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खार्किव छोड़ने की सलाह पर 14 किमी पैदल चलकर रेलवे स्टेशन पहुंचे, पर नहीं मिली ट्रेन-भारतीय छात्र

भारत सरकार ने दोपहर तुरंत खार्किव छोड़ने की एडवाइजरी जारी की थी.

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रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग रुकने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में भारतीय छात्र भी यूक्रेन के कई शहरों में फंसे हैं। खारकीव में हुए धमाके के बाद छात्र शहर छोड़ने की कोशिश में हैं, लेकिन कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद भी हताशा ही हाथ लग रही है। यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने खारकीव में फंसे भारतीयों के लिए एडवाइजारी जारी की है। दूतावास ने सेफ्टी और सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए भारतीयों को तुरंत खारकीव छोड़ने की सलाह दी है।

यूक्रेन से लगते दूसरे देशों के बार्डर पर पहुंचने के लिए छात्रों को ट्रेन नहीं मिल रही हैं। मध्यप्रदेश प्रदेश के भोपाल निवासी आशुतोष चौहान खारकीव के रेलवे स्टेशन पर फंसे हुए हैं। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि, यहां सभी छात्र खुद इवैक्यूएट कर रहे हैं। करीब 1500 छात्र मेरी जानकारी में ऐसे हैं जो फंसे हुए हैं। सुबह 6 बजे से अपने होस्टल से निकले हुए हैं। रेलवे स्टेशन से होस्टल करीब 14 किलोमीटर दूर है।

भारतीय छात्रों के अलावा यूक्रेन के नागरिक हैं। रेलवे स्टेशन पर दो ट्रेन आ कर जा चुकी हैं, लेकिन दरवाजे नहीं खोले जा रहे हैं। यहां कोई बताने वाला भी नहीं है और न ही कोई मदद मिल रही है। हम सभी भारतीय छात्रों को खुद व्यवस्था करनी पड़ रही हैं।

उन्होंने आगे बताया, हम सभी छात्रों ने खाने की पैकेट साथ लेकर आए हैं। बम के धमाके लगातार जारी है। रेलवे स्टेशन पर खड़े हुए हैं, तब से 10 धमाकों की आवाज सुन रहे हैं। रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले हमें रास्ते में कई गाड़ियां मिली, जिनपर गोलीबारी के निशान थे और आग लगी हुई थी।

मंगलवार को रूसी बमबारी में भारतीय छात्र नवीन शेखरप्पा की मौत के बाद छात्रों में और डर पैदा हो गया है। छात्र कोशिश कर रहे हैं कि जल्द जल्द से भारत लौटा जाए। वहीं घर पर माता पिता भी इंतजार कर रहे हैं और बेहद परेशान भी हैं।

दरअसल यूक्रेन के खारकिव शहर में मारे गये भारतीय छात्र की मौत की रूस जाँच करेगा। भारत में रूस के राजदूत ने भारतीय छात्र की मौत के मामले की जाँच करने का आश्वासन दिया है।

इसके अलावा बिहार के निवासी इंजमाम बीते कई दिनों से कीव में फंसे हुए थे। कई कोशिशों के बाद वह ट्रेन पकड़ कीव से निकलने में कामयाबी पा सके हैं। उन्होंने बताया, मैं कीव से वेस्टर्न साइड आ गया हूं, यहां से रोमानिया, पोलैंड और सिलोवाकिया बॉर्डर ज्यादा दूर नहीं है। खारकीव व कीव में फंसे बच्चों के लिए बहुत खतरा बना हुआ है।

पोलैंड बॉर्डर पर खाने का कोई साधन नहीं है और कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रोमानिया और सिलोवाकिया बॉर्डर से आना आसान है। इसलिए मैं खुद रोमानिया बॉर्डर से भारत वापस आने की कोशिश करूंगा।

भारत सरकार लगातार भारतीय छात्रों को निकालने का प्रयास कर रही है। कई फ्लाइट अब तक छात्रों को लेकर दिल्ली पहुंच चुकी हैं। जिसके बाद सभी छात्र अपने अपने गंतव्य स्थानों की ओर बढ़ रहे हैं।

भारतीय वायु सेना द्वारा यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए भारी लिफ्ट सी-17 विमान आज रोमानिया भेजा गया है।

--आईएएनएस

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