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Surat: AAP ने कांग्रेस के वोट में लगाई सेंध, 9 सीटों पर सेकेंड- BJP का किला अभेद

Gujarat Election Results 2022: सूरत जिले की 16 विधानसभा सीटों में से किसी भी सीट पर AAP नहीं जीत पाई है.

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गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की है. बीजेपी को 150 से ज्यादा सीटें मिलती दिख रही है. वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) बुरी तरह से पिछड़ गई है. इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है. वहीं AAP को 5 सीटें मिलती दिख रही हैं.

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सूरत में AAP का सूपड़ा साफ, वोट पर्सेंट बढ़ा

अगर सूरत जिले (Surat District) की बात करें तो अहमदाबाद के बाद यहां सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें हैं. सूरत पिछले तीन दशक से बीजेपी का मजबूत गढ़ बना हुआ है. इस बार भी यहां कमल खिला है. सभी 16 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. वहीं आम आदमी पार्टी एक भी सीट अपने नाम नहीं कर पाई है, लेकिन वोट पर्सेंटेज जरूर बढ़ा है.

सूरत में सेकेंड पोजिशन के लिए लड़ाई देखने लायक है. 16 में से 7 सीटों पर कांग्रेस और 9 सीटों पर AAP ने फाइट दी है. हालांकि, जीत के मार्जिन को देखें तो किसी सीट पर ज्यादा फाइट नहीं दिखी.

सूरत की 16 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने 15 उम्मीदवार उतारे थे. गुजरात आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष गोपाल इटालिया सूरत के कतारगाम से ताल ठोक रहे थे. लेकिन वो चुनाव जीतने में नाकाम रहे हैं. इटालिया को महज 27% वोट ही मिले. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार विनोदभाई मोराडिया को 58% वोट मिले. गोपाल इटालिया 2015 में हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी. आंदोलन के दौरान वो हार्दिक पटेल के करीबी भी रहे. लेकिन इस बार चुनाव में युवाओं को जोड़ने में नाकाम रहे.

वराछा रोड हॉट सीट मानी जा रही थी. आम आदमी पार्टी के अल्पेश कथीरिया के मैदान में आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया था. अल्पेश ने बीजेपी के किशोरभाई शिवभाई काननी को कड़ी टक्कर दी है. अल्पेश को 41% वोट मिले हैं, जबिक किशोरभाई ने 55% वोट के साथ जीत दर्ज की है. अल्पेश भी पाटीदार आंदोलन में हार्दिक पटेल के प्रमुख सहयोगी थे.

इसके साथ ही ओलपाद विधानसभा सीट पर भी नजरें टिकी थी. आम आदमी पार्टी के धार्मिक मालवीय बीजेपी के मुकेशभाई पटेल से चुनाव हार गए. मुकेश भाई को 58% वोट मिले, दूसरे नंबर पर 19% वोट के साथ दर्शन कुमार रहे. वहीं तीसरे नंबर पर धार्मिक मालवीय के खाते में मात्र 18% वोट ही आए.

AAP की हार के कारण

BJP का मजबूत किला: सूरत में आम आदमी पार्टी के हार के कई कारण हैं. इनमें से सबसे बड़ा कारण है सूरत में बीजेपी की मजबूत पकड़. कई दशकों से बीजेपी का अभेद किला बना हुआ है. AAP बीजेपी के वोटों में सेंध लगाने में कामयाब नहीं हुई है.

पिछले चुनाव से तुलना करें तो बीजेपी ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार बीजेपी के खाते में 16 की 16 सीटें आई है. आप की वजह से कांग्रेस को नुकसान हुआ है. 2017 में मंडावी सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इस बार बीजेपी 39% वोटों के साथ जीत गई है. यहां कांग्रेस को 30% और AAP को 26% वोट मिले हैं. इससे साफ की मंडावी में AAP, कांग्रेस की हार का कारण बनी है.

पाटीदारों ने नहीं दिया AAP का साथ: विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पाटीदार आंदोलन से जुड़े नेताओं को मैदान में उतारा था. गोपाल इटालिया कतारगाम विधानसभा और प्रदेश महामंत्री मनोज सोरठिया करंज विधानसभा से चुनावी मैदान में थे. आम आदमी पार्टी ने पाटीदार आंदोलन से निकले बड़े नेता अल्पेश कथेरिया और धार्मिक मालवीय को वारछा और ओलपाद से टिकट दिया था. लेकिन ये सभी नेता पार्टी के पक्ष में युवाओं को जोड़ने में नाकाम रहे.

AAP के लिए क्या है पॉजिटिव?

सूरत जिले में जहां बीजेपी का एकक्षत्र राज है. वहीं कांग्रेस दूसरे नंबर पर रहती थी. इस चुनाव में AAP का बीजेपी के साथ ही कांग्रेस से भी मुकाबला भी था. AAP ने कई सीटों पर कांग्रेस से ज्यादा वोट हासिल किए हैं. इससे साफ है कि जनता बीजेपी के बाद आम आदमी पार्टी को विकल्प के तौर पर देख रही है.

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