एडिक्शन मेरे लिए अनजाना शब्द नहीं है. मैं कई चीजों का एडिक्ट रहा हूं. कॉफी, फूड, अल्कोहल.. और ऐसी ही कुछ और चीजों का.
वीडियो गेम्स मेरा पहला एडिक्शन था. हमारी (मेरे बड़े भाई और मैं) लगातार जिद करने के बाद हमारे पेरेंट्स ने 2002 में प्लेस्टेशन-2 लाकर दिया. एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी) से पीड़ित बारह साल के बच्चे के लिए यह नशा बन गया था.
वीडियो गेम का पहला नशा
पहले दिन, मैं करीब 12 घंटे तक लगातार खेला. या शायद इससे भी ज्यादा देर तक . मुझे ठीक से याद नहीं है. मुझे बस इतना याद है कि मैंने प्लेस्टेशन-2 को सुबह 10 बजे से खेलना शुरू किया था और जब खेलना खत्म किया था उस वक्त रात के करीब 10.30 बजे थे.
कुछ दिनों में मैं पीएस-2 पर 8-10 घंटे खर्च करने लगा था. जिस दिन स्कूल नहीं होता, मैं 12-15 घंटे खेलता था. या शायद इससे भी ज्यादा देर तक. मुझे याद है. मुझे याद है गॉड ऑफ वॉर, रेजिडेंट एविल 4, टाइम स्पिलिटर्स, डेविल मे क्राई 3, गेम्स खेलना मुझे पसंद था. पढ़ाई-लिखाई को पूरा वक्त नहीं देने पर मेरी मां ने पहली बार प्ले-स्टेशन हमसे छीन कर ताले में बंद कर दिया था
मेरी मां ने प्लेस्टेशन अलमारी में रख कर ताला लगा कर काम पर चली गईं थीं. मैं बहुत गुस्से में था.मेरे दिमाग में बस यही बातें आ रही थीं की ऐसा करने की उनकी हिम्मत कैसे हुई? वो ऐसा कैसे कर सकती हैं? मेरी धड़कनें बढ़ गई थीं. मुझे बेचैनी हो रही थी. मुझे चिढ़ हो रही थी और बुरी तरह तनाव में आ गया था. और यह सब मेरा प्लेस्टेशन ताले में बंद करने के दो घंटे के अंदर की बात है. मेरे हाथ कांप रहे थे. मैं ठीक से सोच नहीं पा रहा था. मैं उस वक्त नहीं जानता था, लेकिन मेरे साथ जो हो रहा था वह एडिक्शन के लक्षण थे.
मैंने अपने घर में काम करने करने वाली बाई से जबदस्ती दूसरी चाबी ले ली और मां की अलमारी खोल कर और झटपट प्ले स्टेशन निकाल कर सेट कर लिया. मैंने इसका प्लग जोड़ा और स्विच ऑन करने पर ज्योंही सिस्टम ऑन होने की आवाज (आप यह आवाज सुनते ही पहचान जाते हैं) आई, मुझे जबरदस्त राहत महसूस हुई, ऐसी राहत जो बयान नहीं की जा सकती. मुझे महसूस हुआ जैसे एक के बाद एक लहरें मुझे भिगो रही हैं. और मुझे शर्म महसूस हुई. मुझे शर्म महसूस हुई कि मैं कितना कमजोर हूं.
शुरू हो गया था वजन बढ़ना
दूसरी परेशानी जो थी वह थी मेरी सेहत . मुझे अपनी सेहत की भी कोई खबर तक नहीं थी. किसी भी गेमर से सवाल करेंगें ज्यादातर का यही जवाब होगा. मैं बस चिप्स वगैरह ही खाता था क्योंकि इसे खाना आसान था.
मैं पहले से ही ओवरवेट बच्चा था, लेकिन पूरे समय घंटों बैठ कर वीडियो गेम्स खेलने से मेरा वजन और बढ़ गया. जल्द, मैं ऐसा टीनएजर था, जिसमें मेडिकल जांच में प्री-डायबिटिक लक्षण पाए गए थे. इसका मतलब था कि मैं 18 साल का होने से पहले ही डायबिटिक बनने के कगार पर था.
