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सीएए के खिलाफ कई शाहीन बाग चाहते हैं प्रदर्शनकारी

सीएए के खिलाफ कई शाहीन बाग चाहते हैं प्रदर्शनकारी

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नई दिल्ली, 17 जनवरी (आईएएनएस)| शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ धरने पर बैठीं कुछ महिलाओं ने शुक्रवार को जुमे की नमाज भी यहीं सड़क पर पढ़ी। वहीं कुछ हिंदू और सिख प्रदर्शनकारी इस दौरान महिलाओं के लिए भोजन का इंतजाम करने में जुटे रहे। इस दौरान यहां मौजूद सभी प्रदर्शनकारियों ने फिर दोहराया कि सरकार जब तक सीएए वापस नहीं लेगी, वे लोग वापस नहीं लौटेंगे। शाहीन बाग में प्रदर्शन की शुरुआत करने वाले कुछ लोग हालांकि अब बाकी के प्रदर्शनकारियों से अलग राय रखते हैं। ऐसे ही एक युवक शरजील इमाम का कहना है कि शाहीन बाग को पिकनिक स्पॉट बना दिया गया है। उन्होंने कहा, "जो लोग अपना समर्थन देना चाहते हैं, वे कुछ घंटे के लिए यहां आते हैं बैठते हैं और चले जाते हैं। इस सब से हासिल क्या हो रहा है और आगे क्या हासिल होगा।"

शरजील शाहीन बाग में चल रहे महिलाओं के धरने के संस्थापकों में से हैं। हालांकि अब वह इस धरने से अलग हो चुके हैं, लेकिन शाहीन बाग में अभी भी मौजूद हैं। शरजील ने कई दिन पहले यह धरना समाप्त करने की लोगों से अपील की थी। उन्होंने कहा कि ऐसे कई धरने दिल्ली व देश के अलग-अलग मोहल्लों में शुरू किए जाने चाहिए।

दिल्ली के जेएनयू और आईआईटी मुंबई से पढ़ाई कर चुके शरजील यूरोप की नौकरी छोड़कर दिल्ली लौटे हैं। उनका कहना है, "जो भी हमारे हमदर्द हैं, उन्हें अलग-अलग और अपने खुद के मोहल्लों में ऐसे धरने शुरू करने चाहिए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और अब यह मोहल्ला अकेला पड़ चुका है। शाहीन बाग के इस प्रदर्शन को चुनावी और सांप्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की गई, जो गलत है।"

शरजील ने शाहीन बाग के मंच से भी यहां बैठीं प्रदर्शनकारी महिलाओं से धरना समाप्त करने को कहा, जिसे वह और उनके कुछ दोस्तों ने शुरू किया था। उनका कहना है, "इतने दिनों तक लगातार धरना देने के बावजूद सीएए को लेकर उस तरह की जागरूकता बाकी के समाज में नहीं फैली जैसी की फैलनी चाहिए थी।"

प्रदर्शनकारियों के साथ मिलकर काम कर रहीं सोफिया का भी मानना है कि अब कम से कम स्कूल बस और ऐसे ही कुछ जरूरी वाहनों को इस मार्ग से आने-जाने की सुविधा दी जानी चाहिए।

हालांकि प्रदर्शन कर रहीं महिलाएं और उनकी अन्य साथी इसके लिए फिलहाल राजी नहीं हैं। यहां मौजूद आबिदा ने कहा कि उनके भी बच्चे स्कूल जाते हैं और सड़क बंद होने के कारण उनके बच्चों को भी घूम कर जाना पड़ता है, लेकिन एक बड़े मकसद की खातिर वह छोटी कुर्बानी देने को तैयार हैं।

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