हेल्दी लाइफ के लिए कम से कम 8 घंटे की नींद जरूरी है...डॉक्टर्स भी यही कहते हैं. लेकिन होस्टल में रहने वाले और कॉलेज के स्टूडेंट्स की मत पूछिए. वो तो बस सारी रात जागने के लिए पूरे हफ्ते इंतजार करते हैं. नाइट शिफ्ट झेल रहे यंगस्टर्स भी चाय-कॉफी के सहारे पूरी रात काम करते हैं.
पूरी रात जगने के बाद अगली सुबह सिरदर्द के साथ थकान के बारे में तो सबको पता है. लेकिन क्या आपको पता है कि इससे टाइप 2 डायबिटीज के साथ-साथ, मोटापे और मेमोरी कम होने जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
1. 24 घंटे बिना सोए रहना मतलब भयंकर नशे में रहना!
उस सुबह को याद कीजिए, जब आपने 24 घंटे लगातार जगने के बाद गाड़ी चलाई हो. गाड़ी चलाना मुश्किल रहा होगा. बस पूरे रास्ते किसी तरह घर पहुंचने की लगी रही होगी.
मेडिकल स्टडीज के मुताबिक, 24 घंटे लगातार जागना भयंकर नशे में होने के बराबर है.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस की स्टडी कहती है कि अगर आपकी नींद पूरी न हो, तो आपका दिमाग नशे में धुत्त शराबी जैसा हो जाता है. आप जल्दबाजी में डिसीजन लेते हैं, जिनका आपको बाद में खेद होता है और बोलते वक्त शब्दों को खा जाते हैं.
कई स्टडीज कह चुकी हैं कि थकान में गाड़ी चलाना नशे में गाड़ी चलाने जैसा है. अमेरिका में 17% जानलेवा रोड एक्सिडेंट नींद में गाड़ी चलाने की वजह से होते हैं.
मेडिकल डेली में छपी एक दूसरी स्टडी कहती है- 6 घंटे सोने वालों के बीमार होने के चांसेज 7 घंटे की नींद लेने वालों की अपेक्षा चौगुने होते हैं.
कहीं...आप ये तो नहीं सोच रहे हैं कि आपके अक्सर बीमार पड़ने के पीछे कम सोना ही असली कारण है. नींद न मिलने की वजह से और क्या होता है ये भी जान लीजिए.
2. टाइप 2 डायबिटीज, ओबेसिटी और चेहरे पर बुढ़ापा
अगर आप हर रोज अपनी पार्टियों या इंटरनेट यूज करने की वजह से 8 घंटे नहीं सो रहे हैं तो आपको संभल जाना चाहिए.
साल 2011 में सामने आई न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की स्टडी के मुताबिक, हर रात 7 घंटे से कम सोने वाले लोगों में 8 घंटे सोने वाले लोगों की अपेक्षा इंपेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज (फास्टिंग के दौरान ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से अधिक रहना) की स्थिति पैदा होने की संभावना चौगुनी होती है. ये टाइप 2 डायबिटीज से पहले की स्थिति है.
ये आपकी बॉडी में स्ट्रेस हार्मोन को ज्यादा मात्रा में रिलीज करती है. इसके निगेटिव इफेक्ट्स में इम्यून सिस्टम कमजोर होना, त्वचा खराब होना और चेहरे पर जल्दी बुढ़ापा आना शामिल है. इसके साथ ही आपका मोटापा भी एक कारण है.
लेप्टिन और ग्रेहलिन हार्मोन आपकी भूख और पेट भरने वाली फीलिंग को नियमित करते हैं. अब नींद ही पूरी नहीं होगी, तो इन हार्मोन की हालत खराब हो जाती है. इसके बाद आपकी बॉडी आपको पेट भरने पर भी बताना बंद कर देती है.
आधी नींद में आपकी बॉडी की मेटाबॉलिज्म बनाने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.
3. बॉडी क्लॉक बिगड़ते ही कम हो जाता है कॉन्फिडेंस
सरकेडियन रिदम के बारे में सुना है आपने? बॉडी क्लॉक के बारे में तो सुना ही होगा? दरअसल, आपकी बॉडी के हर पार्ट की अपनी बॉडी क्लॉक होती है. सोने का टाइम और जगने का निश्चित टाइम. यही क्लॉक आपके नेचुरली भूख लगने और सोने का टाइम तय करती है. पर जब ये क्लॉक बिगड़ जाती है, तो जब आपको सोना चाहिए होता है, तो आप खाना खा रहे होते हैं. जगने के टाइम पर आप सोने जा रहे हैं. मतलब कि आप पूरी तरह से क्लॉक के अपोजिट चल रहे हैं.
4. सेक्स लाइफ पर भी पड़ेगा बुरा असर
बेहतरीन सेक्स लाइफ के लिए स्वस्थ दिमाग बहुत जरूरी है. सेक्स के दौरान उत्तेजना के लिए दिमाग पूरी तरह एक्टिव होना चाहिए. अब अगर दिमाग सोने या सेक्स में से किसी एक चीज में होगा, तो आप दोनों में से एक को चुनने को स्थिति में नहीं होंगे.
5. गजनी बनने का...यानी मेमोरी खराब होने का रिस्क!
कॉलेज के दौरान मैं कभी भी एग्जाम से पहले की रात नहीं सोती थी. मुझे लगता था कि कहीं सोते ही मेरा याद किया हुआ दिमाग से उड़ न जाए. मैं सोचती थी कि मैं ज्यादा बेहतर तरीके से कंसन्ट्रेट कर पाऊंगी.
लेकिन इसका सच ये है कि जब आप सोते हैं, तो आपके ब्रेन का हिप्पोकैंपस उस हर चीज को रिप्ले करता है, जो आपने जगते हुए सीखी है. इस तरह ये चीजें आपकी लॉन्ग टर्म मेमोरी में सेव होती हैं. बढ़िया नींद आपकी अटेंटिवनेस, रिकॉलिंग क्षमता और रीजनिंग एबिलिटीज बढ़ाती है.
अब मुझे लगता है कि यही कारण था जिसकी वजह से मेरी ग्रेड्स कम आती थीं.
मम्मियों के लिए खास संदेश
लगातार कम नींद लेना एक-दो रातों को न सोने से ज्यादा खतरनाक है. हालांकि दोनों ही स्थिति में आपकी बैट्री डाउन ही होनी है. इसलिए बेहतर यही है कि पूरी नींद लेना शुरू कर दें.
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