मास्को, 27 मार्च (आईएएनएस)| रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेइ रयाबकोव ने मंगलवार को कहा कि मास्को रूसी राजनयिकों को निष्कासित करने के मामले में वाशिंगटन और यूरोपियन यूनियन के निर्णय के खिलाफ 'कड़ा' जवाब देगा। रूस पर कथित रूप से ब्रिटेन में अपने पूर्व जासूस और उसकी बेटी पर नर्व एजेंट से हमला करने का आरोप है। समाचार एजेंसी स्पुतनिक की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, अमेरिका ने एक बार फिर रूस पर फर्जी आरोप लगाया है और यह सबकुछ उल्टा करने का प्रयास है।
रयाबकोव ने कहा, हम सकारात्मक कार्य करने के लिए तैयार हैं, हम इसे जारी रखेंगे, लेकिन हमारे राजनयिक दूतावास के खिलाफ अमेरिकी अधिकारियों के कल के निर्णय के बाद हमारी ओर से कड़े जवाब के बिना, मौजूदा हालत जारी नहीं रहेंगे।
रयाबकोव ने यह भी कहा कि रूस वाशिंगटन से सामरिक स्थिरता वार्ता को समाप्त नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा, हमें इस वार्ता की जरूरत है.. हम इस वार्ता को खत्म नहीं करेंगे, बल्कि इसे जारी रखेंगे।
अमेरिका ने सोमवार को ब्रिटेन में पूर्व रूसी राजदूत व उसकी बेटी को नर्व एजेंट देने के मामले में अन्य यूरोपीय देशों का साथ देते हुए 60 रूसी राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।
रूस के पूर्व जासूस स्क्रीपल और उसकी बेटी यूलिया पर सालिसब्यूरी में 4 मार्च को रासायनिक हमला किया गया था। दोनों फिलहाल गंभीर लेकिन स्थिर अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं। ब्रिटेन के अधिकारियों ने इस रसायन की पहचान नोविचोक के रूप में की है। यह एक नर्व एजेंट है जिसे शीत युद्ध के दौरान रूस ने विकसित किया था।
अमेरिका ने इन 60 रूसी अधिकारियों को 'जासूस' करार दिया, जिसमें से कई संयुक्त राष्ट्र में कार्य करते हैं। अमेरिका ने मास्को को सिएट्टेल में अपने वाणिज्यिक दूतावास को बंद करने के लिए कहा है, जिसके बाद वेस्ट कोस्ट में रूसी राजनयिक का प्रतिनिधित्व समाप्त हो जाएगा।
द गार्जियन के अनुसार, यूरोपीय संघ के सदस्य जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड ने खुफिया विभाग के पृष्ठभूमि का होने के कारण अपने देश से चार-चार राजनयिकों को निष्कासित करने वाले हैं। वहीं लिथुआनिया और चेक गणराज्य ने कहा है कि वह रूस के तीन-तीन राजनयिकों को निष्कासित करेगा और डेनमार्क, इटली व नीदरलैंड दो-दो राजनयिक निष्कासित करेंगे।
एस्तोनिया, लटाविया, कोएशिया, फिनलैंड, हंगरी, स्वीडन और रोमानिया ने अपने देश से एक रूसी राजनयिक को निष्कासित किया है। वहीं आइसलैंड ने घोषणा की है कि वह रूस में होने वाले विश्वकप में अपने अधिकारी को नहीं भेजेगा। इसी प्रकार से कई अन्य देशों ने भी रूसी राजनयिकों को अपने देश से निष्कासित करने का फैसला किया है।
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