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नाइट शिफ्ट में काम करने से महिलाओं में बढ़ता है कैंसर का खतरा  

नाइट शिफ्ट में काम करने से नर्सों में सबसे ज्यादा कैंसर का खतरा होता है.

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अगर आप महिला हैं और आपको ऑफिस में लंबे समय से नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ रहा है, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए चिंता का बात हो सकती है. एक नई रिसर्च के मुताबिक, अनियमित घंटों की लगातार शिफ्ट से महिलाओं में सामान्य कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं ने पाया कि कुल मिलकार लंबे समय तक नाइट शिफ्ट करने से महिलाओं में कैंसर होने की संभावना 19 फीसदी तक बढ़ जाती है.

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सभी पेशों के विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक नाइट शिफ्ट करने से नर्सों में स्तन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.

चीन के चेंगदु स्थित सिचुआन विश्वविद्यालय के वेस्ट चाइना मेडिकल सेंटर में शोध के सह-लेखक शुईलेई मा ने बताया,

हमारे शोध से पता चलता है कि ऑफिस में नाइट शिफ्ट में काम करने से महिलाओं में कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है.

यह स्टडी कैंसर एपिडेमियोलॉजी, बॉयोमार्कर एंड प्रीवेंसन पत्रिका में प्रकाशित की गई है.

रिसर्च में पाया गया कि जो महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, उनमें नाइट शिफ्ट में काम नहीं करनेवाली महिलाओं की तुलना में स्किन कैंसर का खतरा 41 फीसदी, स्तन कैंसर का खतरा 32 फीसदी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का खतरा 18 फीसदी बढ़ जाता है.

भारतीय महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर ज्यादा

भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर के रूप में उभरा है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि 15 से 44 साल की उम्र की महिलाओं में ये खतरा और अधिक रहता है. अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है.

भारत में हर साल ग्रीवा कैंसर के लगभग 1,22,000 नए मामले सामने आते हैं, जिसमें लगभग 67,500 महिलाएं होती हैं. कैंसर से संबंधित कुल मौतों का 11.1 फीसदी कारण सर्वाइकल कैंसर ही है. यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 फीसदी महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं.

(इनपुट IANS से)

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