यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट सालाना आने वाले नए साल के लिए बेस्ट डाइट रैंक करता है. इस रिपोर्ट में मेडिटेरेनियन डाइट को लगातार चौथी बार बेस्ट डाइट प्लान घोषित किया गया है, जबकि मशहूर कीटो डाइट कुल 39 डाइट प्लान में अंतिम दूसरे पायदान पर रहा.
इसके अलावा 'मोडिफाइड कीटो’ डाइट, जिसका पहली बार मूल्यांकन किया गया था, वो 35वें स्थान पर रहा. इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक रैंकिंग 7 कैटेगरी पर आधारित थी: पोषण पूर्ति, डाइट का पालन करना कितना आसान है, संभावित लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म वेट लॉस, सुरक्षा और संभावित दुष्प्रभाव, साथ ही कुछ बीमारियों को रोकने में मदद करने की क्षमता
रैंकिंग के मुताबिक, कीटो डाइट ने स्कोर किया:
- शॉर्ट टर्म वेट लॉस के लिए 5 में से 3.8
- लॉन्ग टर्म वेट लॉस के लिए 5 में से 2.1
- फॉलो करने में आसानी के लिए 5 में से 1.4
- हेल्दी के मामले में 5 में से 1.7
कीटो डाइट की दिक्कतें
कीटोजेनिक डाइट आपके कुल कैलोरी सेवन में कार्बोहाइड्रेट को 5% से कम करने और बाकी कैलोरी प्रोटीन और फैट से पूर्ति करने पर जोर देता है. आमतौर पर, कीटो डाइट 75: 20: 5 रेशियो में फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट से बना होता है.
इसमें शरीर को कीटोन्स बनाकर सीधे फैट तोड़कर एनर्जी प्रोड्यूस करना होता है जिससे शरीर फैट बर्न करता है और इससे वजन कम होता है.
न्यूट्रिशनिस्ट और ऑथर कविता देवगन ने फिट पर पहले भी बताया है कि इस डाइट से जुड़ी दिक्कतें क्या हैं:
- कीटो मुश्किल है और ये 60-75% फैट, 15-30% प्रोटीन, और 5-10% कार्ब की रेशियो की मांग करता है, जिसका पालन करना और मेन्टेन करना मुश्किल है.
- इसके तहत फैट की जो मात्रा ली जाती है वो लंबे समय तक लेना स्वस्थ नहीं होता.
- सबसे बड़ी चुनौती ये है कि फाइबर की मात्रा बहुत कम है- फल लगभग शामिल ही नहीं है, और पत्तेदार सब्जियां खाना हर किसी के लिए आसान नहीं है (इसलिए ज्यादातर ये छूट जाता है). कम फाइबर आपके पेट के लिए सही नहीं है और इसी वजह से कीटो के साथ कब्ज होना एक बड़ी समस्या है.
- इस तरह खाने से कई जरूरी पोषक तत्वों की गंभीर कमी हो सकती है (और अक्सर होती है).
वो कहती हैं- "मेरा सुझाव है: कीटो या अन्य मुश्किल डाइट के पीछे भागना बंद कर दें, इसकी बजाय बेहतर खाने पर ध्यान देते हुए भी आप वजन कम कर सकते हैं और स्वस्थ तरीके से भी."
एक आम गलतफहमी ये है कि कीटो डाइट एक हाई फैट और प्रोटीन डाइट है, जबकि ऐसा नहीं है. न सिर्फ प्रोटीन की अधिकता शरीर को कीटोसिस (लीवर द्वारा प्रोटीन को ग्लूकोज में बदलने की प्रक्रिया) से रोकती है, बल्कि ये शरीर में एसिडिटी के स्तर को भी बढ़ा सकता है, जिससे किडनी पर दबाव बढ़ सकता है.
इससे किडनी की पथरी और रीनल फेल्योर जैसी समस्या भी हो सकती है. किडनी और अन्य अंगों पर कीटो डाइट के लॉन्ग टर्म इफेक्ट जानने के लिए स्टडी जारी हैं.
कीटो डाइट के साथ जुड़ा एक रिस्क ये है कि ये शरीर में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल के लेवल को बढ़ा सकता है, खासकर जब हाईली प्रोसेस्ड और ट्रांस फैट का सेवन करते हैं.
कीटो डाइट कई खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से फल, साबुत अनाज और फलियों को प्रतिबंधित करता है, ये निर्देशित मात्रा में विटामिन और मिनरल नहीं दे सकता है. कुछ स्टडी से पता चलता है कि कीटो डाइट पर्याप्त कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्नीशियम और फास्फोरस नहीं देता है.
क्या आपको कीटो डाइट फॉलो करना चाहिए?
अपने डॉक्टर या सर्टिफाइड न्यूट्रिशनिस्ट से पूछकर ही आप फॉलो करें.
कीटो डाइट आपके न्यूट्रिशन इनटेक में एक मौलिक बदलाव लाता है. इसलिए, आपको डाइट शुरू करने से पहले एक पेशेवर से परामर्श करना चाहिए. क्रोनिक किडनी डिसऑर्डर जैसी समस्या से जूझ रहे हैं तो कीटो आपकी दिक्कतें बढ़ा सकता है. इसके अलावा, ये जरूरी है कि आप अपने लिपिड प्रोफाइल का आकलन और खून में अन्य पोषक तत्वों के स्तर की जांच के लिए नियमित ब्ल्ड टेस्ट कराएं. कोई भी डाइट यूनिवर्सली फायदेमंद नहीं होता, और अगर ठीक से पालन नहीं किया गया तो नुकसानदेह भी हो सकता है.
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