आठवीं में पढ़ने वाली रेवा को हर बार गणित टेस्ट के समय पेट में दर्द हो जाता है. उलझन और बेचैनी से भरी, वह बिना किसी कारण गुस्से में रहती है. दवा से भी मदद नहीं मिली. हालांकि, माइंडफुलनेस मेडिटेशन (ध्यान का एक तरीका) से कुछ मदद मिल सकती है.
माइंडफुलनेस मेडिटेशन क्या है?
माइंडफुलनेस किसी भी मौजूदा लम्हे को बिना प्रतिक्रिया के स्वीकार करने का एक संवेदनशील तरीका है.
बौद्ध परंपरा पर आधारित, यह प्रैक्टिस हाल के वर्षों में खासी लोकप्रिय हो गई है.
यह आपको अनुभव में डूब कर जो कुछ ‘यहां’ और ‘अभी’ हो रहा है, उसके बारे में पूरी तरह जागरूक होना सिखाता है. ये विनम्रता सिखाने वाली ये प्रैक्टिस प्रतिक्रिया और प्रति उत्तर के बीच अंतर को समझने में मदद करके हर उम्र के बच्चों को शांत, उत्सुक और खुश रहने में मदद करता है.
बच्चे खासकर छोटे बच्चे, स्वाभाविक रूप से अच्छी माइंडफुलनेस वाले होते हैं. जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम इस क्षमता को खो देते हैं.
माइंडफुलनेस क्या करता है?
शोध बताते हैं कि माइंडफुलनेस सतर्क बनाता है, भावनाओं को नियंत्रित करता है और आत्मसंतोष बढ़ाता है. यह तनावपूर्ण सामाजिक रिश्तों सहित मुश्किल हालात में घबराहट और परेशानी को कम करता है.
जानी-मानी अमेरिकी अभिनेत्री गोल्डी हॉन ने प्री-किंडरगार्टेन से 8वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए एक प्रोग्राम MindUP बनाया है, जिससे बच्चों को ध्यान केंद्रित करने मदद मिल सके और उनके सीखने की प्रक्रिया में सुधार हो सके. इसके साथ ही इस प्रोग्राम की मदद से सामाजिक और भावनात्मक कौशल विकसित करने में मदद मिल सके.
अपनी किताब ‘10 माइंडफुल मिनट’ में वह कहती हैं, “वैसे ही जैसे आप हर सुबह अपने दांतों को ब्रश करते हैं, आपको अपने मस्तिष्क को मेडिटेशन से ब्रश करना चाहिए और डर व चिंता का सफाया करना चाहिए, जो आपको मिलने वाली खुशी का अनुभव करने से रोकती है.”
प्री-स्कूल कक्षाओं की उथल-पुथल को रोजाना कुछ मिनटों के लिए माइंडफुलनेस प्रैक्टिस को अपना कर शांत किया जा सकता है.
बच्चों को माइंडफुलनेस मेडिटेशन सिखाने के 10 तरीके
छोटे, नियमित चरणों के साथ शुरू करें. यहां कुछ आइडिया दिए गए हैं.
1. खुद शुरू करें
करके दिखाना कुछ भी सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है. मेडिटेशन की एक नियमित प्रैक्टिस शुरू करें, जिसे आपका बच्चा भी देखे. जब वह आपको प्रैक्टिस करता देखेगा, तो वह आपका अनुसरण करेगा.
2. अपने आप होने दें
किसी भी किस्म के पहले से सोचे विचारों और अपेक्षाओं को छोड़ना आवश्यक है. किसी तय मकसद के साथ दिमाग को माइंडफुलनेस सिखाया या सीखा नहीं जा सकता है. यह ‘होने’ के बारे में है, ना कि ‘करने’ के बारे में. अगर आप मूड में उतार-चढ़ाव या आवेश को कम करने जैसे परिणामों की तलाश में हैं, तो माइंडफुलनेस प्रैक्टिस नहीं हो पाएगी क्योंकि अपेक्षाएं माइंडफुलनेस को खारिज कर देती हैं.
3. सादगी से सिखाएं
अपने बच्चे को बिस्तर पर लेटे हुए और आंखें बंद करके रात की आवाजों को सुनने का एक सरल अभ्यास कराएं. देखना या ध्यान देना माइंडफुलनेस बढ़ाता है.
