श्रीनगर, 15 दिसम्बर (आईएएनएस)| जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को हुई मुठभेड़ और उसके बाद संघर्षो में 11 लोग मारे गए। घाटी में यहा हाल के इतिहास में यह एक सबसे रक्तरंजित दिन रहा है। इलाके में आतंकियों के छिपे होने की गुप्त सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया और इसके बाद सिरनू गांव में मुठभेड़ शुरू हो गई।
पुलिस ने बताया कि मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और एक जवान शहीद हो गया।
मुठभेड़ के तुरंत बाद, कई नागरिक प्रदर्शनकारी सुरक्षा बलों के साथ भिड़ गए, जिसके कारण भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों ने गोलीबारी की और पेलेट्स दागे।
मुठभेड़ स्थल पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष के दौरान गोलीबारी में दो युवक घायल हो गए, जिनकी पहचान आमिर अहमद और आबिद हुसैन के रूप में हुई है।
अधिकारियों ने बताया कि अस्पताल पहुंचते ही दोनों को मृत घोषित कर दिया गया।
पुलिस ने कहा कि श्रीनगर के एक अस्पताल में एक और प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जिसके बाद इस घटना में मारे गए प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़कर सात हो गई।
इलाके से मिली रपटों में कहा गया है कि संघर्ष में 35 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। उनमें से तीन की हालत नाजुक बनी है।
प्रशासन ने पुलवामा में कर्फ्यू लगा दिया है और नागरिकों की मौत के चलते कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उच्च सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
पुलवामा में मोबाइल सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और जम्मू क्षेत्र में कश्मीर घाटी और बनिहाल शहर के बीच रेल सेवाएं रोक दी गई हैं।
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट किया, "कश्मीर में एक और खूनी सप्ताहांत। छह प्रदर्शनकारी मारे गए, ड्यूटी पर तैनात एक जवान शहीद हो गया। सुबह की मुठभेड़ में तीन आतंकवादियों सहित 10 लोग मारे गए। मुठभेड़ स्थल से कई लोगों के घायल होने की खबर है। क्या भयानक दिन है।"
उमर ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक पर निशाना साधते हुए कहा, "राज्यपाल मलिक के प्रशासन में केवल एक काम और सिर्फ एक काम है। जम्मू-कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना और घाटी में शांति बहाल करना। अफसोस की बात है कि एकमात्र यही चीज प्रशासन नहीं कर पा रहा है। प्रचार अभियान और विज्ञापन भरे पृष्ठ शांति नहीं लाते।"
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी दिन की घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा, "हम अपने युवाओं के ताबूतों को कब तक कंधा देते रहेंगे? पुलवामा में आज मुठभेड़ के बाद कई नागरिक मारे गए। कोई भी देश अपने लोगों की हत्या करके युद्ध नहीं जीत सकता है। मैं इन हत्याओं की दृढ़ता से निंदा करता हूं और एक बार फिर इस खून-खराबे को रोकने के प्रयास करने की अपील करता हूं।"
वरिष्ठ अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने इस घटना को 'कश्मीरियों का नरसंहार' कहा और पूरी घाटी में शनिवार से शुरू तीन-दिवसीय बंद की घोषणा की।
उन्होंने ट्वीट किया, "पुलवामा नरसंहार, गोलियों और पेलेट्स की बारिश! चूंकि भारत सरकार ने अपने सशस्त्र बलों के जरिए कश्मीरियों की हत्या करने का फैसला किया है, इसलिए जेआरएल (संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व) और लोग सोमवार 17 दिसंबर को बदामी बाग सेना छावनी की ओर मार्च करेंगे, और कहेंगे कि हमें रोज मारने के बदले एक बार में एकसाथ मार दिया जाए।"
उन्होंने विश्व समुदाय से अपील की कि कश्मीर की गंभीर स्थिति को संज्ञान में लिया जाए।
डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट (डीपीएन) के गुलाम हसन मीर सहित अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी नागरिक हत्याओं की निंदा की।
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
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