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अपच से लेकर एसिडिटी में असरदार, जानें इन तीखे लाल मिर्च के फायदे

चार राज्यों की खास लाल मिर्च से जुड़ी कुछ रोचक बातें

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अपच से लेकर एसिडिटी में असरदार, जानें इन  तीखे लाल मिर्च के फायदे
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क्या आप जानते है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक मिर्च का उत्पादन करने वाले देशों की लिस्ट में नंबर एक पर है. शर्त लगा लें, आप नहीं जानते होंगे. और शायद आपने स्थानीय हरी मिर्च, जो आपके आसपास सब्जी वाले बेचते हैं, उनके अलावा किसी दूसरे तरह की मिर्च देखी भी न हो.

हमारे देश में कई तरह के मिर्च पाए जाते हैं. कुछ मिर्ची बहुत ज्यादा तीखी होती हैं, तो कुछ हल्की तीखी. यहां हम आपको चार तरह के मिर्चों के बारे में बता रहे हैं, जो अपने-अपने राज्यों में बेहद प्रचलित हैं और जिनका निर्यात दुनिया भर में किया जाता है.

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कर्नाटक के कुर्ग की परांगी मलू मिर्च

यह स्थानीय मिर्च बदहजमी के इलाज में मदद के लिए जानी जाती है
(फोटोः iStock)

कर्नाटक के कुर्ग में हाल ही में मैंने स्थानीय लोगों के बीच लोकप्रिय बारबेक्यूड पोर्क का स्वाद लिया. इसमें पिसी हुई परांगी मलू मिर्च और नींबू का रस मिलाया गया था. यह कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है, लेकिन ये बहुत ही स्वादिष्ट था. ये व्यंजन इस मिर्च के वजह से ही इतना लजीज था.

इस स्थानीय मिर्च को पक्षी की आंख वाली मिर्च भी कहा जाता है. यह बदहजमी दूर करने, गैस की समस्या और कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करती है.

रोचक तथ्यः यह शानदार लाल और छोटी मिर्च को उगाया नहीं जाता, यह अपने आप उग जाती है. स्थानीय लोग खाना पकाने में इसका खूब इस्तेमाल करते हैं. पांडी करी (कुर्ग पोर्क करी) सबसे लोकप्रिय डिश है, जो इस मिर्च से बनाई जाती है.

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आंध्र प्रदेश की गुंटूर मिर्च

इस मिर्च में बहुत अधिक कैप्सिकिन होने के कारण यह अत्यधिक लाल रंग की होती है
(फोटो: विकिपीडिया)

हैदराबाद न सिर्फ अपने मोतियों बल्कि अपनी मिर्च के लिए भी मशहूर है. गुंटूर क्षेत्र वास्तव में देश में मिर्च उत्पादन वाला सबसे बड़ा क्षेत्र है. यहां कई प्रकार की गुंटूर मिर्च होती हैं. इनमें एस 10 (ज्यादा तीखी नहीं), 334 (बहुत तीखी), तेजा और सबसे मशहूर सन्नम एस 4 (पतली सबसे अधिक तीखी मिर्च) शामिल है.

कोडी वेपाडू एक मसालेदार चिकन फ्राई है, एक कॉमन डिश है जो इस मिर्च से बनाई जाती है. ऐसे ही नाटी कोडी कूरा, एक आंध्र चिकन करी है जो नारियल, खसखस और गुंटूर सन्नम को मिलाकर बनाई जाती है. और एक जो मैंने अपनी पिछली हैदराबाद यात्रा के दौरान खाया था, चेपा पुलुसू, इमली वाली फिश करी. वो बहुत तीखी डिश थी.

इस मिर्च में बहुत अधिक कैप्सिकिन होने के कारण यह चटक लाल रंग की होती है. कैप्सिकिन ब्लड प्रेशर कम करने, हाई कोलेस्ट्रॉल, खून के थक्के बनना कम करने में मददगार होती है. यह मेटाबॉलिज्म को तेज कर और भूख को कम कर वजन कंट्रोल करने में भी मददगार होती है. 

