एक रिसर्च में पता चला है कि यौन समस्याओं में काम आने वाली दवा वायग्रा की हर दिन मामूली खुराक लेने से कोलोरेक्टल कैंसर( पाचन तंत्र के निचले भाग पर स्थित कोलन या रेक्टम के कैंसर) का जोखिम कम हो सकता है.
अमेरिका में ऑगस्ट यूनिवर्सिटी में रिसर्चर डारेन डी ब्राउनिंग ने बताया कि आंत की परत पर कोशिकाओं के गुच्छे (पॉलिप्स) बन जाते हैं. ये गुच्छे कैंसर का रूप ले सकते हैं. वायग्रा उनके निर्माण को घटाकर आधे से भी कम कर देती है.
वायग्रा करेगा कमाल
जर्नल कैंसर प्रीवेंशन रिसर्च में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, अब रिसर्चर्स का अगला कदम उन लोगों में क्लिनिकल ट्रायल करना होगा, जिन्हें कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम सबसे ज्यादा है. ब्राउनिंग ने बताया कि वायग्रा का इस्तेमाल वर्षों से कई खुराकों में और कई आयुवर्ग के लोगों में किया जाता रहा है.
फेफड़ों की बीमारियों से संबंधित, हाइपरटेंशन से गस्त, समय से पहले जन्म लेने वाले नवजातों से लेकर यौन संबंधी समस्या से ग्रस्त अधिक आयु के लोगों के लिए इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है.
डारेन डी ब्राउनिंग की रिसर्च टीम ने पाया कि पानी में डालकर वायग्रा देने से चूहों में पॉलिप्स घट गए.ब्राउनिंग ने कहा,
‘‘वायग्रा का मामूली डोज देने से चूहों में ट्यूमर की संख्या घटी. अब इस परीक्षण के बाद हम उम्मीद करते हैं कि इंसानों में आंत के कैंसर के खतरे को कम करने में वायग्रा बेहद उपयोगी साबित हो सकती है. अब हम अपने रिसर्च के अगले दौर में इसकी पड़ताल करेंगे’’- डारेन डी ब्राउनिंग, रिसर्चर, ऑगस्ट यूनिवर्सिटी
क्यों मशहूर है वायग्रा?
वायग्रा अंतर्राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल कंपनी फाइजर का ब्रांड है. नीले रंग के इस टैबलेट में सिलडेनाफिल ड्रग का इस्तेमाल किया जाता है, जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन या इम्पोटेंस जैसी पुरुषों की यौन समस्याओं के इलाज में कारगर तरीके से काम करता है. हालांकि कई तरह की और समस्याओं के लिए भी इस दवा का इस्तेमाल होता है, लेकिन वायग्रा की सबसे ज्यादा बिक्री सेक्स संबंधी समस्याओं की वजह से होती है.
(इनपुट: भाषा)
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