क्या आपको सुबह उठने में सुस्ती या आलस लगता है और आप बड़ी मुश्किल से बिस्तर छोड़ पाते हैं? इसकी वजह ये है कि हम में से ज्यादातर लोग अलार्म के भरोसे सुबह उठते हैं.
स्वाभाविक रूप से जागना इसलिए जरूरी है ताकि शरीर को नींद से सचेत अवस्था में आने के लिए आवश्यक समय मिले, नहीं तो हमारा दिमाग पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो पाता है.
प्रकृति के साथ समय बिताने के लिए सूर्योदय के समय उठने वाले लोगों के बारे में पढ़ना, मेडिटेशन करना, सुबह की एक कप कॉफी खूबसूरत और आनंददायक लगती है.
अगर आप देर रात तक जागने वालों में से हैं, तो सुबह आरामदायक बिस्तर छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है. सोमवार या किसी भी दिन सुबह की मीटिंग से नफरत करना और बहुत जरूरी होने तक से सिर्फ एक मिनट पहले उठना आदत और जीवन जीने का तरीका बन सकता है.
रिचर्ड वेली, एंग्लिकन पादरी और लेखक कहते हैं, "सुबह एक घंटे का समय खराब होने से पूरे दिन आपको वक्त की कमी का एहसास होगा". देर से उठने वालों को दिनभर समय की कमी लगती है.
मिरेकल मॉर्निंग मिलेनियर: ‘व्हाट द वेल्दी डू बिफोर 8 एएम दैट विल मेक यू रिच’ किताब के लेखक डेविड ओसबोर्न ने खुद यह बात स्वीकारी कि जब वो छात्र थे, तो वीकेंड में देर रात तक जागा करते थे और वीकडेज में भी देर से सोने की आदत थी. फिर, जॉब शुरू करने पर भी उनकी ये आदत बनी रही. हालांकि, उन्हें जल्द ही समझ आ गया कि दुनिया उन्हें हमेशा देर से सोने नहीं देगी, और रात में सक्रिय होकर भी वो दिन के दौरान अपने बिजनेस के कामकाज की क्षतिपूर्ति कभी नहीं कर पाएंगे.
प्राचीन समय में ऋषियों से लेकर आज के न्यूरोसाइंटिस्ट हर कोई हमें बताते हैं कि जल्दी उठना स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है.
योग और ध्यान के साथ दिन की शुरुआत शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक पहलुओं को संतुलित करती है.
डॉ जो डिस्पेंजा, न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी बेस्टसेलिंग किताब ‘बीकमिंग सुपरनैचुरल: हाउ कॉमन पीपल आर डूइंग द अनकॉमन’ में लिखा है कि मेडिटेट करने के लिए सबसे अच्छा समय 1 से 4 बजे के बीच है.
सुबह जल्दी उठने के फायदे
आपको जल्दी जागने के बारे में क्यों गंभीरता से विचार करना चाहिए?
नींद के आलस से बाहर आना
वैज्ञानिकों का मानना है कि जागना एक स्वाभाविक कार्य होना चाहिए ना कि जबरदस्ती या अलार्म की आवाज पर. हम नींद की जड़ता अनुभव करते हैं, जो ध्यान, सतर्कता और मेमोरी को प्रभावित करती है. यह नींद से पूरी तरह जागने का वक्त होता है, जो 2-4 घंटे तक रहता है. नींद से उठकर एडजस्ट करने के लिए समय की आवश्यकता होती है. एक अलार्म हमें इस बदलाव को आराम से करने की अनुमति नहीं देता है.
जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन के हीडलबर्ग में जीवविज्ञान के प्रोफेसर क्रिस्टोफर रैंडलर का कहना है कि सुबह जल्दी उठना मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता को बढ़ाता है. सुबह उठने वाले लोगों में सोचने की क्षमता और समस्या को सुलझाने की कला बेहतर होती है. ऐसे लोग ज्यादा रचनात्मक होते हैं, इनकी एकाग्रता और मेमोरी भी बेहतर होती है.
