नई दिल्ली, 2 फरवरी (आईएएनएस)| द निजामाबाद चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के संस्थापक अध्यक्ष पी.आर. सोमानी का कहना है कि दवाइयों के लेबल पर निर्माताओं की ओर से छापी गई एमआरपी इन दवाओं की बिक्री के दामों से 3000 फीसदी तक अधिक होती है। उन्होंने कहा कि ड्रग प्राइस पॉलिसी नहीं होने के कारण लोगों को रोजाना लूटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज दवाइयों की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए कोई ड्रग प्राइस पॉलिसी नहीं है इसलिए फार्मास्युटिकल कंपनियों की ओर से दवाओं के लेबल पर अनाप-शनाप और मनमाने ढंग से बहुत ज्यादा एमआरपी छापी जाती है, जिनमें जेनेरिक और जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं। यही नहीं, सर्जिकल उपकरण के दाम भी काफी बढ़ा-चढ़ाकर लेबल पर प्रिंट किए जाते हैं।
उन्होंने बताया, "मैंने अलग-अलग कंपनियों की कई दवाओं का अध्ययन किया है और यह पाया है कि खुदरा व्यापारियों के खरीद मूल्य और दवाओं के लेबल पर छपी एमआरपी में बहुत बड़ा अंतर है।
पी.आर. सोमानी ने कहा, "मैंने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 20 अक्टूबर 2018 को ई-मेल से सभी तथ्यों और सबूतों के साथ स्थिति की जानकारी दी थी। पीएमओ ने तत्काल जवाब देते हुए इस मुद्दे को संबंधित विभाग को भेज दिया था।"
उन्होंने कहा, "मैंने इस मुद्दे को पिछले साल 26 दिसंबर को देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के सामने भी उठाया था। उनकी पहल पर मैंने रासायनिक उर्वरक मंत्री डी. वी. सदानंद गौड़ा, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जे. पी. नड्डा, फार्मास्युटिकलविभाग के सचिव जे.पी. प्रकाश, फार्मास्युटिकल विभाग के संयुक्त सचिव नवदीप रिणवा के सामने यह मुद्दा उठाया। हर कोई इस बात को सुनकर स्तब्ध और हैरान रह गया और सभी ने समग्र रूप से तथ्यों को स्वीकार किया।"
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