वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने कोरोना वायरस डिजीज-2019 (COVID-19) के खिलाफ एंटी मलेरिया दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के ट्रायल पर फिलहाल रोक लगा दी है.
WHO की ओर से इस बारे में कहा गया है कि सॉलिडैरिटी ट्रायल के एक्जीक्यूटिव ग्रुप ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के ट्रायल पर अस्थाई रोक लगाई है, जबकि डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड द्वारा सेफ्टी डेटा रिव्यू किया जा रहा है.
लैंसेट की स्टडी आने के बाद लिया गया फैसला
WHO की ओर से लैंसेट जर्नल में कोरोना मरीजों पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन के असर को लेकर पब्लिश की गई ऑब्जरवेशनल स्टडी का जिक्र किया गया है.
इस स्टडी के मुताबिक ये दवा लेने वाले COVID-19 के मरीजों की मौत की आशंका ज्यादा रही.
अब सॉलिडैरिटी ट्रायल के एक्जीक्यूटिव ग्रुप की ओर से इसे लेकर दुनिया भर में मौजूद सभी साक्ष्यों के व्यापक विश्लेषण और मूल्यांकन की समीक्षा करने पर सहमति जताई गई है.
इसके तहत ट्रायल में अब तक कलेक्ट किए गए डेटा के जरिए इस दवा से होने वाले संभावित फायदे और नुकसान की समीक्षा की जाएगी.
हालांकि WHO ने साफ किया है कि ये दवाएं ऑटोइम्यून बीमारियों या मलेरिया के रोगियों में उपयोग के लिए आमतौर पर सुरक्षित हैं. अभी कोरोना के इलाज में इनके इस्तेमाल को लेकर चिंता है.
वहीं भारत में प्रोफिलैक्टिक के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल को लेकर हाल ही में नई एडवाइजरी जारी की गई है.
इसके तहत हेल्थकेयर वर्कर्स, कंटेंमेंट जोन में तैनात पुलिसकर्मी और पैरामिलिट्री के जवान और लैब टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति के घर में उसके संपर्क में आए लोगों को सभी सावधानियां बरतते हुए इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है.
एडवाइजरी में HCQ के इस्तेमाल से जुड़ी सावधानियों में कहा गया है कि अगर किसी में इसके साइड इफेक्ट्स दिखे, तो दवा का इस्तेमाल तुरंत बंद कर देना चाहिए.
15 साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी HCQ न दिए जाने की सिफारिश की गई है.
साथ ही जो लोग रेटिनोपैथी, पहले से कार्डियोमायोपैथी और कार्डियक रिथम डिसऑर्डर, G6PD की कमी से पीड़ित हैं और जो इस दवा के प्रभाव के लिहाज से हाइपरसेंसिटिव हैं, उन्हें यह दवा देने की मनाही है.
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