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कैदी नंबर-9435 शशिकला को जेल में मोमबत्ती बनाने का काम !

आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी एआईएडीएमके की महासचिव शशिकला नटराजन ने बुधवार को बेंगलुरू जेल में सरेंडर किया.

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भारत
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आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी एआईएडीएमके की महासचिव शशिकला नटराजन ने बुधवार को बेंगलुरु जेल में सरेंडर किया. शशिकला और इल्‍लावरासी ने सेशन जज के सामने आत्‍मसमर्पण किया. सुप्रीम कोर्ट ने बेहिसाब प्रॉपर्टी के केस में शशिकला को 4 साल की जेल की सजा सुनाई है.

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जेल में बनानी होगी मोमबत्ती,बदले में मिलेंगे 50 रुपये

जेल में शशिकला को कैदी नंबर 9435 के तौर पर पहचाना जाएगा. जेल के एक अधिकारी ने पत्रकारों से कहा कि शशिकला को जेल में मोमबत्तियां या अगरबत्ती बनाने का काम मिल सकता है. जिसके लिए उन्हें 50 रुपये रोजाना मिलेंगे.

शशिकला ने की थी कुछ डिमांड

शशिकला ने स्‍वास्‍थ्‍य कारणों का हवाला देते हुए सरेंडर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और वक्त मांगा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अधिक वक्त देने से इंकार कर दिया.

शशिकला ने सरेंडर करने से पहले जेल में अलग से सेल, टीवी और फैन की मांग रखी थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक शशिकला ने डायबिटिज का हवाला देकर घर के खाने, 24 घंटे मिनरल वाटर और वेस्टर्न टॉयलेट की मांग भी रखी थी. फिलहाल शशिकला जेल के आम कैदियों की तरह आम सेल में 2 और कैदियों के साथ रहेंगी.

जयललिता की समाधि पर क्यों दी थपकियां

बेंगलुरु की निचली अदालत के सामने सरेंडर करने के लिए कर्नाटक रवाना होने से पहले शशिकला मरीना बीच स्थित जे.जयललिता के स्मारक पर पहुंचीं. स्मारक को दाहिने हाथ से तीन बार थपकी देते हुए शशिकला ने संकल्प लिया.



आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी एआईएडीएमके की महासचिव शशिकला नटराजन ने बुधवार को बेंगलुरू जेल में सरेंडर किया.
स्मारक को दाहिने हाथ से तीन बार छूते हुए शशिकला ने संकल्प लिया. (फोटो: Reuters)

प्रार्थना करने के बाद जिस अंदाज में शशिकला ने जयललिता की समाधि पर तीन थपकियां दीं, वह अंदाज उसके बाद सोशल मीडिया में सुर्खियों का सबब बना हुआ है. लोग अपने-अपने अंदाज में इस पर अनुमान लगा रहे हैं. शशिकला उस दौरान बेहद भावुक थीं और प्रार्थना के दौरान कुछ बुदबुदा रही थीं. हालांकि यह पूरी तरह से स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया कि उन्‍होंने बुदबुदाते हुए क्‍या कहा लेकिन शशिकला के समर्थकों के मुताबिक उन्‍होंने वहां पर 'बड़ी शपथ' ली है.

उसके बाद शशिकला एआईएडीएमके के संस्थापक एम.जी.रामचंद्रन के घर पहुंचीं और उनकी तस्वीर के सामने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की तथा कुछ देर तक साधना की.

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