विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले दो दशकों में कैंसर डायग्नोस होने वाले लोगों की तादाद में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है.
साल 2000 में कैंसर के अनुमानित 1 करोड़ मामले सामने आए थे, जो कि साल 2020 में 1 करोड़ 93 लाख हो गए.
आज ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में हर 5 में से 1 व्यक्ति को कैंसर होगा. अनुमान ये भी बताते हैं कि कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या आने वाले वर्षों में और बढ़ेगी, और 2020 की तुलना में 2040 में लगभग 50% अधिक होगी.
कैंसर के प्रति जागरुकता पैदा करने के मकसद से हर साल 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है. साल 2019 से 2021 तक के लिए विश्व कैंसर दिवस की थीम “I am and I will” है.
जीवनशैली में बदलाव, जैसे कि अनहेल्दी डाइट, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि, तंबाकू का इस्तेमाल और शराब का हानिकारक उपयोग, एयर पॉल्यूशन इन सभी ने कैंसर के बढ़ते बोझ में योगदान दिया है. वहीं उम्र के साथ कैंसर होने का रिस्क बढ़ जाता है.
कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या साल 2000 में 62 लाख से बढ़कर 2020 में 1 करोड़ हो गई है. हर छह में से एक से अधिक मौत कैंसर से होती है.विश्व स्वास्थ्य संगठन
WHO के मुताबिक कैंसर से होने वाली 30% से 50% मौतों को रोका जा सकता है. इसके लिए प्रमुख रिस्क फैक्टर से बचने और मौजूदा साक्ष्य-आधारित रोकथाम रणनीतियों को लागू करने की जरूरत है.
कैंसर की रोकथाम: रिस्क फैक्टर पर ध्यान देने की जरूरत
कैंसर के प्रमुख रिस्क फैक्टर से बचाव कैंसर की रोकथाम में मददगार साबित हो सकता है:
तंबाकू के उपयोग से बचें (इसमें सिगरेट और स्मोकलेस तंबाकू भी शामिल है)
स्वस्थ वजन बनाए रखें
फल और सब्जियों से भरपूर आहार लें
नियमित रूप से व्यायाम करें
शराब का सेवन सीमित करें
सुरक्षित सेक्स प्रैक्टिस
हेपेटाइटिस B और HPV की वैक्सीन लगवाएं
अल्ट्रावायलेट रेडिएशन और आयनाइजिंग रेडिएशन से एक्सपोजर घटाएं
वायु प्रदूषण से बचाव और ठोस ईंधन के घरेलू उपयोग से होने वाले धुएं से बचें
रेगुलर मेडिकल केयर लें
कुछ क्रोनिक इन्फेक्शन भी कैंसर के जोखिम कारक हो सकते हैं
याद रखें कि कैंसर की शुरुआत में ही इसका पता चल जाना प्रभावी इलाज के लिए काफी मददगार साबित होता है.
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