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बासमती चावल का निर्यात 10 फीसदी गिरा, गैर-बासमती 37 फीसदी

बासमती चावल का निर्यात 10 फीसदी गिरा, गैर-बासमती 37 फीसदी

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बासमती चावल का निर्यात 10 फीसदी गिरा, गैर-बासमती 37 फीसदी

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 नई दिल्ली, 3 दिसम्बर (आईएएनएस)| भारत के बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के शुरुआती सात महीने में 10 फीसदी घट गया है, जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में 37 फीसदी की गिरावट आई है।

 कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) से मिली जानकारी के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान भारत ने करीब 20 लाख टन चावल का निर्यात किया जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान देश से 22 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था। इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले बासमती चावल के निर्यात में 10 फीसदी की गिरावट आई है।

बासमती चावल के निर्यात को अगर रुपये के मूल्य के रूप में देखा जाए तो अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक भारत ने 15,564 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल निर्यात किया है जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान बासमती चावल का निर्यात 16,963 करोड़ रुपये का हुआ था। वहीं, डॉलर के मूल्य में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 222.5 करोड़ डॉलर मूल्य निर्यात हुआ जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 247.9 करोड़ डॉलर मूल्य का बासमती चावल निर्यात हुआ था।

एपीडा के तहत आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ) के निदेशक ए. के. गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि इस समय ईरान को बासमती चावल का निर्यात नहीं हो रहा है, जिसके कारण निर्यात में कमी आई है। मालूम हो कि ईरान ने भारत से बासमती चावल का आयात करने पर पिछले कुछ समय से रोक लगा दी है। उन्होंने बताया कि इससे पहले ईरान को जो निर्यात हुआ उसका भुगतान भी नहीं हो रहा है।

वहीं, गैर-बासमती चावल का निर्यात अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 28.1 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात 44.8 लाख टन था। वहीं, रुपये के मूल्य के रूप में भारत ने इस साल अप्रैल से अक्टूबर तक 8,013 करोड़ रुपये का गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल इसी अवधि में 12,487 करोड़ रुपये का गैर-बासमती चावल निर्यात हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष में पिछले साल के मुकाबले करीब 37 फीसदी घट गया है।

बताया जा रहा है कि भारत का गैर-बासमती चावल दुनिया के बाजारों में महंगा होने के कारण इसकी निर्यात मांग कम है।

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