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कोरोना: क्यों बढ़ जाता है कार्डियक समस्याओं का रिस्क, क्या करें

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बीते दिसंबर की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टरों ने बताया कि हॉस्पिटल में ऐसे लोगों की तादाद बढ़ रही है, जो कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद कार्डियक दिक्कतों की वजह से आ रहे हैं.

इनमें सबसे आम घबराहट या दिल की धड़कन का बढ़ना, वहीं कुछ मामलों में कार्डियक अरेस्ट या दिल का दौरा भी देखा गया है.

कोरोना वायरस का संक्रमण कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए और खतरनाक है, इस बारे में महामारी की शुरुआत में ही आगाह कर दिया गया था.

इतना ही नहीं ऐसी भी स्टडीज आईं, जिनमें COVID-19 से उबरने के बाद दिल को होने वाले नुकसान की ओर संकेत किया गया. भले ही संक्रमित हुए शख्स को संक्रमण से पहले दिल की कोई बीमारी रही हो या न रही हो.

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दिल पर COVID-19 का असर, अब तक क्या पता चल सका है

अब तक वैज्ञानिक जो जान पाए हैं, वो ये है कि SARS-CoV-2 दिल को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है.

जैसे- वायरस सीधे हृदय की मांसपेशियों पर अटैक या सूजन कर सकता है, यह ऑक्सीजन की डिमांड और सप्लाई के बीच संतुलन को बाधित करके हार्ट को नुकसान पहुंचा सकता है.

दरअसल SARS-CoV-2 जिन कोशिकाओं के रिसेप्टर से बंधता है, वो हृदय में भी मौजूद होती हैं और इसीलिए कोरोना संक्रमण हार्ट से जुड़ी समस्याएं भी कर सकता है.

वहीं अगर कोई पहले से दिल का मरीज है, तो जटिलताओं की आशंका और बढ़ जाती है.

यह देखा गया है कि पहले से ही दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के कोरोना संक्रमित होने पर COVID के गंभीर होने या इससे मौत की आशंका 3 से 4 गुना बढ़ जाती है.
डॉ तिलक सुवर्णा, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई
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दिल की बीमारियां और COVID-19 यानी डबल ट्रबल

दिल की मांसपेशियों में नुकसान या हार्ट आर्टरीज में ब्लॉकेज जैसी पहले से मौजूद हार्ट कंडिशन COVID-19 से उपजी स्थितियों से निपटने की शरीर की क्षमता को कमजोर करती हैं.

किसी सेहतमंद इंसान के मुकाबले दिल की किसी बीमारी से जूझ रहे इंसान के लिए कोरोना संक्रमण से होने वाली दिक्कतों, जैसे- बुखार, लो ऑक्सीजन लेवल, अस्थिर ब्लड प्रेशर और ब्लड क्लॉटिंग, को झेलना ज्यादा मुश्किल है.

इसके अलावा वो सभी कंडिशन (जैसे टाइप 2 डायबिटीज, प्रीडायबिटीज, मोटापा) जिनके कारण दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ता है, वो शरीर में इन्फ्लेमेशन करती हैं और ऐसे में कोरोना के कारण हार्ट इन्फ्लेमेशन से होने वाली जटिलताएं और बढ़ जाती हैं.

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COVID-19 और हार्ट इन्फ्लेमेशन

मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ तिलक सुवर्णा बताते हैं कि कोरोना संक्रमण में कार्डियक इवेंट्स हार्ट के टिश्यूज (ऊतक) और कोशिकाओं में सीवियर इन्फ्लेमेशन के परिणामस्वरूप होते हैं.

हार्ट मसल्स के इन्फ्लेमेशन को मायोकार्डिटिस कहते हैं.

हार्ट मसल्स में इन्फ्लेमेशन सीधे वायरस के कारण भी हो सकता है और 'साइटोकाइन स्टॉर्म' भी इसकी वजह हो सकती है.

COVID-19 के गंभीर मामलों में शरीर का इम्यून सिस्टम संक्रमण के प्रति ओवररिएक्ट करता है और ब्लड में साइटोकाइन्स नाम का इन्फ्लेमेटरी मॉलिक्यूल रिलीज करता है. इस 'साइटोकाइन स्टॉर्म' से दिल समेत शरीर के कई अंगों को नुकसान हो सकता है.

हार्ट इन्फ्लेमेशन की स्थिति में हार्ट का आकार बढ़ सकता है और हार्ट कमजोर पड़ सकता है. हालांकि गंभीर मायोकार्डिटिस दुर्लभ है और हाल की स्टडीज के मुताबिक हार्ट मसल्स में हल्का इन्फ्लेमेशन ज्यादा देखा गया है.

एक स्टडी में सीवियर COVID-19 से उबरे लगभग तीन-चौथाई मरीजों के MRI से हार्ट इन्फ्लेमेशन का पता चला.