सुकून का अनुभव
सुबह उठने का एक और फायदा है कि आप भागदौड़ भरी लाइफ शुरू होने से पहले अपनी सुबह की शुरुआत कर देते हैं. उस वक्त कम शोरगुल रहता और आप सुकून का एहसास कर सकते हैं. सुकून और शांति में समय बिताने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, रक्तचाप कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
आप ऑर्गेनाइज्ड होते हैं
हम हर वक्त 'व्यस्त' होने की बात कहते रहते हैं; वास्तव में ये एक बहाना या भागने की वजह है. सुबह के शुरुआती घंटे हमें ऑर्गेनाइज्ड होने का समय देते हैं. अपने पूरे दिन की योजना बनाने के लिए उस समय का उपयोग चिंता को कम कर सकता है, प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकता है और महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने की गारंटी दे सकता है.
प्रकृति से पोषण
सुबह के शुरुआती घंटे हमें प्रकृति से जुड़ने का अवसर प्रदान करते हैं. हमारे पूर्वजों ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक बाहर बहुत समय बिताया, जिससे वो काफी वक्त प्रकृति के सानिध्य में गुजार सकें.
शुरुआत अपने बालकनी में बैठने या पड़ोस के पार्क में टहलने जैसी आसान आदत से कर सकते हैं. प्रकृति से निकटता शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक एहसास को कम करती है.
आराम से नाश्ता करने का वक्त
देर से उठने पर पहला असर हमारे ब्रेकफास्ट पर पड़ता है. नाश्ता बनाने और खाने के लिए आवश्यक समय को आप कितनी बार कम कर देते हैं? लेकिन सुबह जल्दी उठने पर आप दिन का पहला पौष्टिक भोजन आसानी से ले सकते हैं, जो आपको खुशी देता है.
ऊर्जावान होने का एहसास
जल्दी उठने वाले व्यक्ति रात में गहरी नींद लेते हैं, जिसका उन्हें फायदा मिलता है और वो ज्यादा ऊर्जावान महसूस करते हैं. आराम के अलावा यह ब्लड प्रेशर, टिशू और हड्डी को मजूबत बनाने के साथ कोशिकाओं को सुधारने में मदद करता है.
कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत?
किसी भी जीवन शैली में बदलाव के लिए समय और धैर्य की आवश्यकता होती है. छोटे व्यावहारिक चरणों से शुरू करें क्योंकि जादू स्थिरता में निहित है. अगर आप देर से उठने वाले हैं तो जाहिर है आप अचानक सुबह 5 बजे उठने की ख्वाहिश नहीं कर सकते. जल्दी उठने की प्रक्रिया को रात की दिनचर्या से एडजस्ट करने की आवश्यकता होती है.
जल्दी सो जाएं और 10 मिनट पहले उठकर ये अभ्यास शुरू करें. धीरे-धीरे, इसे 30 मिनट तक बढ़ाने से बहुत फर्क पड़ेगा.
ध्यान, योग या पूरे दिन की योजना बनाने जैसी गतिविधियों को 10 मिनट के स्लॉट में विभाजित करें. यदि आप किसी भी दिन उठने में असमर्थ हैं, तो दोषी महसूस ना करें, बस अगले दिन जल्दी उठना जारी रखें और हार ना मानें.
सुबह 5 बजे उठने वालों की लिस्ट में शामिल हों, हर दिन सुबह के आनंद का अनुभव करने के लिए शांति में पक्षियों को गुनगुनाते सुनें और सुबह की खूबसूरती को महसूस करें.
(नुपूर रूपा एक स्वतंत्र लेखिका हैं और मांओं के लिए एक लाइफ कोच हैं. वह पर्यावरण, फूड, इतिहास, पेरेंटिंग और ट्रैवल पर लेख लिखती हैं.)
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)