सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी पावर और टाटा पावर जैसी बिजली बनाने वाली कंपनियों को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अडाणी पावर और टाटा पावर जैसी बिजली कंपनियां ग्राहकों से कॉम्पेंसेट्री टैरिफ (क्षतिपूर्ति शुल्क) नहीं वसूल सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अडाणी पावर के शेयर में 16 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली है. वहीं टाटा पावर का शेयर कारोबार के दौरान 6.65 फीसदी तक टूटा.
टाटा-अडाणी ने दायर की थी याचिका
टाटा पावर और अडाणी पावर ने इस मामले को लेकर केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि रुपये की कीमत गिरने और इंडोनेशिया से आने वाला कोयला महंगा होने के कारण उनकी लागत बढ़ गई है. इसलिए उन्हें ज्यादा फीस वसूलने की अनुमति दी जाए.
न्यायाधीश पीसी घोष और न्यायाधीश आरएफ नरीमन की पीठ ने सीईआरसी के आदेश को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कोयले के दाम में बढ़ोत्तरी से कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट के नियमों का पालन करने से मुक्त नहीं हो जाती हैं.
कोर्ट ने कहा कि चूंकि कंपनियों ने बिजली वितरण के लिए बोली पेश करते समय जान बूझकर जोखिम लिया था. इसलिए अब वो कॉन्ट्रैक्ट के दायित्वों से पीछे नहीं हट सकती.
कोर्ट ने यह भी कहा कि बिजली वितरण कंपनियों के साथ किए गए बिजली खरीद समझौते में जो मूल बात है उसे बदला नहीं जा सकता है. समझौते में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि कोयले का आयात केवल इंडोनेशिया से ही एक खास दाम पर किया जाना है.
(इनपुट भाषा से)
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