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Autism Awareness Day:ऑटिजम से पीड़ित बच्चों की देखभाल कैसे करें?एक्सपर्ट की राय

बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए पैरेंट्स, टीचर, थेरेपिस्‍ट और डॉक्टर को एक टीम की तरह मिल-जुलकर काम करना चाहिए.

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World Autism Awareness Day 2023: ऑटिजम एक न्यूरो डिवेलपमेंट समस्या है. जिन बच्चों में ये समस्या होती है, उन्हें सोशलाइज होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. अच्छी बात यह है कि इस डिसऑर्डर के लक्षण बेहद छोटी उम्र में नजर आने लगते हैं और समय रहते इस पर ध्यान दिया गया तो बच्चा काफी हद तक सामान्य जीवन जी पाता है.

ऑटिजम की पहचान कैसे करें? ऑटिजम की गंभीरता की पहचान कैसे करें? कैसे करें ऑटिजम से पीड़ित बच्चों की देखभाल? फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से जानें इन सारे सवालों के जवाब.

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ऑटिजम की पहचान कैसे करें?

"ऑटिजम स्‍पैक्‍ट्रम डिसॉर्डर आमतौर से जीवन के पहले 3 वर्षों में दिखायी दे जाता है. इसमें सामाजिक व्यवहार और अमौखिक (नॉन-वर्बल) कम्‍युनिकेशन जैसे कि नजरे मिलाना, चेहरे पर हाव-भाव प्रदर्शित करना और शारीरिक मुद्राओं का अभाव प्रमुख होता है."
डॉ. नितिन कुमार राय, कंसलटेंट- न्‍यूरोलॉजी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

ऑटिजम की पहचान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, खासतौर से छोटे बच्चों में जो अभी तक विकार के स्पष्ट लक्षण प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं. हालांकि, ऑटिजम के कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • विलंबित भाषा विकास 

  • आंखों के संपर्क में कमी

  • शारीरिक मुद्राओं का अभाव

  • सामाजिक संपर्क में कठिनाई 

  • दोहराए जाने वाले व्यवहार

  • सेंसरी सेंसिविटी

  • मानसिक सुस्ती

  • भावनात्‍मक उदासीनता

  • अतिसक्रियता

  • कभी-कभी अधिक गुस्सा

  • खुद को नुकसान पहुंचने की भावना

  • कॉग्निटिव स्‍तर पर हानि

  • मिर्गी

  • गैस्‍ट्रोइंटेस्‍टाइनल शिकायतें

इन बच्चों में मोटर संबंधी शिथिलताएं और अनिद्रा के लक्षण भी दिखायी देते हैं.

"माता-पिता बच्चे में इनमें से किसी भी व्यवहार को नोटिस करते हैं, तो आगे के मूल्यांकन के लिए बाल रोग विशेषज्ञ या ऑटिज्म के विशेषज्ञ से बात करना महत्वपूर्ण है."
डॉ. जया सुकुल, सीनियर कंसल्टेंट - क्लिनिकल साइकोलॉजी, मारेंगो क्यूआरजी अस्पताल, फरीदाबाद

ऑटिजम की गंभीरता की पहचान कैसे करें?

डॉ. नितिन कुमार राय फिट हिंदी से कहते हैं कि ऑटिजम से प्रभावित बच्चों में सोशल कम्‍युनिकेशन की कमी, चीजों में रुचि न होना और बार-बार एक जैसे बर्ताव का दोहराव जिससे जीवन की क्‍वालिटी पर असर पड़ता है, जैसे लक्षण देखे जाते हैं. इन पहलुओं को पहचान और समझ कर इस विकार की गंभीरता का मूल्‍यांकन किया जा सकता है. इसके अलावा, क्‍लीनिकल लक्षणों का मूल्‍यांकन कर भी ऑटिजम की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है.

वहीं डॉ. जया सुकुल के अनुसार ऑटिजम को "स्पेक्ट्रम" विकार के रूप में पहचाना गया है क्योंकि लक्षण, प्रकार और गंभीरता में बच्चों के अनुभव भिन्न हो सकते हैं. ऑटिजम की गंभीरता आमतौर पर सामाजिक संचार, दोहराए जाने वाले व्यवहार और सेंसरी सेंसिविटी में हानि के स्तर से निर्धारित होती है.

