प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अहमदाबाद के साबरमती में वोट डालने पहुंचे तो वहां का नजारा ही कुछ और था. पीएम मोदी का स्वागत ढोल नगाड़ों से किया गया. वैसे तो वोट डालना किसी भी शख्स का अपना निजी अधिकार होता है और लोग अकेले जाकर अपना वोट डालते है, लेकिन पीएम मोदी जब वोट डालने गए तो ये मौका भी एक बड़े इवेंट में तब्दील हो गया. मोदी के इस कदम को कांग्रेस ने रोड शो करार देते हुए इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताया है.
कांग्रेस ने पीएम पर आचार संंहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है- काग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा-
पीएम मोदी ने जिस तरीके से वोटिंग के दिन रोड शो किया ये साफ दर्शाता है कि चुनाव आयोग बीजेपी का बंधक बना है. कठपुतली चुनाव आयोग क्यों अपनी आंखें मुंद कर बैठता है. मोदी जी की नजर में कानून की कोई कद्र नहीं है.
चुनाव आयोग पर भड़का गुस्सा
सुरजेवाला ने चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए कहा कि 70 साल के इतिहास में पहली बार चुनाव आयोग की ऐसी हालत देखी. चुनाव आयोग मूकदर्शक बना है. संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.
ये भी पढ़ें-
गुजरात चुनाव LIVE: दोपहर 12 बजे तक 39 फीसदी वोटिंग
सुरजेवाला ने कहा चुनाव आयोग की संलिप्तता से बीजेपी संविधान की धज्जियां उड़ा रही है. चुनाव आयोग संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझे और प्रजातंत्र को इतना अधिक नीचे ना गिराएं, कि लोग चुनाव आयोग जैसी निष्पक्ष संस्था पर भरोसा छोड़ देंं
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी पीएम मोदी पर सवाल उठाते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट कर डाले.
वहीं एनपीए पर भी सुरजेवाला ने कहा-
एनपीए को किसने जन्म दिया मोदी जी बताएं. मोदी के 42 महीने के शासन के बाद बैंक के एनपीए 2.27 लाख से 7.3 लाख करोड़ रुपए हो गया. एनपीए का घोटाला एनडीए की नाक के नीचे हो रहा था. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के आधार पर एनपीए मोदी सरकार के वक्त बढ़ा. 3 साल में मोदी जी ने चुनिंदा उद्योगपतियों का 1.88 लाख करोड़ रुपए माफ किए. मोदी जी बताएं एनपीए उनके शासनकाल में क्यों बढ़ रहा है?
बता दें कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकों के एनपीए के सवाल पर कांग्रेस को घेरा था. उन्होंने कहा था कि आजकल NPA का जो हल्ला मच रहा है यह पहले की सरकार में बैठे अर्थशास्त्रियों की ओर से मेरी सरकार को दिया गया सबसे बड़ा बोझ है.
ये भी पढ़ें-
मोदी ने कहा, बैंकों का NPA यूपीए की देन, हम पर भारी बोझ लाद दिया
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)