नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)| केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि उसने भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच नौवहन को सुगम बनाने के लिए शुरू की गई सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को राष्ट्रहित में नष्ट नहीं करेगी।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय की ओर से प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ को सूचित किया गया कि उसने पूर्व की सेतुसमुद्रम समुद्री मार्ग परियोजना का विकल्प तलाशने का फैसला किया है।
केंद्र ने अदालत में दाखिल एक हलफनामे में कहा, भारत सरकार राष्ट्रहित में रामसेतु को बगैर क्षति पहुंचाए पूर्व की सेतुसमुद्रम समुद्री मार्ग परियोजना का विकल्प ढूंढना चाहती है।
सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पिंकी आनंद केंद्र की ओर उपस्थित हुई थी। उन्होंने कहा कि सेतुसमुद्रम परियोजना के विरूद्ध भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की जनहित याचिका (पीआईएल) को अब खारिज किया जा सकता है।
स्वामी ने पीआईएल दाखिल करते हुए कहा था कि राम सेतु को क्षति नहीं पहुंचाना चाहिए।
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)