ADVERTISEMENTREMOVE AD

"मिट्टी और सड़ी वस्तुओं से भी हो सकता है ब्लैक फंगस का संक्रमण"

सुनिए एम्स पटना के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ अनिल की ब्लैक फंसल पर सलाह

Published
न्यूज
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female
ADVERTISEMENTREMOVE AD
पटना, 22 मई (आईएएनएस)। कोरोना संक्रमण के बीच ब्लैक फंगस की चर्चा अब लोगों को डराने लगी है। लोग ब्लैक फंगस को लेकर अधिक जानना चाह रहे हैं। बिहार में अब तक ब्लैक फंगस के 50 से अधिक मरीज मिल चुके हैं, जिनमें से कई स्वस्थ भी हो गए हैं।
इस बीच, पटना स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है। पहले भी यह बीमारी थी। उन्होंने कहा कि इससे डरने नहीं बल्कि सचेत और जागरूक होने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कम इम्युनिटी वाले लोगों को मिट्टी से भी ब्लैक फंगस का संक्रमण हो सकता है। मिट्टी, नमी वाले स्थान, सड़ी वस्तुएं भी कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए ब्लैक फंगस का कारक हो सकते हैं।

डॉ. अनिल कहते हैं, यह फंगस पहले भी था लेकिन कोरोना काल में यह ज्यादा प्रचलित हुआ, क्योंकि अधिक स्टेरॉइड्स की दवा चलाई गई। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन देने के वक्त सावधानियां नहीं बरती गई।

डॉ. अनिल कहते हैं कि ऑक्सीजन सिलंेडर का पाइप, मास्क और हयूमिड फायर का पानी प्रत्येक 24 घंटे में बदला जाना चाहिए।

पटना एम्स के टेलीमेडिसिन प्रमुख डॉक्टर अनिल का मानना है कि कोरोना के भय के कारण बिना किसी डॉक्टर के सलाह के स्टेरॉयड लेना ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है। कोरोना काल में संक्रमण के कारण अचानक से ऐसे मामले बढ़े हैं। इसमें शुगर हाई होना, स्टेरॉयड का हाईडोज लेना, बिना एक्सपर्ट की निगरानी के डेक्सोना जैसे स्टेरॉयड की हाई डोज लेना बड़ा कारण बन सकता है।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। उनका मानना है कि जो लोग स्वस्थ होते हैं उन पर ये हमला नहीं कर सकता है। हम इस बीमारी को जितनी जल्दी पहचानेंगे इसका इलाज उतना ही सफल होगा।

उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस की रोक के लिए लोगों को शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शुगर (मधुमेह) को नियंत्रित करने की जरूरत है तथा हमें स्टेरॉयड कब लेना है, इसके लिए सावधान रहना चाहिए। सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस नाक, मुंह से प्रवेश कर सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं कि ब्लैक फंगस तुरंत जानलेवा है। यह फंगस नाक, आंख होते हुए यह ब्रेन में जाता है, तब यह किसी व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकता है। इस फंगस की अगर पहले चरण में यानी नाक में ही पहचान हो जाए तो इसका इलाज आसान है। उन्होंने कहा कि इसके लिए भी मास्क पहनना बचाव है।

वे कहते हैं कि नाक के बाद यह आंख में पहुंचता है, जहां भी इलाज संभव है, लेकिन जब यह ब्रेन में पहुंच जाता है तब यह खतरनाक है। उन्होंने यह भी कहा कि इसका इलाज कोरोना की तरह टेलीफोन पर सलाह लेकर संभव नहीं है। इसके इलाज के लिए अस्पताल पहुंचना होगा।

इस फंगस की पहचान बड़ी आसानी से की जा सकती है। उन्होंने कोरोना मरीजों से भी छह सप्ताह तक सजग होने पर बल देते हुए कहा कि ब्लैक फंगस की पहचान की जरूरत है और यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को मधुमेह की जांच कराते रहने की सलाह दी है।

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें