सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक और निकाह हलाला की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है. कोर्ट ने कहा कि वह पॉलीगेमी यानी बहुपत्नी प्रथा वाले मामले की सुनवाई नहीं करेगा. बाकी दो मामलों की सुनवाई जारी रहेगी.
इन मामलों में सात याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. इनमें पांच याचिकाएं मुस्लिम महिलाओं ने दायर की हैं. इनमें मुस्लिम समुदाय में तीन तलाक की प्रथा को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक बताया गया है. तीन तलाक के मुद्दे पर दाखिल की गई इस याचिका को समानता की खोज vs जमात उलेमा-ए-हिंद नाम दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के मुद्दे पर अगले 6 दिनों तक सुनवाई चलेगी. सुनवाई में तीन दिन ट्रिपल तलाक को चुनौती देने वालों की याचिका पर सुनवाई होगी और तीन दिन डिफेंड करने वालों की.
कोर्ट ने दोनों पक्ष के सामने रखे दो सवाल
- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि ट्रिपल तलाक और हलाला इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं?
- क्या इन दोनों मुद्दों को महिला के मौलिक अधिकारों से जोड़ा जा सकता है या नहीं?
कोर्ट ने साफ किया कि बेंच द्वारा तैयार किए गए दो सवालों पर अपने-अपने तर्क तैयार करने के लिए हर पक्ष को दो दिन का वक्त दिया जाएगा और एक दिन उनकी दलीलों के विरोध में तर्क देने के लिए वक्त दिया जाएगा.
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वो दलीलों को दोहराने वाले किसी भी वकील को रोक देगी. जजों की बेंच ने कहा,
हर पक्ष ऐसा कोई भी तर्क पेश कर सकता है जो वो पेश करना चाहता है लेकिन किसी प्रकार का दोहराव नहीं होना चाहिए. वे केवल तीन तलाक की वैधता पर ध्यान केंद्रित करेंगे.’
वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को सुनवाई में मदद के लिए न्याय मित्र के तौर पर शामिल किया है. सलमान खुर्शीद ने कहा कि तीन तलाक कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि पति और पत्नी दोनों की इच्छा के बिना इसे पूरा नहीं माना जाता है.
अलग अलग धर्मों के 5 जज सुनवाई में शामिल
इस मामले में एक और अनोखी बात सामने आई है कि अलग अलग धर्मों के मानने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच तीन तलाक के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस जे एस खेहर सिख समुदाय से हैं. बाकी 4 जजों में से जस्टिस कुरियन जोसेफ इसाई हैं. आर. एफ नरीमन पारसी हैं तो उदय उमेश ललित हिंदू और अब्दुल नजीर मुस्लिम समुदाय से हैं.
क्यों है तीन तलाक के मुद्दे पर सबकी निगाहें?
पिछले कई दिनों से देश में अलग अलग जगह से तीन तलाक को लेकर मुस्लिम समुदाय की कई औरतें इसके खिलाफ आवाज उठा रही हैं. यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपने कई भाषणों में तीन तलाक का जिक्र किया था.
इस मामले में सुनवाई और भी महत्वपूर्ण हो गई है क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अप्रैल के महीने में ही अपने एक फैसले में तीन तलाक को असंवैधानिक और पर्सनल लॉ के नाम पर महिलाओं के मौलिक मानवाधिकार का उल्लंघन बताया था.
मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक सुझाव दिया कि वो शनिवार और रविवार को भी इस मामले पर बेंच की बैठक बुला सकती है, ताकि इस मामले में उठे संवेदनशील मुद्दों पर जल्द से जल्द फैसला किया जा सके.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)