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चर्चा में ट्रंप का कॉग्निटिव टेस्ट, समझिए क्या है ये दिमागी टेस्ट

ट्रंप ने हाल ही कॉग्निटिव टेस्ट देने और उसमें सफल होने का दावा किया है

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को बताया कि हाल ही में उन्होंने वाल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर में अपनी ‘दिमाग की तेजी’ को मापने वाला एक टेस्ट कराया और इसमें कामयाब हुए. उन्होंने डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन को भी ये टेस्ट कराने की सलाह दी है. अमेरिका में चुनाव होने में अब 5 महीने से भी कम समय बाकी है. ट्रंप हमेशा बाइडन की फिटनेस पर तंज करते हैं.

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74 साल के ट्रंप ने दावा किया कि ‘कॉग्निटिव टेस्ट ’ (Cognitive test) में उनकी सफलता ने उनके डॉक्टरों को आश्चर्यचकित कर दिया. उनके मुताबिक डॉक्टरों ने ये तक कह डाला कि इस टेस्ट में जो रिजल्ट उन्होंने दिया वैसा बहुत कम लोग ही कर पाते हैं.

डोनाल्ड ट्रंप के मानसिक स्वास्थ्य, सेहत पर विरोधी और कुछ डॉक्टर लगातार सवाल उठाते रहे हैं. ऐसे में वो राष्ट्रपति पद का कार्यभार संभालने के लिए मानसिक रूप से दुरुस्त हैं, ये बताना भी उनका मकसद था.

लेकिन क्या ‘कॉग्निटिव टेस्ट’ किसी की इंटेलिजेंस को मापने वाला टेस्ट है? इसकी जरूरत किसे पड़ती है? इसके बारे में हम विस्तार से समझते हैं.

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कॉग्निटिव टेस्ट क्या है?

कॉग्निटिव टेस्ट किसी के दिमाग के काम करने की क्षमता परखता है. इसमें ये परखा जाता है कि किसी शख्स की याद्दाश्त, जजमेंट, किसी चीज पर ध्यान देने और नई चीजें सीखने की क्षमता कैसी है. ये क्षमता अगर कमजोर होने लगती है तो इसे एक समस्या के तौर पर देखा जाता है, जिसे ‘कॉग्निटिव एम्पेयरमेंट’ (cognitive impairment) कहा जाता है. ये समस्या हल्के से गंभीर तक हो सकती है.

‘कॉग्निटिव एम्पेयरमेंट’ के कई कारण हो सकते हैं. इनमें दवाओं के साइड इफेक्ट्स, डिप्रेशन और डिमेंशिया शामिल हैं. डिमेंशिया एक तरह का मानसिक विकार है.

कॉग्निटिव टेस्ट, एम्पेयरमेंट का कोई खास कारण नहीं बता सकता है. लेकिन ये पता लगाने में मदद कर सकता है कि क्या आपको समस्या का समाधान करने के लिए ज्यादा टेस्ट और/या कदम उठाने की जरूरत है.

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट(गुरुग्राम) में न्यूरोलॉजी डायरेक्टर और हेड डॉ. प्रवीण गुप्ता कहते हैं- ये टेस्ट ज्यादातर दिमाग पर चोट लगने, बुजुर्गों में डिमेंशिया जांचने और बच्चों के इंटलेक्चुअल इवैलुएशन के लिए किए जाते हैं. ये इंटेलिजेंस मापने के लिए नहीं किया जाता. टेस्ट कराने के लिए डिफाइन्ड पर्पज (Defined purpose) यानी परिभाषित मकसद होते हैं. हालांकि कोई भी अगर इसे कराना चाहे तो रोक नहीं है.

उदाहरण के लिए दिमाग पर चोट लगने पर इस टेस्ट से पता चलता है कि किस हिस्से पर कैसा असर पड़ा है और उस आधार पर थेरेपी, एक्सरसाइज और मेडिकेशन दिया जा सकता है.

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क्या कॉग्निटिव टेस्ट मेंटल हेल्थ जांचने के लिए किया जाता है?

इस बारे में डॉ. प्रवीण गुप्ता कहते हैं- इसे मेंटल हेल्थ से सीधे जोड़ना सही नहीं होगा. डिप्रेशन और एंग्जायटी से जुड़े टेस्ट अलग होते हैं. कॉग्निटिव टेस्ट ब्रेन के सिस्टम के लिए काम करते हैं जो दिमाग के काम करने की क्षमता (ब्रेन फंक्शनल एबिलिटी) बताते हैं. ये टेस्ट ब्रेन हेल्थ से जुड़ा है. शब्दों को कैसे भाषा में बदलते हैं, नाम कैसे याद रखते हैं, किसी चीज को देखकर नाम से जोड़ना इन सब के लिए दिमाग के अलग-अलग हिस्से काम करते हैं और ये उन्हीं का इवैलुएशन होता है कि कौन सा हिस्सा काम कर रहा है और कौन सा नहीं.

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कॉग्निटिव टेस्ट की जरूरत क्यों पड़ती है?

