(ये आर्टिकल पहली बार 22 फरवरी, 2016 को द क्विंट पर छापा गया था, जब भारत में जीका का पहला मामला सामने आया था. अपने पाठकों के लिए इसे हम फिर से पेश कर रहे हैं)
ब्राजील समेत कई दक्षिण अमेरिकी देशों में संक्रमण फैलाने वाला जीका वायरस भारत पहुंच चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अहमदाबाद में तीन लोगों के जीका वायरस से पीड़ित होने की पुष्टि की है. तीनों ही मरीज अहमदाबाद के बापूनगर इलाके के रहने वाले हैं.
कोई जीका से संक्रमित कैसे होता है?
यह मुख्य रूप से एडीज प्रजातियों के संक्रमित मच्छर के काटने से होता है. ये वही प्रजाति है, जिसके काटने से डेंगू होता है.
कितने समय तक यह वायरस शरीर में रह सकता है?
संक्रमित होने पर जीका वायरस आमतौर पर एक सप्ताह के लिए एक संक्रमित व्यक्ति के खून में रहता है.
जीका के लक्षण क्या हैं?
याद रखें कि ये कोई जानलेवा बीमारी नहीं है. आमतौर पर 5 संक्रमित लोगों में से 1 में इसके लक्षण दिखते हैं. आम लक्षणों में बुखार, दाने, जोड़ों में दर्द या आंखों का लाल हो जाना शामिल है. आम तौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 2 से 7 दिन बाद ये लक्षण दिखने शुरू होते हैं. अधिकांश लोगों को इंफेक्शन के बाद भी भर्ती होने की जरूरत नहीं होती और इस वायरस के कारण मौत होने की आशंका न के बराबर है.
जीका को लेकर डर क्यों?
जीका के मामलों वाला नया देश भारत है, हालांकि जीका नया नहीं है. लेकिन दक्षिण और मध्य अमेरिका में वैसे बच्चों की संख्या बढ़ गई है, जो छोटी खोपड़ी के साथ पैदा हो रहे हैं, जिसे 'माइक्रोसेफली' कहा जाता है. हालांकि ये साबित नहीं हुआ, लेकिन देखा जा रहा है कि जीका वायरस से संक्रमित गर्भवती महिलाएं असामान्य रूप से छोटे सिर वाले बच्चों को जन्म दे रही हैं, जिससे दुनियाभर में जीका को लेकर डर की स्थिति बनी हुई है.
संक्रमण रोकने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
अगर आप उस देश में ट्रैवल कर रहे हैं, जहां जीका के केस देखे गए हैं, तो मच्छर से बचाव को लेकर सावधानी बरतें. फिलहाल इसके लिए कोई वैक्सीन नहीं है, इसलिए जब तक ये विकसित न हो जाए, तब तक इलाज से ज्यादा बचाव ही बेहतर है.
जीका का इलाज क्या?
वायरस को लेकर कोई विशेष इलाज नहीं है. डॉक्टर आराम की सलाह देते हैं. खुद को हाइड्रेटेड रखें, बुखार और दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामोल जैसी दवाइयों की मदद ली जा सकती है.
जीका दशकों से मौजूद है, लेकिन इससे पहले इस तरह से बड़े पैमाने पर ये नहीं फैला. वैज्ञानिकों ने इसे पूरी तरह से समझने की शुरुआत की है. इसका कोई इलाज नहीं है और अब तक कोई टीका भी नहीं है. ये जानलेवा नहीं है, इसलिए डरें नहीं, जागरूक रहें, तैयार रहें.
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