ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्ल्ड हार्ट डे: कम उम्र में भी हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है

लाखों भारतीय दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं. हम मसालेदार और ज्यादा तेल व नमक वाला खाना खाते हैं, कसरत नहीं करते.

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

(भारत में हर साल 30 लाख लोग दिल की बीमारियों मर जाते हैं. देश में दिल का हर दसवां मरीज 40 साल से कम उम्र का है. दुनियाभर में हर 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे के तौर पर मनाया जाता है, और इस मौके आपके लिए जानना जरूरी है कि खतरे की उम्र सीमा अब 50 से घटकर 30 साल क्यों हो गई है.)

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब हम बड़े हो रहे थे तो उस वक्त हमारे दादाजी हार्ट अटैक के खतरे की रेंज में माने जाते थे. अब इस रेंज में 20 और 30 साल के हमारे युवा दोस्त भी शामिल हो चुके हैं. तो फौरन अपना बुलबुले वाला ड्रिंक फेंक दीजिए. बहाने बनाने के बजाय यह फ्राइज और समोसा भी छोड़ दीजिए, क्योंकि हार्ट अटैक अब बूढ़ों की बीमारी नहीं रह गई.

ट्रिनिटी हॉस्पिटल ने साल 2013 में ओपीडी से जुटाए आंकड़ों के विश्लेषण में पाया कि हर रोज 30 साल से कम उम्र के 900 भारतीय हार्ट अटैक से मर रहे हैं. लेकिन यह यहीं पर खत्म नहीं होता. 3.5 लाख से ज्यादा हार्ट पेशेंट पर नेशनल इंटरवेंशनल काउंसिल द्वारा किए एक अध्ययन के मुताबिक, देश में साल 2015 में की गई दस में से एक सर्जरी में मरीज की उम्र 40 साल से कम थी.

युवा होने का मतलब सेहतमंद होना नहीं है

23 साल की उम्र में हार्ट अटैक

पांच साल पहले मुंबई में रह रहे एनिमेटर प्रमोद ने अपने 23वें जन्मदिन की रात घर लौटने के लिए लास्ट लोकल ट्रेन पकड़ी थी.

ट्रेन में मेरे सीने में बेचैनी महसूस हुई. मैंने सोचा कि यह थकावट की वजह से है या मिक्स ड्रिंक लेने का असर है. लेकिन घर पहुंचने पर भी तकलीफ कम नहीं हुई. यह धक-धक करने वाला दर्द नहीं था, एक लगातार बेचैनी थी, और फिर इसके बाद उलटी हो गई. अगले दिन यह सोचते हुए हुए कि अपच का मामला है, मैं अपनी मां के साथ अस्पताल गया. लेकिन वहां डॉक्टर ने बम गिरा दिया.
प्रमोद, 23 साल के हार्ट पेशेंट

डॉक्टर क्या कहते हैं?

मैं हर महीने 40 साल से कम उम्र के तीन से चार हार्ट पेशेंट देखता हूं. मेरे लिए सबसे अचंभे का केस (यहां तक कि मेडिकल क्षेत्र में भी) वह था, जिसमें मुंबई में 18 साल की एक लड़की को कार्डियक अरेस्ट हुआ था. हालांकि उसका मेरे अस्पताल में इलाज नहीं हुआ था.
डॉ. आशीष कॉन्ट्रैक्टर, कार्डियोलॉजिस्ट
रहन-सहन काफी बदल चुका है. शहरी तनाव, गाहे-बगाहे स्मोकिंग, लगातार बैठे हुए काम करने वाली दिनचर्या और खाने में जंक फूड की हिस्सेदारी. इन सबकी मिलीभगत से उम्र के तीसरी और चौथी दहाई में हार्ट अटैक कोई अनोखी बात नहीं रह गई है. मेरा पूरा परिवार तब से सहमा हुआ है. लेकिन मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है. अब मैं अटपटी शिफ्ट नहीं करता. मैं हमेशा वक्त पर खाना खाता हूं और बिना गैप किए हर रोज आधे घंटे टहलता हूं.
प्रमोद (23 साल के हार्ट पेशेंट)

कई चीजें हैं, जिन्हें प्रमोद ने बदल दिया. लेकिन हार्ट अटैक की मंडराते खतरे को वह कभी नहीं बदल पाएंगे. तो फिर आप अपनी लाइफ स्टाइल बदलने के लिए क्यों जिंदगी को खतरे में डाल देने वाले लम्हे का इंतजार कर रहे हैं?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

