सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना अच्छी बात है, लेकिन व्हाट्सएप पर आए हर मैसेज को बगैर जाचें दूसरे को फारवर्ड करना नुकसानदेह हो सकता है. मामला राजनीति से जुड़ा हो या हेल्थ से आपको सोशल मीडिया पर ढेरों राय और सुझाव मिल जाएंगे, लेकिन क्या इन सबपर अमल करना सही है?
आजकल निपाह वायरस के बारे में सोशल मीडिया पर लोग इस वायरस से बचने के लिए कई ऐसे नुस्खे बता रहे हैं, जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि रातरानी की पत्तियों का काढ़ा वायरस के लिए दवा की तरह कारगर है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है.
निपाह का अभी तक कोई इलाज नहीं है
निपाह से निपटने के लिए अभी तक कोई टीका या इलाज नहीं मिला है, इस बीमारी में मृत्यु दर लगभग 70 प्रतिशत है.
केरल में इस वायरस से करीब 16 लोगों की मौत हो चुकी है. केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा है कि जिन 18 मरीजों में निपाह पॉजिटिव मिला था.ये उन्हीं मे से 16 मरीज हैं जो नहीं बच पाये बाकी 2 की तबीयत में कुछ सुधार हो रहा है.
निपाह के लिए वैक्सिनेशन?
इस महामारी से लड़ने के लिए दवाओं को अभी तैयार किया जा रहा है, लेकिन इन्हें तैयार करने में पांच साल लगेंगे.
हरऋंगार और रातरानी की पत्तियां
आइए अब व्हाट्सएप पर भेजे जा रहे मैसेज की बात करें. जो तकरीबन हर किसी के पास भेजा जा रहा है.. बायोमेडिकल एंड फार्माकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अन्य पेपर में कहा गया है कि 'हरसिंगार या रातरानी से गुस्सा, बुखार, ब्रोंकाइटिस, गठिया, त्वचा रोग, हेपेटिक विकार, बवासीर और बहुत से रोगों में उपयोगी है.
लेकिन क्या ये निपाह वायरस के खिलाफ आपकी मदद कर सकते हैं?
दिल्ली के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और प्रोग्राम डायरेक्टर डॉ अश्विनी सेतिया कहते हैं.
किसी भी दवा का उपयोग शुरू करने से पहले उसका प्रयोग करके उसे जांचा जाता है. ताकी इसका प्रभाव साबित हो पाए. लेकिन इस बीमारी के लिए ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया गया हैं. हालांकि नाइट-जैसमीन को बुखार और डेंगू के लिए उपयोगी माना गया है, इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह निपाह वायरस के खिलाफ भी मददगार साबित होगा.
तो क्या निपाह वायरस के खिलाफ दवा के रूप में इस तरह के एक मिश्रण को इस्तेमाल किया जाना चाहिए डॉ अश्विनी सेतिया का मानना
है कि ऐसा दावा करना गलत है.
इस मिश्रण में इस्तेमाल की जाने वाली चीजें (रात चमेली पत्तियां, काली मिर्च, नींबू) नुकसान नहीं करने वाली हैं. लेकिन यह समझना जरूरी है. कि इस तरह के मिश्रण सिर्फ इम्यूनिटी बूस्टर की तरह इस्तेमाल की जा सकती हैं. लेकिन इलाज के लिए नहीं इस्तेमाल की जा सकती हैं. आयुर्वेद में आमतौर पर इस तरह के काढ़े का इस्तेमाल बॉडी से टौक्सिन निकालने के लिए किया जाता है.
तो वेबकूफ ना बनें
एक होते हैं बेवकूफ और दूसरे होते हैं वेबकूफ, वेबकूफ वो होते हैं जो सोशल मीडिया की सभी जानकारी को बगैर किसी जांच पड़ताल सच मान लेते हैं. इसलिए वेबकूफ बनने से अच्छा है की सही जानकारी दूसरों तक पहुंचाएं.
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(मीडिया के इनपुट से)
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