4. माइंडफुलनेस एक 'ब्रेक' है
पांच मिनट का एक छोटा सा ब्रेक चमत्कार कर सकता है. अपने बच्चे से आंखें बंद करने और दिन के किसी भी समय पांच बार गहरी सांस लेने के लिए कहें. शुरुआत में यह दो मिनट हो सकता है. सर्वोत्तम नतीजे के लिए हर दिन एक ही स्थान और समय पर इसे करने का प्रयास करें.
5. पृथ्वी के साथ संबंध
पृथ्वी के साथ संबंध पर ध्यान केंद्रित करना एक शक्तिशाली जुड़ाव की प्रेक्टिस है. जमीन को छूने वाले अपने पैरों को महसूस करना शरीर को शांत करता है. यह एक अद्भुत जमीनी अनुभव है.
6. सॉफ्ट ट्वॉय मेडिटेशन
बच्चों को शांत करने का यह एक आसान तरीका है. उसे पीठ के बल सुलाएं और उसका पसंदीदा सॉफ्ट ट्वॉय उसे अपने पेट पर रखने को दें. सांस के साथ सॉफ्ट ट्वॉय को उठता-गिरता देखना चमत्कार कर सकता है.
7. दिमागी खुराक
खाना खाना इतना यांत्रिक हो गया है कि यह लगभग स्वचालित तरीके से होता है. हमारे हाथ हमें खिला देते हैं और हम स्वाद का मजा नहीं ले रहे होते हैं.
माइंडफुल भोजन बिना किसी भटकाव के खाना है. खाने को महसूस करना एकमात्र मकसद है. बच्चों को भोजन का अभिनंदन करने, आभारी महसूस करने और धीरे-धीरे खाने के लिए कहें.
8. सोने के समय की प्रार्थना
सोने की माइंडफुलनेस प्रैक्टिस नर्वस सिस्टम को शांत करने में मदद करती है और गहरी नींद लाने में मदद करती है. बॉडी स्कैन मेडिटेशन रात के लिए आदर्श हैं. कई तरह के बॉडी स्कैन मेडिटेशन मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं.
9. वाकिंग
माइंडफुल वाकिंग में जमीन पर हर कदम सोच कर रखना, एक अच्छी आउटडोर प्रैक्टिस है. शुरू में सौ कदम गिनने से शुरू करें और धीरे-धीरे संख्या में वृद्धि करते जाएं.
10. डूडलिंग
डूडल आर्ट सिखाना आसान है. Pinterest पर डूडल बनाने के लिए उम्र के हिसाब से कुछ आइडिया खोजें. अपने बच्चे को दिन में कुछ डूडल टाइम दें. ये एक्टिविटी तनाव को खत्म करती है और रचनात्मकता को बढ़ाती है.
याद रखें ये बातें
- माइंडफुलनेस प्रैक्टिस के दो महत्वपूर्ण तत्व हैं. इसके लिए कभी मजबूर नहीं किया जा सकता और सजा के रूप में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है. ऐसे हालात में यह कभी काम नहीं करेगा.
- यह बच्चों को आंतरिक और बाहरी अनुभवों को सहेजने के लिए कौशल विकसित करने में मदद करती है. इससे उन्हें विचारों को ‘केवल विचार’ के रूप में समझने और अपनी पसंद पर भरोसा करने में मदद मिलती है.
यह शरीर पर भावनाओं के असर को पहचान कर मन और शरीर के संबंध को समझने में मदद करता है. यह मन में आने वाले तरह-तरह के ख्यालों को समझने और इसे वापस लाने में मदद करता है.
हालांकि, माइंडफुलेनस जादू नहीं है, लेकिन भावनाओं को संभालने का एक समझदारी भरा तरीका तो है ही.
(नूपुर रूपा एक फ्रीलांस राइटर है और मांओं के लिए एक लाइफ कोच हैं. नूपुर पर्यावरण, फूड, इतिहास, पेरेंटिंग और यात्रा पर लिखती हैं. आप इस ब्लॉग का पार्ट-एक यहां पढ़ सकते हैं.)
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