रोचक तथ्यः गुंटूर मिर्च दुनियाभर में निर्यात की जाती है. यह भारत के कुल मिर्च निर्यात का लगभग 30 प्रतिशत है. दिल्ली में आमतौर पर तेजा मिर्जी खाई जाती है.

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नागपुर की भिवापुर मिर्च

यह मिर्च तीखी होने के बावजूद जाहिर तौर पर पेट में गड़बड़ नहीं करती है
(फोटोःiStock)

यह मिर्च नागपुर के बहुत छोटे क्षेत्र भिवापुर से आती है. इस मिर्च को इसके संतुलित तीखेपन के कारण पसंद किया जाता है. इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है. इसको खाने से मुंह में जलन भी नहीं होती है.

साओजी कुजीन (स्थानीय व्यंजन) में शाकाहारी व्यंजनों की तुलना में भिवापुर मिर्च का अधिक प्रयोग किया जाता है. वास्तव में साओजी चिकन करी (नागपुर का एक बहुत तीखा और स्वादिष्ट व्यंजन ) इस क्षेत्र का कल्ट है. इसे सबसे तीखे व्यंजनों में से एक माना जाता है.

यह मिर्च तीखी होने के बावजूद जाहिर तौर पर पेट में गड़बड़ नहीं करती है. वास्तव में यह एसिडिटी और बदहजमी दूर करने में मददगार मानी जाती है.

रोचक तथ्यः यह मिर्च नागपुर से बाहर ज्यादा नहीं पाई जाती है क्योंकि इसकी अधिकतर खपत स्थानीय क्षेत्र में ही हो जाती है.

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असम की भूत झोलोकिया मिर्च

स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मिर्च गठिया रोग और ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) के इलाज में मददगार है
(फोटो: विकिपीडिया कॉमंस)

यह भारत की सबसे मारक यानी तीखी मिर्च है. इसे भूत मिर्च भी कहते है. मैं इसे पहले से जानती हूं क्योंकि जब मैं असम में थी तो मैंने देखा था कि इस मिर्च को सीधे खाने में नहीं डाला जाता है. इसमें सरसों तेल, थोड़ा सा नमक मिलाकर चुटकी भर खाने में डाला जाता है. मुझे तीखा भूत मिर्च सालसा और अचार भी काफी अच्छा लगा, जिसे मैंने गुवाहाटी में चखा था.

स्थानीय लोगों में दृढ़ विश्वास है कि यह गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होना) के इलाज में मददगार है. यह ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करती है. यह श्वसन प्रणाली में अवरोध उत्पन्न करने वाले बलगम को दूर रख ब्रोंकाइटिस और राइनाटिस (श्वांस नली और नासिका संबंधी रोग) से भी बचाव में मददगार है. माना जाता है कि यह कैंसर कोशिकाओं को खत्म करती है और अपने एनेस्थेटिक प्रभाव के लिए मशहूर है. इसे जोड़ों के दर्द, मांस पेशियों में खिंचाव, माइग्रेन और पीठदर्द में दर्द निवारक के रूप में भी प्रयोग किया जाता है.

रोचक तथ्यः मिर्चों का मूल्यांकन उनकी स्कोविले रेटिंग से किया जाता है. सामान्य मिर्च जो हम खाते हैं, उसकी स्कोविले रेटिंग 10 हजार होती है. वहीं भूत झोलोकिया की स्कोविले रेटिंग 10 लाख है.

(दिल्ली की कविता देवगन एक न्यूट्रिशियनिस्ट, वेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट और हेल्थ राइटर हैं. इन्होंने ‘Don't Diet! 50 Habits of Thin People (Jaico)’ किताब लिखी है. इनकी अगली किताब ‘Ultimate Grandmother Hacks: 50 Kickass Traditional Habits for a Fitter You (Rupa) सितंबर में आने वाली है.)

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