आईएएनएस को पत्र की प्रति मिली है, जिसमें ईओडब्ल्यू ने सभी 82 जेल कर्मचारियों के नाम का भी उल्लेख किया है।
पुलिस अधिकारी ने पत्र के हवाले से कहा, ईओडब्ल्यू द्वारा की गई जांच के दौरान सात जेल अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि वे रोहिणी जेल के बैरक नंबर 204, वार्ड नंबर 3, जेल नंबर 10 से कि किंगपिन सुकेश वी. चंद्रशेखर द्वारा चालाए जा रहे संगठित अपराध सिंडिकेट को सुविधाजनक बनाने में शामिल पाए गए।
अधिकारी ने आगे बताया कि जांच के दौरान रोहिणी जेल के दस कैमरों के सीसीटीवी फुटेज एकत्र किए गए और जांच की गई, जिसमें पता चला कि आरोपी सुकेश के बैरक में लगे सीसीटीवी कैमरों को पर्दे लगाकर पूरी तरह से ढक दिया गया था। कैमरे के सामने मिनरल वाटर की बोतलों का बक्सा रख दिया गया था।
ईओडब्ल्यू ने पत्र में उल्लेख किया है कि कैमरे की नजर से वस्तु को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसके बदले जेल कर्मचारियों को सुकेश और उसके सहयोगियों से मोटी रकम मिली।
आईएएनएस को मिली पत्र की प्रति में लिखा है, रोहिणी जेल में सीसीटीवी नियंत्रण कक्ष में तैनात वार्डर नीरज मान द्वारा सीसीटीवी रजिस्टर में की गई प्रविष्टियों को न केवल नजरअंदाज किया गया, बल्कि वार्डर नीरज मान को दबाव में रखा गया और जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐसी प्रविष्टियां करने से मना किया गया। इससे स्पष्ट हो गया है कि रोहिणी जेल नंबर 10 में वरिष्ठ अधिकारियों सहित कर्मचारियों ने आरोपी सुकेश के साथ मिलीभगत की और उसे जेल के अंदर से उसकी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में मदद की, जो सुकेश के लिए एक सुरक्षित ठिकाना है।
जेल कर्मचारियों के डयूटी रोस्टर और आरोपी व्यक्तियों के बयानों की जांच से पता चला कि सुकेश की बैरक में उसके परामर्श से स्टाफ तैनात किया गया था, ताकि उसे उसकी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने में सुविधा हो सके।
जब्त किए गए फोन के सीडीआरएस/आईपीडीआर के विश्लेषण से यह पाया गया कि सुकेश चंद्रशेखर के पास लगातार दो मोबाइल फोन थे।
सहायक अधीक्षक धरम सिंह मीणा के फोन डेटा से एक पृष्ठ का रिकार्ड मिला, जिसके बारे में उन्होंने पूछताछ के दौरान बताया और स्पष्ट किया गया कि जेल अधिकारियों को नियमित आधार पर पैसा मिल रहा था।
आरोपी बिना किसी रोक-टोक के लग्जरी सुविधाओं के लिए हर महीने करीब 1.50 करोड़ रुपये चुकाता था।
--आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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