पटना, 17 फरवरी (आईएएनएस)| बिहार में अब सार्वजनिक कुओं के 'अच्छे दिन' लौटने वाले हैं।
सार्वजनिक कुओं के संरक्षण के लिए यूजर कमेटी बनेगी। इस समिति में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी संबंधित प्रखंड के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) के कनीय अभियंताओं को दी गई है। अभियंताओं को समिति का गठन करने और उसकी बैठक कर कुएं का सही उपयोग सुनिश्चित करने के साथ ही समिति को स्टील बाल्टी और डोरी भी सौंपनी है। कुएं का उपयोग समिति की देखरेख में किया जाएगा। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने सभी जिले के कार्यपालक अभियंताओं को आवयश्यक कार्यवाही करने का निर्देश जारी किया गया है।
सरकार का मानना है कि इससे लंबे समय बाद फिर से गांवों में कुएं का वजूद वापस लौटेगा। माना जाता है कि अभी आधुनिकता की धुंध में कुआं का वजूद गुम हो गया है। लोगों को पर्व त्योहार एवं शादी-विवाह के मौके पर विधि-विधान के लिए भी कुएं की खोज में भटकना पड़ता है। सरकार की इस योजना से गांव की संस्कृति फिर से अपने मूल रूप में लौटेगी।
एक अधिकारी ने बताया कि विभाग की ओर से सभी जिलों को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि कुओं के उपयोग सामान्य तौर पर पेयजल को छोड़कर अन्य सभी कार्य, जैसे स्नान, बर्तन सफाई, जानवरों को पीने सहित अन्य कार्यो के लिए किया जाएगा।
विभाग ने सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार कार्य शुरू करवाया है। एक अधिकारी ने बताया कि पहले चरण में 1060 से अधिक कुओं की उड़ाही आदि का कर्य शुरू किया गया था, उसमें से अधिकातर कुओं का जीर्णोद्धार कर दिया गया है।
इसके अलावा शेष 7300 से अधिक पंचायतों में सार्वजनिक कुओं के जीर्णोद्धार के लिए राशि आवंटित कर दी गई है। इन प्रत्येक कुओं के चारों ओर प्लेटफॉर्म भी बनाया जाना है। कुएं के नजदीक सोख्ता भी बनाना है, जिससे इस्तेमाल किया हुआ पानी भी जमीन के अंदर चला जाए।
विभाग ने अपने संबंधित कनीय अभियंताओं को हर माह कुआं का निरीक्षण करने की जिम्मेदारी दी है। हर महीने जिले के सार्वजनिक कुओं की रिपोर्ट संबंधित प्रमंडल को भेजी जा सकेगी। लापरवाही बरतने वाले कनीय अभियंताओं के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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