क्या आप नींद में बार-बार बुरे सपने देखते हैं और किसी काम में ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं? या आपको हर काम टालने की आदत पड़ चुकी है तो सावधान हो जाइए. हो सकता है आप मानसिक बीमारी ‘पोस्ट ट्रामैटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर’ (पीटीएसडी) के शिकार हों.
इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करता है. ‘पीटीएसडी’ ऐसी समस्या है, जिसमें दिमाग पुरानी बातों के बारे में सोचकर प्रतिक्रिया देने लगता है.
एक रिसर्च में पता चला है कि बचपन की घटनाएं जो मन पर असर डालती हैं या परिवारिक टेंशन पीटीएसडी होने की संभावना को बढ़ाते हैं.
पीटीएसडी के सिंपटम्स:
- जल्दी जागना और नींद में बुरे सपने देखना
- एक घटना का बार-बार दिखना या याद आना
- भूलने की परेशानी
- ध्यान केंद्रित नहीं कर पाना
- अचानक तेज गुस्सा और कभी-कभी हिंसक होना
- डर, घबराहट और चिंता में बने रहना
- मांसपेशियों में दर्द
क्या है इलाज
पीड़ित की मनोदशा में जल्दी सुधार लाने के लिए और बीमारी के लक्षण कम करने के लिए डाॅक्टर ‘मूड एलिवेटर’ थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं. इसके लिए सम्मोहन (हिप्नोसिस) का भी सहारा लिया जाता है. यह ट्रीटमेंट काफी हद तक कारगर सिद्ध हुआ है.
मनोचिकित्सकीय तकनीक कागनेटिव बिहेवरल थेरेपी से भी इस बीमारी का इलाज किया जाता है.यह बातचीत का एक साइंटिफिक तरीका है. जिसमें दर्दनाक घटनाओं से उपजी गलत सोच के बारे में पीड़ित से बात की जाती है.
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