ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुआवजे के लिए बेटे को हादसे में मरा बता दिया, 11 साल बाद पकड़े गए

2010 के रेल हादसे में मृत घोषित किया गया व्यक्ति जिंदा निकला

Published
न्यूज
2 min read
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female
ADVERTISEMENTREMOVE AD
कोलकाता, 20 जून (आईएएनएस)। साल 2010 में हुए ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसे में मृत घोषित 38 वर्षीय व्यक्ति 11 साल बाद जिंदा मिला है।

रहस्य का खुलासा तब हुआ, जब सीबीआई ने शनिवार शाम को उत्तर कोलकाता के जोरबागान से अमृतवन चौधरी नाम के एक व्यक्ति को हिरासत में लिया। हादसे के वक्त शख्स की उम्र 27 साल थी।

ज्ञानेश्वरी रेल दुर्घटना में मृत व्यक्तियों की सूची में चौधरी का नाम भी शामिल था। 28 मई, 2010 को पश्चिम मिदनापुर में कथित तौर पर माओवादियों द्वारा अंजाम दिए गए सबसे भयावह हादसों में से यह एक रही है। इस दौरान मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस पटरी से उतरने के बाद सामने से एक मालगाड़ी संग जा भिड़ी। इस हादसे में 148 यात्रियों ने जान गंवाया था।

प्रारंभिक जांच में पाए निष्कर्षों के आधार पर सीबीआई के अफसरों ने माना कि डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से जिस व्यक्ति की पहचान की गई थी, जिसे दुर्घटना में मृत करार दिया था, वह वास्तव में जिंदा है।

उस दौरान चूंकि चौधरी को मृत करार दिया गया था इसलिए उनके परिवार को मुआवजे के रूप में 4 लाख रुपये की रकम दी गई थी और केंद्र सरकार की एक नौकरी का प्रबंध भी किया गया था, जिसकी घोषणा उस वक्त रेलवे ने की थी।

चौधरी की बहन इस वक्त दक्षिण पूर्व रेलवे के सियालदह डिवीजन में असिस्टेंट सिंग्नल के रूप में कार्यरत हैं। इसके अलावा, वह कथित तौर पर केंद्र सरकार की भी एक नौकरी में लिप्त है, जो भाई की मौत के बाद मुआवजे के तौर पर उन्हें मिला हुआ है। कहा जाता है कि चौधरी के माता-पिता के द्वारा ही मुआवजे के पैकेज के हिस्से के रूप में दी गई अनुग्रह राशि स्वीकार की गई थी। एफआईआर में अमृतव चौधरी, उनकी बहन महुआ पाठक और उनके माता-पिता मिहिर कुमार चौधरी और अर्चना चौधरी का नाम लिया गया है । एक अन्य अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों को भी एफआईआर के दायरे में रखा गया है।

सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, हमें पिछले साल 11 अगस्त को दक्षिण पूर्व रेलवे की प्रशासनिक शाखा के महाप्रबंधक (सतर्कता) के कार्यालय से शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर एक गुप्त जांच शुरू की गई थी। प्रारंभिक निष्कर्ष से पता चला है कि अमृतव चौधरी आज भी जिंदा है।

वह आगे कहते हैं, डीएनए प्रोफाइलिंग से मिलान करने के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया था। इसका मतलब है कि डीएनए रिपोर्ट संग कोई छेड़छाड़ की गई थी क्योंकि तथाकथित मृत व्यक्ति अमृतव चौधरी जीवित है। और जिनका शव सौंपा गया था, वह अमृतव था ही नहीं।

राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, जो शव पहचानने योग्य स्थिति में थे, उन्हें दस्तावेजों की जांच के बाद परिवारों को सौंप दिया गया था, लेकिन कई शव क्षत-विक्षत थे और उनकी पहचान नहीं हो सकी थी। उन मामलों में डीएनए मिलान के बाद शव परिजनों को सौंपे गए थे।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह साफ है कि चौधरी परिवार ने कुछ सरकारी अधिकारियों की कथित मिलीभगत से डीएनए प्रोफाइलिंग रिपोर्ट से छेड़छाड़ की थी और यह साबित कर दिया था कि ट्रेन दुर्घटना के पीड़ितों में से एक का डीएनए उनके परिवार के सदस्यों के डीएनए से मेल खाता है।

--आईएएनएस

एएसएन/आरजेएस

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें