मध्य प्रदेश के रीवा (Rewa) जिले में 23 वर्षीय मनीष और उनके तीन अन्य भाई-बहनों, मनोज, सुशीला और अनीश का बचपन नॉर्मल था. लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, लगभग 7-9 साल की उम्र में उनके अंदर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular Dystrophy) नाम का एक दुर्लभ रूप विकसित हो गया. Muscular Dystrophy एक आनुवंशिक बीमारी (Genetic Disorder) है जो मांसपेशियों की हानि और कमजोरी का कारण बनती है.
Muscular Dystrophy ने उनके जीवन को काफी हद तक और स्थायी रूप से बदल दिया. मनीष कुमार यादव कहते हैं कि,
"यह हमेशा ऐसा नहीं था. जब हम छोटे थे तो हम सभी स्वस्थ थेलेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते गए, हमारे शरीर सिकुड़ने लगे. ऐसा लगा जैसे हमारे शरीर सूख रहे हों."
मनीष की सबसे बड़ी बहन सुशीला 23 साल से खड़ी नहीं हो पाई हैं. सुशीला ने कहा कि "शुरुआती लक्षण कमजोरी और थकान थे, लेकिन समय के साथ हाथ उठाने और चलने में दिक्कत होने लगी. धीरे-धीरे कर यह बीमारी एकदम से बैठा देती है.”
मनीष कुमार ने बताया कि “जब मेरी बहन सुशीला बिस्तर पर पड़ गयी तो हम बहुत दुखी हुए. तब तक हम सभी में इस बीमारी के लक्षण दिखने लगे थे लेकिन हमने कभी नहीं सोचा था कि इसके कारण हमें स्कूल छोड़ना पड़ेगा. जैसे-जैसे समय बीतता गया हममें चलने की क्षमता नहीं रही”
सबसे पहले पिता में आई थी बीमारी
मनीष की मां प्रेमवती का बालविवाह हुआ था. जब उनकी शादी राम नरेश से हुई थी तब तो वह स्वस्थ थे, लेकिन जब वह अपने पति के साथ रहने आईं तब तक उसमें इस दुर्लभ बीमारी के लक्षण विकसित हो चुके थे.
“बचपन में ही हमारी शादी हो गई थी. वो उस समय ठीक थे, लेकिन जब मैं बड़ी हो गई और अपने पति के साथ रहने लगी, तो उनमें कुछ लक्षण दिखने लगे. आज पिछले बीस से भी अधिक सालों से बिस्तर पर हैं."
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जेनेटिक डिसऑर्डर है
नोएडा के कैलाश हॉस्पिटल के एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ मनीष सिन्हा के अनुसार "मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होता है."
यह दुर्लभ बीमारी 4,000 बच्चों में से एक को होती है. डॉ मनीष ने बताया कि "लगातार मांसपेशियों के नुकसान के साथ शरीर धीरे-धीरे कार्य करने की क्षमता खो देता है. लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है."
एक भाई पर भरण पोषण का जिम्मा
मध्य प्रदेश के रीवा जिले में तीन एकड़ जमीन पर मनीष का सात लोगों का परिवार रहता है. सबसे बड़ा भाई सुरेश इकलौता भाई है जो बीमारी से बच गया और स्वस्थ है. वह परिवार का भरण पोषण करने के लिए एक किसान के रूप में काम करता है.
परिवार एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल में भटकता रहा लेकिन मदद नहीं मिली. आखिर अक्टूबर 2021 में परिवार दिल्ली AIIMS पहुंचा जहां उन्हें बताया गया कि वे एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी से पीड़ित हैं.
परिवार को दैनिक खर्चों और अपनी बीमारी के लिए दवा खरीदने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि एक को छोड़ बीमार भाई-बहन शारीरिक रूप से कमाने ने अक्षम हैं.
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