कॉग्निटिव एम्पेयरमेंट (Cognitive impairment) के लक्षण दिखने पर कॉग्निटिव टेस्ट की जरूरत पड़ती है. कॉग्निटिव एम्पेयरमेंट के लक्षणों में शामिल है:

  • महत्वपूर्ण घटनाओं को भूल जाना
  • अक्सर चीजें खो देना
  • उन शब्दों को भी बोलने में परेशानी होना जो आप आमतौर पर इस्तेमाल करते हैं
  • बातचीत, फिल्मों, या किताबें पढ़ने के दौरान भूल जाना
  • चिड़चिड़ापन और चिंता

आप इन लक्षणों में से किसी को भी नोटिस करते हैं, तो इस टेस्ट की जरूरत हो सकती है.

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डॉ. प्रवीण गुप्ता कहते हैं- ये टेस्ट किसी भी उम्र में कराई जा सकती है. लेकिन हर उम्र के लिए कॉग्निटिव डेटा अलग होता है और उनके आधार पर अलग-अलग उम्र के लोगों के लिए अलग-अलग टेस्ट किए जाते हैं.

कॉग्निटिव टेस्ट के दौरान क्या होता है?

टेस्ट में सवालों की सीरीज होती है और काफी आसान टास्क या मेंटल एक्सरसाइज होते हैं. ये टास्क याद्दाश्त, भाषा और चीजों को पहचानने की क्षमता जैसे मेंटल फंक्शन को मापने में मदद करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. तय समय सीमा के अंदर उन टास्क को करना होता है.

ट्रंप ने हाल ही कॉग्निटिव टेस्ट देने और उसमें सफल होने का दावा किया है
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कॉग्निटिव टेस्ट के प्रकार

कॉग्निटिव टेस्ट के कई प्रकार होते हैं. इनमें सबसे कॉमन हैं-

  • मॉन्ट्रियल कॉग्निटिव असेसमेंट (MoCA)
  • मिनी-मेंटल स्टेट एग्जाम (MMSE)
  • मिनी-कॉग

मॉन्ट्रियल कॉग्निटिव असेसमेंट (MoCA)

10-15 मिनट का टेस्ट जिसमें शब्दों की एक छोटी लिस्ट को याद करना, किसी जानवर की तस्वीर की पहचान करना और किसी आकृति या सामान की ड्रॉइंग की कॉपी करना शामिल है. ये माइल्ड कॉग्निटिव एम्पेयरमेंट के बारे में पता लगाने के लिए किया जाता है.

मिनी-मेंटल स्टेट एग्जाम (MMSE)

7-10 मिनट का टेस्ट जिसमें करेंट डेट बताना, उल्टी गिनती और पेंसिल या घड़ी जैसी रोजमर्रा की चीजों की पहचान करना शामिल है. ये ज्यादा सीरियस केस के बारे में पता लगाने के लिए किया जाता है.

मिनी-कॉग

3-5 मिनट का टेस्ट जिसमें चीजों की तीन-शब्द की लिस्ट को याद करना और एक घड़ी की ड्रॉइंग बनाना शामिल है. ये आसानी से किया जाने वाला टेस्ट है.

स्थिति के आधार पर हेल्थ केयर प्रोवाइडर एक या उससे ज्यादा तरह के टेस्ट कर सकते हैं.

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FAQ- कॉग्निटिव टेस्ट से जुड़े कुछ आम सवाल

क्या इस टेस्ट में दवाएं भी शामिल होती हैं?

टेस्ट के बाद पता चलता है कि लक्षण क्यों नजर आ रहे हैं. डिमेंशिया, स्यूडो डिमेंशिया, डिप्रेशन के बारे में पता चलने पर उसके आधार पर दवा लेने की सलाह दी जाती है. साइकोलॉजिस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट की सलाह पर ही दवा लेनी चाहिए.

क्या ये टेस्ट कोई भी करा सकता है?

ये टेस्ट कोई भी इंसान कराना चाहे तो करा सकता है. इसमें कोई केमिकल, लिक्विड, दवा, स्कैन, रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता. ये बिल्कुल एग्जाम देने जैसा होता है.

ये टेस्ट कोई भी इंसान कराना चाहे तो करा सकता है. इसमें कोई केमिकल, लिक्विड, दवा, स्कैन, रेडिएशन का इस्तेमाल नहीं किया जाता. ये बिल्कुल एग्जाम देने जैसा होता है.

नहीं. ये टेस्ट मेंटल एबिलिटी में कमी बता सकता है. किसी की मेमोरी या जजमेंट में कमी के बारे में पता चला तो ये माना जा सकता है कि वो वसीयत पर साइन करने के लिए फिट नहीं है. वो कुछ ही चीजें नहीं कर सकता है. अगर कोई आर्किटेक्ट है और ड्रॉइंग बनाना चाहता है और उसके तस्वीर पहचानने की क्षमता ठीक नहीं है तो वो अपने काम को सही से नहीं कर पाएगा. ये टेस्ट सिर्फ इन्हीं क्षमताओं का मूल्यांकन करता है. डॉक्टर टेस्ट के बाद समझाते हैं कि टेस्ट के नॉर्मल न आने की क्या वजह रही. इसे कॉग्निटिव असेसमेंट कहते हैं.

कितने समय के अंतराल पर ये टेस्ट कराया जा सकता है?

3 महीने, 6 महीने या डॉक्टर जब भी सलाह दें.

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