव (एक तरह के पदार्थ का निकलना) होंगे क्योंकि फेफड़े के ऊतक संक्रमित हैं. इसलिए जब कोई फेफड़ों को सीधे न भी छू रहा हो, लेकिन उन स्राव से ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है.

वो बताते हैं कि मुंह से निकले पदार्थ या पेशेंट के मुंह या गले में डाले गए ट्यूब और श्वसन तंत्र के किसी भी हिस्से से हुए स्राव से संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसलिए ऑटोप्सी के दौरान ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अंतिम संस्कार के दौरान भी जरूरी है सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन

एक बार जब डेडबॉडी की साफ-सफाई हो जाती है और अंतिम संस्कार के लिए ले जाना होता है, तो कुछ और बातें भी हैं, जिनका हेल्थकेयर वर्कर्स को ख्याल रखना चाहिए.

आइसोलेशन एरिया, मुर्दाघर, एंबुलेंस के स्टाफ और जो वर्कर बॉडी को शमशान या क्रबिस्तान ले जा रहे हों, वो इन्फेक्शन प्रिवेंशन कंट्रोल में प्रशिक्षित होने चाहिए और सरकारी निर्देशों की जानकारी होनी चाहिए.

डॉ खेत्रपाल के मुताबिक डेडबॉडी को अस्पताल से ले जाते वक्त भी खास ख्याल रखना चाहिए.

शव को प्लास्टिक बॉडी बैग में रखना होता है और उस बैग को 1 प्रतिशत सोडियम हाइपोक्लोराइट से डिसइन्फेक्ट किया जाना चाहिए. बॉडी बैग को एक चादर से ढका जाना चाहिए.

इस बात पर ध्यान देने की जरूरत होती है कि बॉडी से किसी तरल पदार्थ का रिसाव न हो.

वहीं परिवार के सदस्यों और अंतिम संस्कार में शामिल लोगों को कुछ दिशा-निर्देश दिए जाने की जरूरत होती है ताकि वो संक्रमित न हों.

नियम के मुताबिक परिवार के लोगों को शव से लिपटना नहीं चाहिए या उसे चूमना नहीं चाहिए. ये जानकारी होना महत्वपूर्ण है ताकि वे शव से निकले किसी पदार्थ के संपर्क में न आएं.
डॉ खेत्रपाल

शमशान घाट या कब्रिस्तान में कम से कम लोगों को मौजूद होना चाहिए. सोशल डिस्टेन्सिंग का ख्याल रखा जाना चाहिए और कम से कम 1-2 मीटर की दूरी रखनी चाहिए.

शव को नहलाना या शव को छूने वाले किसी रिवाज की मंजूरी नहीं है. धार्मिक अनुष्ठान, पवित्र जल का छिड़काव या अंतिम संस्कार से जुड़ी दूसरी क्रियाएं (जिसमें शव को छूना शामिल न हो) सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार मान्य हैं.

हैंड हाइजीन और संक्रमण से बचाव के सभी उपाय परिवार द्वारा अपनाए जाने चाहिए और किसी को भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए. अंतिम संस्कार के बाद मौजूद सभी लोगों को अपने हाथ अच्छे से धोने चाहिए.

अगर शव को जलाया जा रहा है, तो उसकी राख से संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता और उसे लेकर अंतिम संस्कार के रिवाज पूरे किए जा सकते हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×