नेपाल सरकार ने एक साहसिक निर्णय लेते हुए स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम (एसपीपी) के ढांचे के तहत अमेरिका के साथ विवादास्पद सैन्य समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।
सूचना और संचार मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने कहा कि सोमवार को एक कैबिनेट बैठक में अमेरिकी सरकार को सूचित करने का फैसला किया गया कि नेपाल एसपीपी का हिस्सा नहीं होगा।
एसपीपी में शामिल होने का मुद्दा नेपाल में राजनीतिक रूप से आरोपित मामला बन गया। सत्ताधारी और विपक्षी दल के नेता शेर बहादुर देउबा सरकार से अमेरिका के साथ एसपीपी पर किसी भी परिस्थिति में किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने का आह्वान करते रहे हैं।
देउबा का जुलाई के मध्य में अमेरिका का दौरा करने का कार्यक्रम है, जबकि नेपाल के सेनाध्यक्ष 27 जून से एक जुलाई तक द्विपक्षीय यात्रा पर अमेरिका में रहेंगे।
नेपाल सेना ने 2015 और 2017 में अमेरिकी दूतावास को पत्र लिखकर एसपीपी में शामिल होने का अनुरोध किया था। काठमांडू में अमेरिकी दूतावास ने उल्लेख किया था कि 2019 में नेपाल सेना के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया था। लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि नेपाल एसपीपी का हिस्सा था या नहीं।
चूंकि एसएसपी अमेरिकी सैन्य रणनीति का हिस्सा था, इसलिए सरकार ने सार्वजनिक प्रतिबद्धता जताई थी कि नेपाल इसमें भाग नहीं लेगा।
जून के दूसरे सप्ताह में अमेरिकी सेना के इंडो-पैसिफिक कमांड के जनरल चार्ल्स ए. फ्लिन के नेपाल दौरे के बाद एसपीपी समझौता और भी विवादास्पद हो गया।
प्रधानमंत्री देउबा एसपीपी के बारे में सकारात्मक थे, लेकिन सेनाध्यक्ष प्रभुराम शर्मा अनिर्णीत थे। नेपाल की अपनी यात्रा के दौरान फ्लिन ने कहा कि शर्मा की आगामी अमेरिका यात्रा के दौरान एसपीपी को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता किया जाना चाहिए।
--आईएएनएस
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