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राफेल डील में सरकारी गारंटी के बजाय आश्वासन पत्र पर CAG की चिंता

कैग ने राफेल करार में सरकारी गारंटी के बजाय आश्वासन पत्र के इस्तेमाल पर चिंता जतायी

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न्यूज
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नयी दिल्ली, 13 फरवरी (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने लड़ाकू विमान राफेल की खरीद के लिये भारत सरकार द्वारा फ्रांस के साथ किये गये करार में सरकारी गारंटी के बजाय महज आश्वासन पत्र को वरीयता देने पर चिंता जतायी है।

कैग की संसद में बुधवार को पेश रिपोर्ट में राफेल सौदे के कमजोर पहलुओं का जिक्र करते हुये फ्रांस सरकार द्वारा विमान की आपूर्ति के बारे में सरकारी गारंटी देने के बजाय आश्वासन पत्र को सौदे का आधार बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2007 में तत्कालीन संप्रग सरकार के प्रस्तावित करार में अग्रिम भुगतान के एवज में 15 प्रतिशत ‘बैक गारंटी’ का प्रावधान शामिल किया गया था।

मौजूदा सरकार द्वारा किये गये सौदे के तहत गारंटी संबंधी प्रावधानों पर चिंता व्यक्त करते हुये कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि करार के भंग होने की स्थिति में भारत को पहले पंचाट के जरिये सीधे तौर पर विमान के फ्रांसीसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ मामले को सुलझाना पड़ेगा। पंचाट द्वारा भारत के पक्ष में फैसला सुनाने पर और राफेल विमान बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा इस फैसले का पालन नहीं कर पाने पर ही भारत अपने विधिक अधिकारों के इस्तेमाल का दावा कर सकेगा।

उल्लेखनीय है कि भारत ने फ्रांस के साथ पहली बार अंतरसरकारी समझौता कर 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का सौदा किया है। इसके पहले भारत इसी तरह का अंतरसरकारी समझौता अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ कर चुका है।

भाषा निर्मल माधव1302 1901 दिल्लीनननन.

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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