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क्या है इंसेफेलाइटिस, जिसके कारण बिहार में जा रही बच्चों की जान

इसका इलाज नहीं है, इसलिए बचाव के तरीके जान लीजिए...

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बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से अब तक 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है, तेज बुखार के बाद कई बच्चों ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ा, तो कुछ अस्पताल पहुंचने से पहले ही चल बसे. बिहार के मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में चमकी बुखार की दहशत है. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) और जापानी इंसेफलाइटिस (JE) को बिहार में 'चमकी' बुखार के नाम से जाना जाता है.

डॉक्टर और अधिकारी चमकी तेज बुखार के साथ हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड में शुगर की कमी) से मौत की बात कह रहे हैं.

जापानी इंसेफेलाइटिस, एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम, दिमागी बुखार या चमकी बुखार कह लीजिए. इसकी वजह से पूर्वी यूपी और बिहार हर साल चर्चा में आता है. लेकिन अब तक ये साफ नहीं हो सका है कि इसकी असल वजह क्या है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कुपोषण, गंदगी, तेज उमस वाली गर्मी और कमजोर इम्यूनिटी में इसका शिकार होने की ज्यादा आशंका होती है.

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क्या है इंसेफेलाइटिस?

मैक्स सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत में इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट और हेड डॉ चंद्रिल चुग बताते हैं कि सरल शब्दों में इंसेफेलाइटिस दिमाग की सूजन है. समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो इससे जान भी जा सकती है.

ये दिमाग को प्रभावित करने वाला ज्यादातर वायरल संक्रमण होता है. हालांकि बैक्टीरियल इंफेक्शन और गैर-संक्रामक इंफ्लेमेटरी कंडिशन से भी इंसेफेलाइटिस हो सकता है. 

इसकी वजह से इंसान कोमा में जा सकता है, शारीरिक या मानसिक विक्षिप्तता का शिकार भी हो सकता है.

वहीं इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के बीच क्या अंतर है? इस सवाल पर मैक्स सुपरस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत में पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल कसल्टेंट डॉ एस. के अरोड़ा स्पष्ट करती हैं कि जब ये साफ न हो कि असल में बीमारी क्या है, लेकिन लक्षण दिमागी बुखार या इंसेफेलाइटिस के हों, तो इसे एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) कहते हैं.

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इंसेफेलाइटिस का कारण?

इस बीमारी का कारण वायरल इंफेक्शन बताया जाता है. गोरखपुर में 2005 से इंसेफेलाइटिस उन्मूलन अभियान चला रहे डॉक्टर आरएन सिंह बताते हैं कि इंसेफेलाइटिस के अभी तक तीन कारणों का पता चला है.

1. जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस का संक्रमण

इसके ज्यादातर मामले एशिया में देखे जाते हैं. ये मच्छर के काटने से होता है. इससे बचाव का टीका उपलब्ध है.

2. एंटरोवायरल इंसेफेलाइटिस (Enteroviral Encephalitis)

इसका संक्रमण असुरक्षित और दूषित पानी पीने से होता है. इसके लिए पूरी दुनिया में कोई वैक्सीन नहीं है. इसका भी इलाज नहीं किया जा सकता.

3. स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus)

इंसेफेलाइटिस के कुल मामलों में 2 फीसदी केस स्क्रब टाइफस के कारण होते हैं. ये बैक्टीरिया या पैरासाइट से होने वाला संक्रमण है.

डॉ चंद्रिल बताते हैं:

ज्यादातर इंसेफेलाइटिस वायरल होते हैं, हालांकि बैक्टीरियल इंफेक्शन को भी इंसेफेलाइटिस का कारण देखा गया है. सबसे कॉमन कारण जापानी इंसेफेलाइटिस है, जो मच्छरों से फैलता है. एंटरोवायरस जैसे दूसरे वायरस दूषित पानी से फैल सकते हैं. इनसे इंफेक्टेड होने के बाद पेशेंट के स्राव और लार के जरिए दूसरे भी इससे इनसे संक्रमित हो सकते हैं.
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इंसेफेलाइटिस के लक्षण

मेयो क्लिनिक के मुताबिक वायरल इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त मरीजों में फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे:

  • सिर दर्द
  • बुखार
  • मांसपेशियों और जोड़ो में दर्द
  • कमजोरी और थकान

जब गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है इंसेफेलाइटिस:

  • कुछ समझ में न आना
  • बोलने या सुनने में दिक्कत
  • लकवा मारना
  • होश में न रहना

बच्चों में इसके ये लक्षण भी देखे जाते हैं:

  • उल्टी या मिचली
  • शरीर अकड़ना
  • भूख न लगना
  • चिड़ाचिड़ापन
ऐसे लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत होती है. साल 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत पर कई डॉक्टरों ने कहा था बीमारी की लास्ट स्टेज पर बच्चों को अस्पताल लाया जाता है. ऐसे में उन्हें बचाना बेहद मुश्किल होता है.
जानिए बिहार में इस साल 150 से ज्यादा बच्चों की जान ले चुके इंसेफेलाइटिस के बारे में सब कुछ.
इंसेफेलाइटिस के लक्षणों का इलाज होता है.
(फोटो: द क्विंट/मान्वी)
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इंसेफेलाइटिस का इलाज?