और फिर हद पार हो गई
एक और घटना जो मुझे बिल्कुल साफ तौर से याद है, वो इसके कुछ समय बाद घटित हुई: मेरी मां वीडियो गेम नहीं खेलने और उनकी बात नहीं सुनने से तंग आकर मेरे एक चचेरे भाई से मिलीं. वह मुझसे करीब 8 साल बड़ा था और मुझसे उसकी काफी नजदीकी थी, मेरा अंदाजा है कि वो इसी लिए उसके पास गईं. मुझे बहुत कायदे से याद है: मैं अपने सोफे पर बैठा हुआ टाइमस्पिलिटर्स खेल रहा था और मेरा चचेरा भाई दूसरी तरफ सोफे पर मेरी मां के साथ बैठा हुआ था, और मुझसे मेरे ‘एडिक्शन केबारे में बात कर रहा था.
वह मुझसे कह रहा था कि मेरी मां कितनी परेशान हैं. इधर मेरा खेलना जारी था. वह मुझे बता रहा था किमेरी मां मुझे लेकर कितनी फिक्रमंद हैं. मैंने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया था ना ही कोई प्रतिक्रिया की थी. मेरी मां ने रोना शुरू कर दिया और उससे कहा कि मुझे समस्या है. मैंने स्क्रीन से नजरें हटाए बिना उससे कहा, मेरी मां झूठ बोल रही है.
तब मेरे भाई ने मुझे ध्यान दिलाया कि मेरी मां रो रही हैं और मैं अब भी बैठा हूं और वीडियो गेम खेल रहा हूं और मुझसे पूछा क्या तुम्हें शर्म नहीं आती. तब मैं उससे मुखातिब हुआ कुछ देर तक बहस की. और आखिरकार मैं बहुत देर तक इससे इनकार नहीं कर सका. मुझे लगता है कि यह सबसे नीचे गिरना था. 13 साल की उम्र में मैं इस नीचता पर पहुंच गया था. एडिक्शन ने मुझे बहुत शर्मिंदा कर दिया था.
हर एडिक्ट इस एहसास के बारे में जानता है. जब आप कोशिश करते हैं तो आप कोशिश करते हैं, और आप खुद से नफरत करते हैं और कोशिश करते हैं तो आप हार जाते हैं.एक एडिक्ट के तौर पर, चाहे आप जिस चीज के भी एडिक्ट हों, आप को शर्म का बोझ उठाना होता है. आप खुद से शर्म करते हैं. आप खुद के इतना कमजोर होने पर शर्म करते हैं.
अगर आपको समस्या है तो मदद लीजिये
जरूरी बात यह है कि आपको समझना होगा कि आपको समस्या है. और मदद हासिल करनी होगी. वीडियो गेम्स और जंक फूड के साथ खुद को बर्बाद न करें. अगर वीडियो गेम खेलने में लगने वाला समय आपकी रोजाना की जिंदगी पर असर डाल रहा है, मदद हासिल कीजिए. मैं खुशकिस्मत था कि मुझे मदद मिली.
मेरे लिए, मदद चचेरे भाई के रूप में आई जिसने मेरे लिए हाथ बढ़ाया. जल्द ही मैंने संगीत के लिए अपने शौक को पहचाना. मैंने ड्रम बजाना शुरू किया और एक बैंड से जुड़ गया.
धीरे-धीरे मैं वीडियो गेम्स की दुनिया से बाहर निकल गया. कुछ समय बाद मेरा प्लेस्टेशन खराब हो गया, लेकिन मैं इसे ठीक नहीं कराना चाहता था. इस तरह मैंने गेम्स खेलना छोड़ा तो मेरा इसके लिए लगाव भी जाता रहा.
(विष्णु गोपीनाथ द क्विंट से जुड़े पत्रकार हैं. इस ब्लॉग में किशोरावस्था में वीडियो गेम्स एडिक्शन के उनके निजी अनुभव समेटे गए हैं.
अगर आपके बच्चे में एडिक्शन के लक्षण दिख रहे हैं या आपको लगता है कि वह भी इसका शिकार हो सकता है, तो भरोसेमंद मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल की जानकारी पानेके लिए इस राज्य-वार सूची को देखें.)
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