भारत में जिन हेल्थ वर्कर्स ने खुद अपना इलाज करने के चक्कर में मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) का सेवन किया है, उनमें दवा के साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं. उन्हें पेट में दर्द, मितली और हाइपोग्लाइसीमिया जैसी परेशानियां हो रही हैं.
ICMR में एपिडेमियोलॉजी एंड कम्यूनिकेबल डिजीजेज के हेड रमन गंगाखेड़कर ने कहा कि ICMR ने HCQ के बुरे असर पर एक स्टडी शुरू की है जिसमें HCQ लेने वाले कुछ स्वास्थ्य कर्मियों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
गंगाखेड़कर ने कहा, “ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों की औसत उम्र 35 साल है. HCQ लेने वाले कर्मियों में सबसे ज्यादा देखा गया दुष्प्रभाव पेट में दर्द था जबकि 6% कर्मियों में मितली की शिकायत देखी गई.”
उन्होंने कहा कि 2% से भी कम कर्मियों में हाइपोग्लाइसीमिया (खून में शुगर की कमी) देखा गया.
ICMR ने कोविड-19 की रोकथाम के लिए HCQ की इफेक्ट पर अलग से रिसर्च शुरू किया है जिसमें करीब 480 मरीजों को लिस्ट कर उन पर 8 सप्ताह तक स्टडी की जाएगी.
बता दें, ICMR ने इससे पहले स्वास्थ्य कर्मियों और मरीजों की देखभाल करने वालों के लिए HCQ के इस्तेमाल का सुझाव दिया था. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कोविड-19 के गंभीर मरीजों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साथ अजीथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल की सलाह दी थी.
ICMR के मुताबिक अब तक किए गए स्टडी में ये नजर आया है कि HCQ का सेवन करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों में से 22 % को पहले से कोई बीमारी थी.
गंगाखेड़कर के मुताबिक, “स्वास्थ्य कर्मी होने के बावजूद उनमें से 14% ने HCQ का सेवन करने से पहले अपनी ईसीजी जांच नहीं कराई थी.”
गंगाखेड़कर ने बताया कि एम्स कोविड-19 के इलाज और रोकथाम के लिए HCQ की क्षमता पर स्टडी कर रहा है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य कर्मियों को डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही दवा का सेवन करना चाहिए.
(-इनपुट भाषा से)
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