तेज बुखार, तेज सिर दर्द और बेहोशी के मामलों में तुरंत मेडिकल देखभाल की जरूरत होती है.

डॉ चंद्रिल बताते हैं कि तुरंत मेडिकल केयर से जान बचाई जा सकती है. इंसेफेलाइटिस के इलाज में पर्याप्त हाइड्रेशन, पोषण, बुखार और दौरे को कंट्रोल करना शामिल है. कुछ मरीजों को ब्रीदिंग सपोर्ट और आईसीयू केयर की जरूरत हो सकती है. 

मुजफ्फरपुर में सिविल सर्जन डॉ शैलेश सिंह ने फिट से बातचीत में इन मामलों में जल्द से जल्द इलाज की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इलाज में देरी से मौत का खतरा बढ़ जाता है.

वहीं डॉ आरएन सिंह इसको लेकर जागरुकता पर जोर देने की बात कहते हैं:

बचाव ही इंसेफेलाइटिस का इलाज हो सकता है और इसके लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.
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इंसेफेलाइटिस से बचाव

  • स्वच्छता का ध्यान दें.
  • मच्छरों से बचें. इसके लिए घर के पास फॉगिंग और मच्छरों का घनत्व कम करने के उपाय अपनाने होंगे.
  • टीकाकरण.
  • सुअर बाड़े को आबादी से 3 किलोमीटर दूर स्थापित करना.
  • सुरक्षित और शुद्ध पेय जल का इस्तेमाल करना.

वहीं मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से सलाह दी गई है कि बच्चों को भूखे पेट न सोने दिया जाए और तेज गर्मी में बाहर जाने या खेलने से रोका जाए. बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिमागी बुखार को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है.

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इंसेफेलाइटिस सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश या बिहार में नहीं है. बल्कि करीब-करीब 19 राज्य इससे प्रभावित होते हैं. यूपी, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल में इसके ज्यादा मामले सामने आते हैं. इसलिए राष्ट्रीय इंसेफेलाइटिस उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए. 
डॉ आरएन सिंह, गोरखपुर
जानिए बिहार में इस साल 150 से ज्यादा बच्चों की जान ले चुके इंसेफेलाइटिस के बारे में सब कुछ.
मॉनसून और पोस्ट मॉनसून यानी जुलाई से अक्टूबर के दौरान ये बीमारी अपने चरम पर होती है
(फोटो: नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजिज कंट्रोल प्रोग्राम)

डॉ आरएन सिंह ने बताया कि पहले एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) या इंसेफेलाइटिस का कारण ज्यादातर जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) को समझा जाता था. जिसके लिए टीकाकरण अभियान चलाया गया, लेकिन इसका टीका लगने के बाद भी जब हो रही मौतों में कोई खास कमी नहीं दिखी.

तब इंसेफेलाइटिस पर अध्ययन करने के लिए भारत सरकार से गोरखपुर में NIV (National Institute of Virology) का ब्रांच खोलने की सिफारिश की गई. साथ ही सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) की ओर से एक्सपर्ट की टीम को भी बुलाने की बात कही गई.

दुश्मन (इंसेफेलाइटिस के कारण) की पहचान किए बगैर जंग की तैयारी कैसे की जा सकती है? इसीलिए सरकार से गोरखपुर में NIV, पुणे का ब्रांच खोलने और CDC की टीम को बुलाने की मांग रखी.
डॉ आरएन सिंह, गोरखपुर में इंसेफेलाइटिस उन्मूलन अभियान के चीफ कैंपेनर

NIV और CDC ने इस पर संयुक्त अध्ययन किया. ये पाया गया कि इंसेफेलाइटिस के सभी मामले जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस के नहीं होते, ये जलजनित एंटरोवायरल इंसेफेलाइटिस के भी होते हैं. देवरिया से लिए गए पानी के सैंपल में एंटरो वायरस पाया गया, जो एक्यूट इंसेफेलाइटिस का कारण हो सकता है. हालांकि पुख्ता तौर पर कुछ कहने की बजाए इस पर और अध्ययन की बात कही गई.

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