भारतीय और शाकाहारियों को है ज्यादा खतरा

भारतीय खान-पान में सैचुरेट फैट और रिफाइंड कार्बोहाईड्रेट का स्तर बहुत ज्यादा होता है. अन्य विकसित देशों की तुलना में हम आधी मात्रा में ही फल और सब्जियां खाते हैं. हम जिस तरीके से बहुत देर तक खाना पकाते हैं, उससे 90 फीसद विटामिन और फोलिक एसिड नष्ट हो जाते हैं. 
सेंटर फॉर क्रोनिक डिजीज कंट्रोल इन डेल्ही

लाखों भारतीय दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं. हम मसालेदार और ज्यादा तेल और नमक वाला खाना खाते हैं, कसरत नहीं करते, और ताजे फल और रेशे कम ही लेते हैं.

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन द्वारा हाल में ही किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि शहरी घरों में तेल की खपत 90 के दशक के मुकाबले 50 फीसद बढ़ गई है. चर्बी की खपत बीते 12 सालों में 42 ग्राम से रोजाना से 52 ग्राम पर पहुंच गई है. आश्चर्य नहीं कि हार्ट अटैक भारत में मौत का अकेला सबसे बड़ा कारण यही है.

लेकिन युवा भारतीय पुरुषों का दिल खासतौर से ज्यादा खतरे में है. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, पश्चिम में 40 साल से कम आयु वर्ग के 5.6 फीसद लोगों को होने वाले हार्ट अटैक की तुलना में भारत में आंकड़ा 12 फीसद है. इस बात के संकेत हैं कि भारत वासियों की धमनियां (आर्टरी) दुनिया के अन्य हिस्सों के निवासियों की तुलना में संकरी हैं.

‘ट्रिफिटी फेमाइन थ्योरी’ भी अपना असर दिखाने लगी है. पूर्व में खाद्यान्न की कमी ने अन्य जातियों की तुलना में भारतीयों के जींस को अधिक संग्रहण के लिए प्रोग्राम कर दिया है.
डॉ. बी.पी. गोयल, निदेशक, कार्डियक डिपार्टमेंट, बॉम्बे हॉस्पिटल
ADVERTISEMENTREMOVE AD

शाकाहारी तो वैसे ही दिल की बीमारियों के तयशुदा शिकार हैं. विटामिन B12, जो कि मुख्यतः पशु उत्पादों में पाया जाता है, की कमी हार्ट अटैक की बड़ी वजह है.

क्या आपके दिल की भी उतनी ही उम्र है, जितनी आपकी?

बड़े शहरों में बडे़ अस्पतालों में उपलब्ध आधुनिक जांच उपकरणों और टेस्ट की सुविधा के चलते हार्ट अटैक की संभावना का 90 फीसद सटीकता से पता लगाया जा सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हो सकता है कि आप तंदुरुस्त हों, लेकिन जब आप आरामदायक सोफे में धंसे हुए हों तो दौड़कर दरवाजे तक पहुंचने की फुर्ती और लोच क्या आपमें है? या आपके पैरों में इतना दम है कि बिना हांफे दौड़ते हुए सीढ़ियां चढ़ सकें? अगर आप ऐसा नहीं कर पा रहे तो इसकी वजह साफ है कि आपके दिल की उम्र उतनी नहीं है, जितनी आपकी है.

धमनियों में ब्लॉकेज आपके पैदा होने के साथ ही शुरू हो जाता है. लेकिन यह जिस रफ्तार से होता है, वह उस खाने पर निर्भर करता है, जो आप खाते हैं, जो लाइफस्टाइल आप जीते हैं, जो कसरत आप करते हैं और आपकी जेनेटिक बनावट. इस तरह हो सकता है कि आप 30 साल के हों, लेकिन आपका दिल कहीं ज्यादा उम्र का हो सकता है.
डॉ. बी.पी. गोयल, निदेशक, कार्डियक डिपार्टमेंट, बॉम्बे हॉस्पिटल

लेकिन जैसा कि प्रमोद कहते हैं, अपनी किशोरावस्था में आप सोचते हैं कि आप अमर हैं. हेल्दी लाइफ स्टाइल का ज्ञान कोई लेने को तैयार नहीं होता. उनका 22 साल का चचेरा भाई अब भी परिवार की सारी नसीहतों को दरकिनार कर डबल चीज बिग मैकबर्गर विद फ्राइज का ही ऑर्डर देता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×