26 नवंबर 2018 को उत्तर प्रदेश में एमआर (MR) वैक्सीनेशन कैंपेन की शुरुआत हुई. उसी दिन समाचार एजेंसी भाषा पर खबर आई कि टीकाकरण के बाद उन्नाव के मोतीनगर में सेंट पीटर्स स्कूल के करीब एक दर्जन बच्चों की तबीयत खराब हो गई. बच्चों ने चक्कर और उल्टी आने की शिकायत की थी. ऐसे में उन्हें जिला अस्पताल ले जाया गया और फिर प्राथमिक इलाज देकर उन्हें वापस घर भेज दिया गया.
उन्नाव ही नहीं उत्तर प्रदेश के कई इलाकों से अभियान के पहले दिन से ही टीकाकरण के बाद कुछ बच्चों की तबीयत बिगड़ने की खबरें सामने आ रही हैं.
तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैक्सीनेशन के बाद कुछ बच्चों ने चक्कर आने, सिर दर्द, पेट दर्द, बेचैनी, शरीर में टूटन, मिचली और घबराहट की शिकायत की. ऐसे में बच्चों को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया और हालत सामान्य होने के बाद ही डिस्चार्ज किया गया.
लोकल डॉक्टर्स और अधिकारियों का कहना है कि टीकाकरण के डर से बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी. वहीं कुछ डॉक्टर्स ये भी कह रहे हैं कि खाली पेट होने की वजह से कुछ बच्चों को दिक्कतें हुईं.
महोबा के हवेली दरवाजा स्थित होली पब्लिक स्कूल में आठ बच्चों की तबीयत बिगड़ने को लेकर फिट ने महोबा चिकित्सा अधिकारी के ऑफिस फोन किया. वहां से डॉ सुमन ने बताया कि सभी बच्चे स्वस्थ हैं.
डॉ सुमन ने कहा कि बच्चों ने कुछ तकलीफ की शिकायत की थी, इसलिए उन्हें देखरेख के लिए हॉस्पिटल पहुंचाया गया था. उनका कहना था कि ठंड लगने और दूसरे वायरल इंफेक्शन की वजह से भी बच्चों को कुछ दिक्कतें हुईं.
टीकाकरण के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने को लेकर कई खबरें आने के बाद फिट ने फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के हेड डॉ अरविंद कुमार से बात की.
डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि इन चीजों के पीछे कोई तर्क नहीं है कि इस वैक्सीन से ही इस तरह की दिक्कतें हों और दूसरी बात, ये वैक्सीन WHO की ओर से प्री-क्वालिफाइड है. दुनिया भर में इसका इस्तेमाल हो रहा है.
इस वैक्सीनेशन की अहमियत समझाते हुए डॉ अरविंद कुमार कहते हैं कि एमआर वैक्सीन दो तरह की बीमारियों से बचाव करने के लिए है. एक मीजल्स है, जिसे हम खसरा बोलते हैं, दूसरी है रूबेला (जिसमें मीजल्स जैसे रैसेज होते हैं) और रूबेला के साथ जुड़ी दिक्कतें खासकर प्रेग्नेंट महिलाओं को अगर रूबेला हो जाता है, तो उनके बच्चों में काफी सारी खराबियां आ जाती हैं, जैसे-वो अंधे हो सकते हैं, मेंटली रिटार्डेड हो सकते हैं. इससे बचाव के लिए ये वैक्सीन है.
रूटनली एमआर वैक्सीन एमएमआर के फॉर्म में सालों से हमारे यहां इस्तेमाल हो रही है, आज तक हमने किसी भी बच्चे के साथ कोई दिक्कत होते नहीं देखी है.डॉ अरविंद कुमार, हेड, पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
फिर बच्चों की तबीयत बिगड़ने की क्या वजह हो सकती है?
डॉ कुमार कहते हैं कि ज्यादातर बच्चे इंजेक्शन लगवाना नहीं चाहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि डर से या दर्द के डर से वेजोवेगल अटैक पड़ता है. इसमें कई बच्चे कुछ सेकंड के लिए होश खो सकते हैं, लेकिन ये खुद ब खुद ठीक हो जाता है. इसमें एडमिट करने की भी जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन इसमें वैक्सीन का कोई रोल नहीं होता, ये वैक्सीन के डर से हो सकता है.
उस वक्त की घबराहट से बच्चों को मिचली सा महसूस हो सकता है, उन्हें ऐसा लग सकता है कि पेट में हल्का सा दर्द है, पर ये साइकोलॉजिकल फीलिंग हो सकती है.
इंजेक्शन के डर की वजह से बच्चों को चक्कर भी आ सकता है. ये इस तरह है कि कितने ही लोगों को ब्लड निकलता देखकर चक्कर आ जाता है.डॉ अरविंद कुमार, हेड, पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
डॉ कुमार के मुताबिक टीकाकरण के बाद बहुत ही कम लोगों को एक-दो दिन हल्का बुखार या शरीर में टूटन जैसा हो सकता है और जिस जगह इंजेक्शन लगा है, वहां हल्का सा दर्द रह सकता है.
डॉ अरविंद कुमार कहते हैं कि उन बच्चों को समस्या हो सकती है, जिन्हें हाई फीवर हो, कोई और बीमारी हो या वैक्सीन से एलर्जी रही हो. ऐसा हर वैक्सीन के मामले में होता है.
नॉर्मल बच्चों को इस वैक्सीन से कोई दिक्कत नहीं होगी.डॉ अरविंद कुमार, हेड, पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट, फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग
इस अभियान में किसी भी तरह की दिक्कत से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूरी तैयारी रखी जा रही है. जैसे वैक्सीनेशन सेशन के लिए एलर्जिक उपचार किट दिए गए हैं. किसी भी बच्चे की ओर से तकलीफ की शिकायत पर, उसे तुरंत मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं और स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचना दी जा रही है.
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