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बजट 2017: युवाओं के लिए रोजगार हासिल करना मुश्किल!

भारत सरकार के लेबर ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश के युवाओं के लिए रोजगार हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है.

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भारत
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भारत सरकार के लेबर ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश के युवाओं के लिए रोजगार हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है. उसके पांचवें एंप्लॉयमेंट-अनएंप्लॉयमेंट सर्वे में बताया गया है कि वित्त वर्ष 2015-16 में 18-29 साल के जो लोग नौकरी की तलाश में थे, उनमें से सिर्फ 13.2% ही सफल हो पाए.

लेबर ब्यूरो ने ऐसा पिछला सर्वे 2013-14 में किया था, जिसमें इस आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 12.9% थी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की कुल आबादी में 15 से 29 साल के लोगों की संख्या 28% यानी 33 करोड़ है.

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क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी का कहना है कि देश के युवाओं के बीच बेरोजगारी दर का मौजूदा ट्रेंड पिछले कुछ सालों जैसा ही है. हालांकि, उन्होंने वास्तविक बेरोजगारी दर को इससे कहीं अधिक बताया.

ग्रामीण क्षेत्रों और खासतौर पर कृषि क्षेत्र में ‘छद्म रोजगार’ की समस्या है. काफी लोगों के बारे में मान लिया जाता है कि वे खेती-बाड़ी में योगदान देते हैं, जबकि वास्तव में उनका कंट्रीब्यूशन इसमें बहुत कम होता है.
डीके जोशी, मुख्य अर्थशास्त्री, CRISIL

लेबर ब्यूरो के सर्वे में इन लोगों को शामिल नहीं किया जाता, नहीं तो बेरोजगारी दर कहीं ज्यादा होती. उसके सर्वे के मुताबिक, 18-29 साल के 38% लोगों को एग्रीकल्चर, फॉरेस्ट्री और फिशरी सेक्टर में रोजगार मिला हुआ है. इसके बाद 19.4% को होलसेल और रिटेल ट्रेड, मोटर व्हीकल रिपेयर, ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज, फूड सर्विसेज और इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन में जॉब मिली हुई है.



भारत सरकार के लेबर ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश के युवाओं के लिए रोजगार हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है.

नए रोजगार के मौके कहां बनाए जा सकते हैं?

जोशी का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से बेरोजगारी की समस्या हल नहीं होगी. उन्होंने कहा, ‘मशीनों और रोबॉट का इस्तेमाल बढ़ने से इस सेक्टर में 10 साल पहले की तुलना में बहुत कम कर्मचारियों की जरूरत रह गई है.’

उन्होंने बताया कि मोदी सरकार के मेक इन इंडिया प्रोग्राम से बेरोजगारी कम करने में कुछ मदद तो मिल सकती है, लेकिन यह रोजगार का सबसे बड़ा जरिया नहीं हो सकता. लेबर ब्यूरो के सर्वे से भी यह बात सही साबित होती है. 18-29 आयु वर्ग में सिर्फ 13.2% को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार मिला हुआ है.



भारत सरकार के लेबर ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश के युवाओं के लिए रोजगार हासिल करना मुश्किल होता जा रहा है.

वहीं, एचएसबीसी की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने बताया कि देश को अगले 10 साल में 8 करोड़ नए रोजगार पैदा करने होंगे.

जुलाई 2016 की एक रिपोर्ट में उन्होंने लिखा था,

खेती छोड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उन्हें दूसरी जगह अच्छी नौकरी नहीं मिल रही. सर्विस सेक्टर में उतने नए रोजगार पैदा नहीं हो रहे, जिसकी देश को जरूरत है.

भंडारी का मानना है कि ई-कॉमर्स सेक्टर बेरोजगारी कम करने में काफी मदद कर सकता है. अभी खपत यानी कंजम्पशन में इस क्षेत्र का योगदान 2% है, जो 10 साल बाद बढ़कर 16% हो जाएगा.

इससे लॉजिस्टिक्स, डिलीवरी, कस्टमर केयर, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट में 2 करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे. भंडारी के मुताबिक, इससे ई-कॉमर्स सेक्टर से 1.2 करोड़ नए रोजगार पैदा हो सकते हैं. युवाओं के लिए कुछ दूसरे क्षेत्रों में भी रोजगार के मौके बन सकते हैं. जोशी के मुताबिक, ‘हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर में नई नौकरियों के काफी मौके बन सकते हैं.’

(स्रोत: BloombergQuint)

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