प्राइवेट प्ले-स्कूलों की ‘मनमानी' पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने नए नियमों से नकेल कसने के लिए कमर कस ली है. एक विस्तृत दिशानिर्देश तय किया गया है ताकि इन निजी संस्थानों की ‘मनमानियों' पर रोक लगे और तीन से छह साल तक के बच्चों के बाल अधिकारों की पूरी सुरक्षा हो सके.
प्ले स्कूलों की मनमानी को लेकर बहुत शिकायतें आ रही थीं. देश में इन प्ले स्कूलों को लेकर कोई दिशानिर्देश नहीं है और ऐसे में इनकी जवाबदेही भी तय नहीं हो रही है. हमने ये दिशानिर्देश तय किए ताकि इन प्ले स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लग सके, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों के पास ये दिशानिर्देश भेज दिये हैं और उम्मीद करते हैं कि इनको जल्द से जल्द लागू किया जाएगा. शिक्षा काफी हद तक राज्य का मामला है, इसलिए इसमें राज्य सरकारों को ही पहल करनी होगी.प्रियंक कानूनगो, आयोग के सदस्य
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क्या है नई शर्तें?
- प्ले स्कूलों की स्थापना के लिए संबंधित प्राधिकार से अनुमति लेनी होगी
- हर 20 बच्चों पर एक शिक्षक-शिक्षका होंगे
- हर 20 बच्चे पर देखभाल करने वाले एक सहायक-सहायिका होने चाहिए
- इमारत में चाहरदीवारी होनी चाहिए
- वेंटिलेशन, बच्चों के लिए आराम कक्ष, दिव्यांग बच्चों के अनुकूल शौचालय
- बच्चों के नहाने के लिए साबुन और तौलिया
- साफ पानी, सीसीटीवी कैमरे, अग्निशमन की व्यवस्था
- समय समय पर कीटनाशक का छिड़काव होना चाहिए
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