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गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर पैंक्रियाटिक कैंसर से हार गए जंग

जानिए पैंक्रियाज का कैंसर कितना जानलेवा है.

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गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का रविवार शाम निधन हो गया. कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक चल रही थी.

पिछले साल फरवरी में उन्हें डॉक्टरों ने बताया था कि वो पैंक्रियाज कैंसर के एडवांस स्टेज से गुजर रहे हैं. उसके बाद से उनका गोवा, मुंबई, दिल्ली और न्यूयॉर्क के अस्पतालों में आना जाना लगा हुआ था. लेकिन मुख्यमंत्री के दफ्तर ने ट्वीट कर बताया कि रविवार की शाम उनकी हालत बेहद नाजुक हो गई थी.

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पैंक्रियाज का कैंसर इतना जानलेवा क्यों है?

अक्तूबर 2015 में लांसेट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, पैंक्रियाज का कैंसर दुनिया भर में 13वां सबसे आम कैंसर है.

इस कैंसर से होने वाली मौत की दर बहुत ज्यादा है. कैंसर से होने वाली सभी मौतों में से पैंक्रियाज कैंसर आठवां सबसे बड़ा कारण है. इस कैंसर से अब तक दुनिया भर में ढाई लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.

अपोलो अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ प्रवीण गर्ग का कहना है कि हर एक लाख लोगों में पांच को पैंक्रियाज का कैंसर होता है.

किसी भी ट्यूमर में जिंदा रहने की उम्मीद बहुत कम होती है. इस कैंसर से पीडित 100 में से सिर्फ़ दो ही बच पाते हैं. पैंक्रियाज कैंसर में मरने की दर सबसे अधिक होती है.
लांसेट स्टडी

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार पैंक्रियाज का कैंसर इतना घातक इसलिए होता है क्योंकि शुरुआती चरणों के दौरान इसके लक्षण का पता नहीं चलता है, जबकि उस वक्त इसका इलाज संभव होता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के कैंसर का पता लगाने के लिए अभी तक किसी खास तरह का उपकरण मौजूद नहीं हैं. इस वजह से ज्यादातर मामलों में इस बीमारी का पता लगने में देर हो जाती है.

अगर कैंसर का जल्द पता चल जाता है, तो पैंक्रियाज को सर्जरी करके हटाया जा सकता है और बीमार की जान बचाई जा सकती है. हालांकि, इसका इलाज किस हद तक संभव है ये कैंसर के स्टेज पर निर्भर करता है.

लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि सर्जरी के बाद किसी वजह से माइक्रोस्कोपिक ट्यूमर कोशिकाएं रह जाती हैं जो दोबारा कैंसर को जन्म दे सकती हैं.

दुःख की इस घड़ी में हमारी दुआएं उनके परिवार के साथ है.

(इनपुट- आईएनएस)

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