वाम नेताओं ने देश में ‘गहराते आर्थिक संकट’ को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार की शुक्रवार को आलोचना की और उस पर उद्योगपतियों को रियायतें देने एवं किसानों की दुर्दशा की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि केवल वाम दल ही देश में ‘दक्षिणपंथी भटकाव’ और ‘स्पष्ट फासीवादी प्रवृत्ति’ को चुनौती दे सकते हैं।
येचुरी ने सम्मेलन में कहा, ‘‘ मोदी सरकार ने पिछले महीनों में देश के अमीरों को 2.25 लाख करोड़ रूपये की राहत दी है लेकिन किसानों की मदद से मुंह फेर लिया है जो कृषि क्षेत्र के संकट के चलते आत्महत्या करने के लिए विवश हैं।’’
इस सम्मेलन में माकपा, भारतीय कम्यनिस्ट पार्टी (भाकपा), ऑल इंडिया फॉरवार्ड ब्लॉक (एआईएफबी) और रिवोल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) हिस्सा ले रही हैं । देश में आर्थिक संकट और सरकारी नीतियों के खिलाफ 10-16 अक्टूबर के दौरान अपने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन पर चर्चा के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया है।
येचुरी ने दावा किया, ‘‘ स्थिति बहुत खराब है और लोगों का जीवन विनाश के कगार पर है। बेरोजगारी पिछले 50 सालों के चरम पर है, उद्योग एवं कारोबार चौपट हैं तथा नौकरियां जा रही हैं। कृषि क्षेत्र पर सबसे अधिक मार पड़ी है और किसान आत्महत्या के लिए विवश हैं।’’
उन्होंने कहा कि रक्षा उत्पादन एवं दूरसंचार क्षेत्रों में शत प्रतिशत विदेशी निवेश से देश की सुरक्षा के लिए ‘खतरा’ उत्पन्न होगा।
येचुरी ने सरकार से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए उद्योगपतियों को रियायतें देने और शेयर बाजार में सट्टेबाजी के बजाय स्थानीय मांग में वृद्धि के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश करने का आह्वान किया।
भाकपा महासचिव डी राजा ने गहराते आर्थिक संकट के मद्देनजर समाज के कामगार वर्ग और वंचित वर्ग को बचाने की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि अर्थव्यवस्था 'अस्त-व्यस्त स्थिति' में है।
उन्होंने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने, मॉब लीचिंग और असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त स्थिति में है। लेकिन उसे गहरे संकट से उबारने के बजाय आरएसएस भाजपा गठजोड़ ने देश को राजनीतिक-सामाजिक संकट में धकेल दिया है। ’’
पांच वामदलों की ओर से जारी संयुक्त बयान में रोजगार पैदा करने के लिए और युवकों को बेरोजगारी भत्ता देने के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाने की मांग की गई है।
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