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करवाचौथ के बारे में क्या सोचती हैं आज की लड़कियां?

करवाचौथ के बारे में आज की लड़कियों का क्या मानना है जानें इस लेख में.

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करवाचौथ... नाम सुनते ही आपके दिमाग में क्या आता है?..

दुल्हन सी सजी लड़कियां, रंगबिरंगी चूड़ियों से सजी कलाइयां ,संगीत और छलनी से चांद को ताकते सुंदर -सुंदर चेहरे.... ऐसा ही कुछ आता है न?

समय बदलने के साथ-साथ इस त्योहार को मनाने का तरीका भी बदल रहा है और बदल रहे हैं इसे मनाने के कारण.

क्विंट गर्ल गैंग की तीन लड़कियों से इस त्योहार के बारे में जानेंगे कि उनके लिए ये त्योहार खास है या नहीं, अगर है तो किस वजह से और किस तरह वो इस त्योहार को मनाना चाहती हैं?

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स्मृति

आज कल की लड़कियां कोई रीति-रिवाज जानती हों या नहीं पर करवाचौथ जरुर जानती हैं. पति की लम्बी उम्र के लिए रखा जाने वाला ये व्रत बॉलीवुड फिल्मों में मनाए जाने वाले सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है.

हाथों में मेहंदी, आंखों में काजल, माथे पर टीका, सुर्ख लाल रंग के होंठ और सितारों से जड़ी साड़ी ये सब सुन कर बस यही एक तस्वीर बनती है हमारे सामने, एक दुल्हन सी सजी लड़की जो पूरा दिन भूखी-प्यासी रह कर चांद निकलने का इंतजार करती है. जो अपने पति की एक झलक देख कर ही अपना व्रत तोड़ती है.

करवाचौथ के त्योहार की बात ही कुछ अलग होती है. एक दिन पहले से बाजारों में रौनक हो जाती है. उत्साहित लड़कियां हर तरफ आपको मेहंदी लगवाते हुए दिख जाएंगी....आज कल की लड़कियां इस त्योहार को कितना मानती हैं और इस त्योहार के कितने मायने जानती हैं ये तो वहीं जानती होगीं, पर इतना जरूर है कि बढ़-चढ़ कर इस त्योहार में शामिल जरुर होती हैं.

मुस्कान

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले वो जो हर त्योहार को मानते हैं और पूरे विधि-विधान से उन त्योहारों को मनाते हैं. दूसरे वो जो ना तो मानते हैं और ना ही मनाते हैं. लेकिन तैयार होकर बाजार की रौनक को इंजॉय करने के लिए पहुंच जाते है. मेरी नजर में करवाचौथ के व्रत की प्रथा की अहमियत बस इसलिए है क्योंकि ये लंबे समय से चला आ रहा है.

लेकिन सही मायनों में आप लोग जरा सोचिए कि अगर किसी के व्रत करने से किसी की उम्र लंबी होती तो डॉक्टर और साइंस की कोई अहमियत ही नहीं रह जाएगी. मैंने खुद कितनी बार कई महिलाओं के पतियों की मृत्यु होते देखी है और वो भी करवाचौथ के कुछ दिन बाद. तो क्या ये मान लिया जाए कि उन्होंने ये व्रत सही से नहीं किया या फिर व्रत करते समय उनकी विधि में कुछ कमी रह गई होगी.

खैर ये कहने वाली मैं कोई नहीं होती. मैं ये नहीं कहती की व्रत करना गलत है या फिर परंपराओं का पालन नहीं करना चाहिए. लेकिन फिर भी ये सवाल मुझे बार-बार सोचने पर मजबूर करता है कि क्या एक दिन का आपका भूखा-प्यासा रहना, अपने शरीर को तकलीफ देना किसी की लंबी आयु में मददगार साबित हो सकता है. अगर ऐसा होता तो वो सभी लड़कियां और महिलाएं आज जीवित होती जो आग में सती होकर इस दुनिया से चली गईं. तो इसलिए आपका और मेरा विश्वास अलग हो सकता है मगर गलत नहीं.

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कौशिकी

देखो मेहंदी कितनी अच्छी लग रही है...रंग-बिरंगी चूड़ियां...नए कपड़े...गहने...गिफ्ट...सबकुछ जगमग जगमग. अच्छा लगता है. सुंदर लगता है. करवाचौथ की चकाचौंध और सुहागगीत मुझे तो बहुत लुभाती है.

प्रेम में पति-पत्नी के प्रेम की ही प्रधानता रही है. प्रेमी-प्रेमिकाओं के बीच प्रेम से ज्यादा पति-पत्नी के बीच प्रेम और आत्मीयता के रिश्ते को तरजीह दी गयी है. पति के लिए मंगलकामना...लंबी उम्र...सेहतमंद रखने के लिए व्रत रखना.

इस त्योहार को महिलाविरोधी बताकर बाॅयकाॅट कर देना मुझे सही नहीं लगता. क्यों न यह त्योहार पति-पत्नी के लिए एक ‘हैपनिंग इवेंट’ के तौर पर मनाया जाए..थोड़ा मोडिफाई करके. सिर्फ पत्नी के कठिन व्रत करने की जगह पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे के लिए व्रत रखें और बीच-बीच में साथ-साथ चाय-पानी पीने का समय तय कर लें. अगर दोनों अलग-अलग जगह पर हों तो भी फोन पर साथ-साथ बात करते हुए ऐसा कर लें. परंपरा भी बनी रहेगी और रिश्तों में नयापन भी.

करवाचौथ को लेकर मेरी आम समझ तो यही है. और जिन्हें ये सब बेकार की बातें लगती हों तो वो अपने रिश्तों के लिए इसे एक अच्छा रिफ्रेशमेंट मान कर सेलिब्रेट कर लें. वाकई उनका एक्सपीरियंस बुरा तो नहीं होगा!

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