आमतौर पर महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही बरतती हैं. उनका खुद का स्वास्थ्य परिवार में सबसे बाद में आता है. ऐसे में पहले से कुछ मेडिकल टेस्ट कराने की बात को बेहद कम ही अहमियत दी जाती है.
हालांकि रेगुलर मेडिकल चेकअप सभी के लिए जरूरी है, इससे न केवल बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है बल्कि किसी बीमारी का संकेत मिलते ही तुरंत इलाज करना भी आसान होता
वर्ल्ड हेल्थ डे के मौके पर जानिए वो कौन से टेस्ट हैं, जिन्हें हर महिला को एक उम्र के बाद जरूर कराना चाहिए.
1. कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC)

एनीमिया, इंफेक्शन और कुछ तरह के कैंसर का पता लगाने के लिए ये टेस्ट किया जाता है. ये टेस्ट 20 की उम्र के बाद भारतीय महिलाओं के लिए और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि भारत में ज्यादातर महिलाओं में आयरन की कमी देखी गई है, जिन्हें सप्लीमेंट दिए जाने की जरूरत है.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे, 2016 में पाया गया था कि 53.2 फीसदी गैर-गर्भवती महिलाएं और 50.4 फीसदी गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं.
अगर CBC ठीक है, तो ये टेस्ट हर साल एक बार कराते रहना चाहिए.
2. थायराइड फंक्शन टेस्ट

ये ब्लड टेस्ट हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म का पता लगाने के लिए होता है. अगर रिजल्ट नॉर्मल आता है, तो साल में एक बार ये टेस्ट कराने को कहा जाता है.
थायराइड इंडिया के मुताबिक पुरुषों की तुलना में थायराइड डिसऑर्डर महिलाओं में तीन गुना ज्यादा आम है.
भारत में हर 10 में से 1 व्यस्क हाइपोथायराइडिज्म से जूझता है.
35 की उम्र के बाद हाइपोथायराइडिज्म का खतरा बढ़ जाता है. सबसे जरूरी बात ये है कि हर 3 में से एक हाइपोथायराइड पेशेंट को अपनी हालत के बारे में पता नहीं होता.
फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग से डॉ प्रेरणा लखवानी बताती हैं कि थॉयराइड की दिक्कत किसी भी उम्र में हो सकती है. 20 की उम्र के बाद रूटीन हेल्थ चेकअप में थॉयराइड टेस्ट करा लेना चाहिए.
3. पैप स्मीयर टेस्ट
इसके जरिए सर्विक्स में प्री-कैंसरकारक बदलाव का पता लगाया जा सकता है. ये टेस्ट 21 की उम्र के बाद खासकर सेक्सुअली एक्टिव हर महिला को कराने की सलाह दी जाती है.
30 की उम्र के बाद अगर लगातार 3 साल टेस्ट रिजल्ट नॉर्मल आते हैं, तो इसे हर 3-5 साल पर दोहराया जा सकता है.
आदर्श रूप में पैप स्मीयर टेस्ट एचपीवी टेस्ट के साथ होना चाहिए.
4. मैमोग्राम

ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ प्रेरणा बताती हैं कि 40 की उम्र के बाद मैमोग्राफी बेहद अहम हो जाती है. अगर पिछली मैमोग्राफी नॉर्मल रही हो, तो 40 की उम्र के बाद महिलाओं को हर दो साल पर मैमोग्राफी करानी चाहिए,
जिन महिलाओं में कैंसर का कोई पारिवारिक इतिहास रहा हो, उन्हें 20 साल की उम्र से ही हर 3 साल में जांच करानी चाहिए और ऐसी महिलाओं को 40 की उम्र के बाद हर साल ये जांच करानी चाहिए.
5.कैल्शियम और विटामिन D का टेस्ट

कैल्शियम के टेस्ट में ब्लड टेस्ट के जरिए बोन मेटाबॉलिज्म देखा जाता है. मेनोपॉज के बाद ये टेस्ट महिलाओं के लिए और अहम हो जाता है क्योंकि उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक रहता है.
विटामिन डी की कमी से बोन लॉस और आगे चलकर ऑस्टिपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है.
6. सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच
सेक्सुअली एक्टिव होने के बाद हर महिला को एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन की जांच करानी चाहिए. ये टेस्ट और भी जरूरी हो जाते हैं, अगर आप प्रेग्नेंसी की तैयारी में हैं.
7. लिपिड प्रोफाइल

इससे आपके दिल की सेहत का हाल बयां होता है. इस ब्लड टेस्ट में आपके कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एचडीएल और एलडीएल लेवल का पता चलता है.
आमतौर पर टेस्ट रिजल्ट नॉर्मल आने के बाद हर 2 साल पर और अगर आप मोटापे, दिल से जुड़ी किसी बीमारी या डायबिटीज से ग्रस्त हैं, तो साल में एक बार ये टेस्ट कराने को कहा जाता है.
8. पेट का अल्ट्रासाउंड
डॉ प्रेरणा लखवानी 30 की उम्र के बाद पेट का अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देती हैं. वो बताती हैं ओवेरियन और यूटरस कैंसर के मामले में पेट के अल्ट्रासाउंड से कुछ संकेत मिल सकते हैं. जिसके बाद आगे और टेस्ट कराए जा सकते हैं.
वजन और बीपी पर भी दें ध्यान

एक्सपर्ट बताते हैं कि आमतौर पर सभी को अक्सर अपना वजन लेते रहना चाहिए क्योंकि बहुत ज्यादा वजन आगे चलकर कई बीमारियों का कारण बन सकता है. इसके अलावा तेजी से वजन घटना या बढ़ना कई बीमारियों का लक्षण होता है.
इसके साथ ही ब्लड प्रेशर भी चेक कराना जरूरी होता है. सिर्फ ब्लड प्रेशर का रेगुलर चेकअप करके बहुत सी गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है. लंबे वक्त तक ब्लड प्रेशर हाई रहना ना सिर्फ हार्ट पेशेंट बना सकता है बल्कि कई और खतरनाक बीमारियों की चपेट में ले सकता है.
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