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कैसे करें ऑटिजम से पीड़ित बच्चों की देखभाल?

"पैरेंट्स, टीचर, थेरेपिस्‍ट और डॉक्टर को एक टीम की तरह मिल-जुलकर काम करना चाहिए. दवाओं का कम से कम इस्तेमाल करें. इनकी बजाय वैकल्पिक थेरेपी और कम्‍युनिकेशन थेरेपी दें. साथ ही, एजुकेशनल और स्कूल आधारित थेरेपी, ऑक्‍यूपेशनल थेरेपी और कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है."
डॉ. नितिन कुमार राय, कंसलटेंट- न्‍यूरोलॉजी, फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स, ओखला रोड, नई दिल्‍ली

ऐसे ऑटिस्टिक बच्चों की देखभाल करने वाले अभिभावकों को खुद भावनात्‍मक स्तर पर स्थिर और शिक्षित होना चाहिए. परिवार के दूसरे सदस्यों से मदद लेते रहनी चाहिए. साथ ही, उन्हें घर पर बच्चे के लिए शांत और तनावमुक्‍त (stressfree) वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए. बच्चे के लिए नियमित एक्सरसाइज के अलावा पोषणयुक्‍त भोजन, पर्याप्त नींद सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए. ऑटिस्टिक बच्चों द्वारा एक ही व्यवहार बार-बार किए जाने से खिन्‍न होने की बजाय उसे अवसर में बदलने पर ध्यान देना चाहिए. संयम और शांत मन से बच्चों की मदद करनी चाहिए. माता-पिता को अपनी और बच्चे की काउंसलिंग कराने पर भी विचार करना चाहिए. थेरेपी भी इसमें काम आती है.

"ऑटिजम से ग्रसित बच्चों के माता-पिता को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऑटिजम और इसके लक्षणों के बारे में जितना संभव हो सीखकर देखभाल करना सही हो सकता है. जितना अधिक माता-पिता जानेंगे, वे बच्चे की जरूरतों को समझने और उनके विकास में सहयोग करने के लिए उतने ही बेहतर ढंग से तैयार होंगे."
डॉ. जया सुकुल, सीनियर कंसल्टेंट - क्लिनिकल साइकोलॉजी, मारेंगो क्यूआरजी अस्पताल, फरीदाबाद

बच्चे को अधिक सुरक्षित महसूस करने में मदद करने के लिए एक दिनचर्या बनाना और उसे फॉलो करना जरुरी है. बच्चों के लिए घर में एक सुरक्षित और सुव्यवस्थित माहौल बनाए. दिनचर्या को समझने में बच्चे की मदद करने के लिए विजुअल एड्स का उपयोग करें. विजुअल शेड्यूल, पिक्चर कार्ड और दूसरे विजुअल एड्स ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए मददगार हो सकते हैं. माता-पिता को बच्चे से बातचीत करते रहने की जरूरत है, भले ही बच्चा कुछ भी बोलने में समर्थ न हो.

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क्या ऑटिस्टिक बच्चों को होती है अनिद्रा की समस्या?

एक्सपर्ट्स के अनुसार, ऑटिजम से प्रभावित बच्चों में अनिद्रा की शिकायत ज्यादा होती है. कई बार वे रात में नींद से जाग जाते हैं और फिर उन्हें दोबारा सुलाने में काफी समय लग सकता है. कई बच्चों में स्‍लीप एप्निया की शिकायत भी होती है.

ऑटिजम से पीड़ित लोगों के लिए अनिद्रा की समस्या का सामना करना काफी आम है.

यह कई कारकों के कारण हो सकता है, जैसे रिलैक्सेशन के समय, अनियमित मेलाटोनिन का स्तर. नींद में समस्या ऑटिजम से ग्रसित वयस्कों और बच्चों दोनों को प्रभावित कर सकती हैं. ऑटिजम से पीड़ित कुछ बच्चों को सोने में या सोते रहने में कठिनाई हो सकती है, जबकि दूसरे को रात के दौरान बार-बार जागना पड़ सकता है.

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