प्रद्युम्न केस में रेयान समूह के सीईओ रेयान पिंटो और उनके माता-पिता की अग्रिम जमानत के लिए याचिका पर सुनवाई कल तक के लिए टाल दी गई है. इन्होंने प्रद्युम्न हत्या के मामले में गिरफ्तारी के अंदेशे से पहले ही बॉम्बे हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी.
प्रद्युम्न के पिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में रेयान इंटरनेशनल के मालिक की इस याचिका का विरोध किया है. वरुण ने एक अर्जी दाखिल कर स्कूल के ट्रस्टियों की दायर अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने की मांग की है.
पिंटो फैमिली ने कोर्ट में अपना पक्ष रखे जाने तक गिरफ्तारी से राहत देने का अनुरोध किया है. पिंटो परिवार ने प्रद्युम्न मर्डर केस की सुनवाई हरियाणा से बाहर कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.
वरुण ठाकुर ने अपने अर्जी में कहा है कि वो इस मामले में शिकायतकर्ता हैं और रेयान के मालिकों की याचिका का विरोध करते हैं, क्योंकि यह मामला बेहद गंभीर है. स्कूल कैंपस में बिना किसी उकसावे के क्रूर, सोची-समझी चाल के तहत, इस तरह की वारदात को अंजाम दिया गया है.
इस बीच, रायन इंटरनैशनल स्कूल के नॉर्थ जोन के हेड फ्रांसिस थॉमस को 16 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है. वहीं, एचआर हेड को 18 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.
इस बीच, बुधवार शाम को पुलिस ने रेयान इंटरनेशल स्कूल में प्रिंसिपल और दूसरे शिक्षकों को पूछताछ के लिए बुलाया.
स्कूल ने गार्ड को नौकरी से निकाला
इस बीच स्कूल के एक सिक्योरिटी गार्ड ने मीडिया के सामने आकर कहा है कि उसने अपनी आंखों से फर्श पर खून देखा था, जिसे साफ कर दिया गया है. गार्ड का आरोप है कि उस घटना के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया.
बुधवार को फॉरेंसिक साइंस लैबरेटरी की टीम ने रेयान स्कूल जाकर सबूत जुटाने की कोशिश की.
8 सितंबर को हुई थी प्रद्युम्न की हत्या
गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के टॉयलेट में 8 सितंबर की सुबह सेकेंड क्लास के छात्र प्रद्युम्न की गला काटकर हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने इस मामले में बस के कंडक्टर को अरेस्ट किया है. पुलिस के मुताबिक 42 साल के बस कंडक्टर अशोक कुमार ने बच्चे का यौन शोषण करने की कोशिश की, लेकिन बच्चे ने इसका विरोध किया तो उसने चाकू से उसकी हत्या कर दी.
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में प्रद्युम्न के पिता वरुण और कोर्ट की दो महिला वकीलों की याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रहा है. वरुण ने इस मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की है, जबकि महिला वकीलों ने बाल सुरक्षा की शर्तों को कठोर बनाने और देशभर में स्कूल जाने वाले बच्चों की यौन शोषण और हत्या जैसे अपराधों से रक्षा करने के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों को लागू करने मांग की है.
(इनपुट भाषा से)
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