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फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ अनिल सक्सेना कहते हैं,

"कोरोना संक्रमित कई मरीजों के हार्ट मसल्स और आर्टरीज में इन्फ्लेमेशन के कारण मुश्किल आ रही है और हार्ट पेशेंट के लिए ये स्थिति और गंभीर हो सकती है."

JAMA कार्डियोलॉजी नाम के मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी में बताया गया कि कोरोना से ठीक हुए करीब 78 प्रतिशत लोगों के हार्ट में असामान्यता थी, जबकि 60 प्रतिशत लोगों में मायोकार्डियल इन्फ्लेमेशन था.

इसके अलावा अस्पताल में भर्ती गंभीर कोविड के लगभग एक-चौथाई मरीजों के ब्लड में ट्रोपोनिन एंजाइम का लेवल बढ़ा पाया गया, ये एंजाइम हार्ट इंजरी का संकेत करता है. इन रोगियों में से करीब एक-तिहाई मरीजों को पहले से ही कोई न कोई कार्डियोवैस्कुलर बीमारी थी.

जब हृदय की मांसपेशियों में क्षति होती है, तो ट्रोपोनिन रिलीज होता है और इसे हार्ट अटैक के डायग्नोस्टिक टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. कोरोना संक्रमण में ट्रोपोनिन लेवल में बढ़ोतरी सीवियर इन्फ्लेमेशन के कारण हार्ट मसल्स के डैमेज का संकेत करता है, भले ही हार्ट अटैक न हुआ हो.
डॉ तिलक सुवर्णा, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई
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COVID-19 और हार्ट अटैक

संक्रमण और बुखार से हार्ट रेट बढ़ता है, जिससे कि दिल का काम बढ़ता है. ब्लड प्रेशर गिर सकता है या बढ़ सकता है, जिससे कि दिल पर तनाव पड़ता और ऑक्सीजन की मांग बढ़ने से हार्ट डैमेज हो सकता है, खासकर अगर दिल की आर्टरीज और मांसपेशियां पहले से कमजोर हों.

COVID-19 से जुड़े इन्फ्लेमेशन के कारण हार्ट अटैक का रिस्क बढ़ता है. मेदांता हॉस्पिटल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के चेयरमैन डॉ प्रवीण चंद्रा इस बारे में बताते हैं, "COVID ब्लड को गाढ़ा करता है और इसलिए आर्टरीज ब्लॉक होने का रिस्क बढ़ता है."

डॉ सुवर्णा बताते हैं कि कोरोना संक्रमण में इन्फ्लेम्ड प्लैक रप्चर से कोरोनरी आर्टरी में ब्लड क्लॉट की प्रक्रिया (Thrombosis) के कारण एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम या एक्यूट हार्ट अटैक भी देखा गया है.

उनके मुताबिक कोरोना संक्रमण से हार्ट में हीमोडायनेमिक (शरीर के अंगों और ऊतकों में ब्लड फ्लो) बदलाव के कारण ऑक्सीजन की डिमांड और सप्लाई में असंतुलन भी हार्ट अटैक का कारण बन सकता है.

वहीं कोरोना संक्रमण के दौरान कार्डियक रिदम में असामान्यता से भी अचानक मौत हो सकती है, ऐसा भी देखा गया है.
डॉ तिलक सुवर्णा, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर सुदीप मिश्रा के मुताबिक कोविड से उबरने के बाद कई लोग कार्डियक समस्याओं के साथ अस्पताल वापस आ रहे हैं.

एक्सपर्ट्स COVID-19 पॉजिटिव एसिम्पटोमैटिक लोगों में भी हार्ट की समस्याएं विकसित होने का रिस्क बताते हैं.

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क्या करें?

इसलिए अपने लक्षणों को लेकर सावधान रहें, सीने में किसी भी तरह की तकलीफ या सांस में लेने में परेशानी को नजरअंदाज न करें.

COVID-19 से ठीक होने के बाद अगर किसी में सांस फूलना, लगातार थकान, गर्दन या पीठ में दर्द, कमजोरी या हाथ-पैर में ठंडक लगे तो डॉक्टर से चेकअप के लिए संपर्क करना चाहिए.
डॉ संदीप मिश्रा, प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट, एम्स, नई दिल्ली

मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ संतोष कुमार डोरा के मुताबिक हार्ट में किसी भी तरह की दिक्कत का पता लगाने के लिए कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों को रूटीन कार्डियक चेकअप जैसे ईसीजी, चेस्ट एक्स-रे और 2डी इकोकार्डियोग्राम से मदद मिल सकती है और फिर उसी के मुताबिक इलाज किया जा सकता है, ताकि अगर कोई समस्या हो, तो वो आगे न बढ़े.

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